"बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया"! मां से नहीं मिले डेढ़ लाख तो बेटे ने पिता को मुखाग्नि देने से किया इनकार

अभिषेक शर्मा

03 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 3 2024 3:01 PM)

MP News: मध्यप्रदेश के शहडोल में एक बेटे ने अपने मृत पिता को मुखाग्नि देने से ही इनकार कर दिया. वजह बनी पैसा. बेटे को अपनी मां से डेढ़ लाख रुपए चाहिए थे. मां ने देने से इनकार कर दिया था. नाराज होकर बेटे ने पिता का दाह संस्कार करने से मना कर दिया.

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मध्यप्रदेश के शहडोल में एक बेटे ने अपने मृत पिता को मुखाग्नि देने से ही इनकार कर दिया.

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कलयुगी बेटे की करतूत ने साबित कर दिया "बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया".

MP News: मध्यप्रदेश के शहडोल में एक बेटे ने अपने मृत पिता को मुखाग्नि देने से ही इनकार कर दिया. वजह बनी पैसा. बेटे को अपनी मां से डेढ़ लाख रुपए चाहिए थे. मां ने देने से इनकार कर दिया था. नाराज होकर बेटे ने पिता का दाह संस्कार करने से मना कर दिया. बेटे के इनकार के बाद मजबूर मां ने ही अपने पति का दाह संस्कार किया. इस दर्दभरी कहानी को जिसने भी सुना भावुक हो गया. कलयुगी बेटे की करतूत ने साबित कर दिया "बाप बड़ा ना भैया, सबसे बड़ा रुपैया".

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यह कहानी है शहडोल के बर्मन परिवार की. 65 साल के रामस्वरूप यहां अपनी पत्नी पार्वती के साथ रहते थे. उनका बेटा मनोज आए दिन उनसे पैसे के लिए झगड़ा करता था. स्थानीय लोगों के मुताबिक मनोज को नशे की लत थी, जिसके लिए वह अपने माता-पिता से पैसे देने दबाव डालता था. परेशान होकर पिता ने मनोज को पैसे देने से मना कर दिया था.

जिस दिन रामस्वरूप बर्मन का निधन हुआ था, उसके ठीक एक दिन पहले भी मनोज पिता से झगड़ा करने पहुंचा था. मनोज ने डेढ़ लाख रुपए देने को कहा लेकिन पिता रामस्वरूप ने मना कर दिया. अगले ही दिन रामस्वरूप बर्मन की लंबी बीमारी की वजह से मौत हो गई. मां ने इसकी सूचना बेटे मनोज को दी. मनोज घर आया लेकिन पिता के लिए गम मनाने नहीं बल्कि पिता की मृत्यु के बाद भी अपनी मां से डेढ़ लाख रुपए मांगने.

मां ने कहा, पिता की मृत्यु हो गई है और तूझे डेढ़ लाख रुपए चाहिए. नहीं मिलेंगे. बेटा होने का फर्ज निभाओ और अपने पिता का दाह संस्कार करो. लेकिन मनोज ने मां के सामने शर्त रख दी. पहले डेढ़ लाख, फिर पिता का दाह संस्कार. बेटे की ऐसी बात सुनकर मां भी नाराज हो गई. उन्होंने डेढ़ लाख रुपए देने से मना कर दिया. बेटे मनोज का दिल नहीं पसीजा. वह घर छोड़कर उसी समय चला गया. पिता का दाह संस्कार भी नहीं किया. रिश्तेदारों के मनाने से भी मनोज नहीं माना. आखिरकार मजबूर मां को ही अपने पति रामस्वरूप बर्मन का दाह संस्कार करना पड़ा.

माता-पिता से अलग रहता था मनोज

स्थानीय लोगों के अनुसार मनोज की अपने माता-पिता से नहीं बनती थी. इसलिए वह अपनी पत्नी के साथ अलग किराए से घर लेकर रहता था. हालांकि स्थानीय लोग मनोज को नशे का आदी बता रहे हैं लेकिन इस बात की पुष्ट नहीं हो सकी है. लेकिन लंबे समय से मनोज घर बेचकर पैसे का इंतजाम करने का दबाव माता-पिता पर बना रहा था.

मां ने पुलिस थाने में दर्ज कराई शिकायत

बेटे की करतूत से दुखी होकर मां ने एक फैसला किया. पति के दाह संस्कार के दो दिन बाद ब्यौहारी थाने में बेटे मनोज के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई. चूंकि मामला सीधे तौर पर किसी अपराध का नहीं बन रहा था तो पुलिस ने NCR यानी गैर संज्ञेय अपराध के रूप में शिकायत दर्ज कर ली.

इनपुट- शहडोल से रावेंद्र शुक्ला की रिपोर्ट.

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