चपरासी ने जांच डालीं यूनिवर्सिटी एग्जाम की कॉपियां, 5 हजार कमाए भी; मामला खुला तो मचा हड़कंप

एमपी के नर्मदापुरम जिले के पिपरिया में शहीद भगत सिंह शासकीय पीजी कॉलेज से जुड़ा है. यहां परीक्षा की कॉपियों की जांच किसी प्रोफेसर ने नहीं, बल्कि एक प्यून ने की है! हैरानी की बात ये है कि छात्रों के भविष्य को दांव पर लगाते हुए मात्र चपरासी को कॉपियां जांचने के लिए दे दी गईं और कुछ कमाई भी कर ली.

एमपी अजब है, जहां से यूनिवर्सिटी की कापियां प्यून द्वारा जांचे जाने का मामला सामने आया है.

एमपी अजब है, जहां से यूनिवर्सिटी की कापियां प्यून द्वारा जांचे जाने का मामला सामने आया है.

न्यूज तक

08 Apr 2025 (अपडेटेड: 08 Apr 2025, 05:40 PM)

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मध्य प्रदेश वाकई अजब है, सबसे गजब है! यहां आए दिन ऐसे अजीबो-गरीब मामले सामने आते हैं, जो लोगों को हैरान कर देते हैं. ताजा मामला नर्मदापुरम जिले के पिपरिया स्थित शहीद भगत सिंह शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय से जुड़ा है. यहां परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किसी प्रोफेसर ने नहीं, बल्कि एक चपरासी ने कर दिया. 

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हैरानी की बात यह है कि मात्र 5000 रुपए में ऑफिस प्यून को कॉपियां जांचने का जिम्मा दिया गया, जिसने छात्रों के भविष्य को दांव पर लगा दिया. मामले का वीडियो वायरल हुआ तो हड़कंप मच गया. इस पूरे प्रकरण में जिम्मेदारी तय करते हुए कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य राकेश कुमार वर्मा और प्रोफेसर रामगुलाम पटेल को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया.

आज तक की रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च शिक्षा विभाग ने प्रोफेसर पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया है. जब यह पूरा मामला कैमरे में कैद होकर सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो हड़कंप मच गया. उच्च शिक्षा विभाग ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जांच के आदेश दिए हैं. यह मामला जनवरी 2025 का है, जब शासकीय शहीद भगत सिंह पीजी कॉलेज के एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (चपरासी) पन्नालाल पठारिया का परीक्षा कॉपियों की जांच करते हुए वीडियो वायरल हुआ था.

वीडियो वायरल होने पर भड़के छात्र, विधायक से की शिकायत

वीडियो वायरल होने के बाद छात्रों ने इस मामले की शिकायत स्थानीय विधायक ठाकुरदास नागवंशी से करते हुए वीडियो भी सौंपे. इसके बाद यह मामला उच्च शिक्षा विभाग के संज्ञान में लाया गया है. उच्च शिक्षा विभाग ने इस पूरे मामले में जांच समिति का गठन किया है. समिति ने महीने की 3 तारीख को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी है. जिसके बाद 4 अप्रैल को प्रभारी प्रिंसिपल और एक प्रोफेसर के खिलाफ कार्रवाई की गई है.

रिपोर्ट के अनुसार, चपरासी पन्नालाल पठारिया ने वास्तव में गेस्ट फैकल्टी खुशबू पगारे को दी गईं उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया था. पन्नालाल ने लिखित रूप में स्वीकार किया कि उसने कॉपियां जांचने के लिए 5000 रुपए लिए थे.

गेस्ट फैकल्टी ने जो बताया, वो हैरान करने वाला

गेस्ट फैकल्टी खुशबू पगारे ने अपनी सफाई में कहा कि उनकी तबीयत खराब थी, जिसके कारण उन्होंने कॉलेज के बुक लिफ्टर राकेश मेहर को 7000 रुपए देकर किसी और से कॉपियों का मूल्यांकन करवाने को कहा था. राकेश ने 5000 हजार रुपए में चपरासी पन्नालाल को कॉपी जांचने का काम सौंप दिया. इस पूरे प्रकरण में जिम्मेदारी तय करते हुए कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य राकेश कुमार वर्मा और प्रोफेसर रामगुलाम पटेल को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया गया.

उच्च शिक्षा विभाग ने लिया कड़ा एक्शन

उच्च शिक्षा विभाग का कहना है कि प्रशासनिक मुखिया और वरिष्ठ प्राध्यापक होने के नाते उनकी देखरेख में ऐसी गंभीर लापरवाही और अनियमितता नहीं होनी चाहिए थी. कॉपियां जांचने वाले चपरासी पन्नालाल पठारिया और अतिथि विद्वान खुशबू पगारे के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं. उच्च शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस लापरवाही में शामिल किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा. 

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