मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा का नाम इन दिनों चर्चाओं में है. भ्रष्टाचार निरोधक लोकायुक्त पुलिस ने उनके खिलाफ छापेमारी कर 7.98 करोड़ रुपये की संपत्ति बरामद की है. इसमें 2.87 करोड़ रुपये नकद और 234 किलोग्राम चांदी की सिल्लियां शामिल हैं. सौरभ शर्मा का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया जब लोकायुक्त ने उनके घर, कार्यालय और अन्य परिसरों से भारी मात्रा में चल-अचल संपत्ति जब्त की गई.
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कौन हैं सौरभ शर्मा?
सौरभ शर्मा, मूलतः एक सरकारी डॉक्टर आरके शर्मा के बेटे हैं. उनके पिता का 2015 में निधन हो गया था, जिसके बाद उन्हें अनुकंपा नियुक्ति के आधार पर परिवहन विभाग में कांस्टेबल पद पर नौकरी मिली. हालांकि, सौरभ ने जून 2023 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) ले ली और उसके बाद से ही वह भ्रष्टाचार में लिप्त हो गया.
सौरभ शर्मा का मासिक वेतन करीब 50-60 हजार रुपये था, लेकिन उन्होंने भ्रष्ट तरीकों से करोड़ों की संपत्ति अर्जित की. लोकायुक्त पुलिस के डीजी जयदीप प्रसाद ने बताया कि सौरभ ने अपने परिवार, रिश्तेदारों और करीबी सहयोगियों के नाम पर संपत्तियां खरीदीं और स्कूल व होटल स्थापित किए.
कैश में मिले नोट खराब होने का था डर?
सूत्रों के अनुसार, सौरभ के पास भारी मात्रा में कैश इनफ्लो था. उन्हें डर था कि नोट लंबे समय तक रखने से खराब हो सकते हैं या दीमक और चूहों का शिकार बन सकते हैं. इसी वजह से उन्होंने कैश को सोने और चांदी की ईंटों में बदलना शुरू किया. चांदी और सोने की ईंटें मेकिंग चार्ज से मुक्त होती हैं, जिससे उन्होंने अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने का तरीका अपनाया. हालांकि, आधिकारिक रूप से इसकी पुष्टि लोकायुक्त ने नहीं की है. लेकिन छापे के दौरान लोकायुक्त को इतनी बड़ी संख्या में चांदी की ईंटों के मिलने पर इसका तर्क यह बताया गया था.
छापे में मिली संपत्ति
लोकायुक्त की छापेमारी में सौरभ शर्मा के परिसरों से 234 किलोग्राम चांदी, 2.87 करोड़ रुपये नकद, और अन्य संपत्ति बरामद हुई. इसके अलावा, उनकी संपत्तियों और बैंक खातों से जुड़े दस्तावेज भी मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है. सौरभ शर्मा के करीबी सहयोगियों, चेतन गौर और शरद जायसवाल के खिलाफ भी कार्रवाई हो रही है. आयकर विभाग ने चेतन गौर से नकदी और सोना जब्त किया है. जांच में यह पता चला है कि चेतन की गाड़ी का उपयोग सौरभ द्वारा किया जाता था.
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लोकायुक्त की जांच जारी है...
लोकायुक्त पुलिस ने स्पष्ट किया है कि सौरभ के देश-विदेश में ठिकानों की जांच की जा रही है. उनके राजनीतिक कनेक्शनों और हवाला से जुड़े मामलों की भी पड़ताल हो रही है. सौरभ शर्मा की यह कहानी न केवल उनके भ्रष्टाचार को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि कैसे एक सरकारी कर्मचारी अपनी सीमित आय से इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर सकता है.
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