हरिद्वार की तर्ज पर मध्यप्रदेश के उज्जैन में भी स्थायी आश्रम बन सकेंगे साधु-संत! सीएम मोहन यादव का बड़ा ऐलान

अभिषेक शर्मा

22 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 22 2024 7:12 PM)

MP News: हरिद्वार की तर्ज पर अब मध्यप्रदेश के उज्जैन में भी साधु-संत स्थायी आश्रम बना सकेंगे. इस संबंध में सीएम मोहन यादव ने बड़ी घोषणा कर दी है.

CM Mohan Yadav

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मध्यप्रदेश के उज्जैन में भी साधु-संत स्थायी आश्रम बना सकेंगे.

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सीएम मोहन यादव ने सिंहस्थ की तैयारियों को लेकर किया बड़ा ऐलान.

MP News: हरिद्वार की तर्ज पर अब मध्यप्रदेश के उज्जैन में भी साधु-संत स्थायी आश्रम बना सकेंगे. इस संबंध में सीएम मोहन यादव ने बड़ी घोषणा कर दी है. मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि उज्जैन की पहचान साधु-संतों से है. उज्जैन में हरिद्वार के तर्ज पर साधु-संतों, महंत, अखाड़ा प्रमुखों और महामंडलेश्वर आदि को स्थायी आश्रम बनाने की अनुमति दी जाएगी.

प्रत्येक 12 वर्षों में एक बार होने वाला सिहंस्थ का आयोजन वर्ष 2028 में किया जाएगा. साधु-संतों को उज्जैन में आने, ठहरने, कथा, भागवत इत्यादि अन्य आयोजन के लिए पर्याप्त रूप से भूमि-भूखंड की आवश्यकता पड़ती है. इसे ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा साधु-संतों के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए स्थायी आश्रम बनाए जाने की योजना बनाई गई हैं. निजी होटल्स में साधु-संतों और श्रद्धालुओं को इस प्रकार के आयोजनों के लिए चुनौतियां आती हैं.

मुख्यमंत्री डॉ. यादव सोमवार को मेला कार्यालय, उज्जैन के ऑडिटोरियम में सिंहस्थ के संबंध में पत्रकारों से संवाद कर रहे थे. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हरिद्वार में जिस प्रकार साधु-संतों के अच्छे आश्रम बने हुए हैं, उसी प्रकार उज्जैन में भी साधु-संतों के स्थायी आश्रम बनवाने के प्रयास किए जाएंगे. उज्जैन विकास प्राधिकरण के माध्यम से योजना को आकार दिया जाएगा. सिंहस्थ के दृष्टिगत सड़क, बिजली, पेयजल, जल-निकासी इत्यादि मूलभूत सुविधाओं के लिए भी स्थायी अधोसंरचना का निर्माण भी होगा. जिससे अस्थायी निर्माण से होने वाली समस्याएं निर्मित न हों.

हरिद्वार की तरह उज्जैन को धार्मिक नगरी के रूप में करेंगे विकसित

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हरिद्वार की तरह उज्जैन को धार्मिक शहर के रूप में विकसित करने के लिए सभी जन-प्रतिनिधियों के साथ मिलकर कार्य-योजना तैयार की गई है. सुगम यातायात के दृष्टिगत फोर-लेन, सिक्स-लेन और ब्रिज जैसे स्थायी अधोसंरचना विकास के कार्य किए जाएंगे. सभी मूलभूत सुविधाओं के विकास के साथ साधु-संतों के लिए आश्रम निर्माण के कार्य समानांतर रूप से होंगे.

समाज के इच्छुक सनातन धर्मावलंबियों के माध्यम से अन्न क्षेत्र, धर्मशाला, आश्रम, चिकित्सा केंद्र, आयुर्वेद केंद्र आदि सार्वजनिक गतिविधियों के संचालन को भी प्राथमिकता दी जाएगी. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन सहित प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए प्रदेश सरकार निरंतर आगे बढ़ रही है.

इस तरह होगा भूमि का आबंटन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महंत, अखाड़ा प्रमुखों, महामंडलेश्वर को ही आश्रम निर्माण के लिए अनुमति इस प्रकार दी जाएगी कि एक हेक्टेयर के भूखंड पर 25 प्रतिशत पर ही भवन का निर्माण किया जा सकेगा. शेष 75 प्रतिशत भूखंड खुला रहेगा. जिसमें पार्किंग आदि व्यवस्थाओं के लिए पर्याप्त खुला स्थान रहे. आवासीय और कमर्शियल उपयोग के लिए इस प्रकार की अनुमति नहीं रहेगी.

सीएम मोहन यादव ने ये बातें भी बोलीं

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि महाकाल महालोक बनने के बाद से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आते हैं. निरंतर धार्मिक आयोजनों का क्रम जारी रहता है. जो कि इसी को ध्यान में रखते हुए पूरी योजना तैयार की गई है.
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि उज्जैन-इंदौर सिक्स-लेन कार्य की टेंडर प्रक्रिया हो गई है. वहीं उज्जैन- जावरा ग्रीन फील्ड फोर-लेन मार्ग का शीघ्र भूमि-पूजन किया जाएगा.

इस वृहद् योजना में  इंदौर, उज्जैन, धार, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर आदि को विकसित किया जाएगा. उज्जैन के धार्मिक मूल स्वरूप को ध्यान में रखते हुए विकास कार्य किए जाएंगे. मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इंदौर-उज्जैन मेट्रो ट्रेन संचालन की सैद्धांतिक स्वीकृति भी दी गई है.

इसी के साथ उज्जैन, देवास, फतेहाबाद, इंदौर को जोड़ते हुए सर्किल वंदे मेट्रो ट्रेन का भी संचालन किया जाएगा. इसकी गति मेट्रो ट्रेन की तुलना में अधिक होगी. रेल रूट के साथ उज्जैन के सभी मार्गों का भी सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. उज्जैन से निकलने वाले सभी मार्ग फोर-लेन किए जाएंगे. वर्तमान एयर-स्ट्रिप का भी उन्नयन कर टेक्निकल रूप से एयरपोर्ट बनाया जायेगा. जिससे 12 महीने हवाई यातायात सुविधा भी उज्जैन को मिल सके. 

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