Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले अजित पवार खासे चर्चित हो रहे हैं. वे आए दिन अपने किए की लोगों से माफी मांग रहे हैं. अजित पवार की माफी बीजेपी नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को कई बार असहज स्थिति में डाल रही है. महाराष्ट्र की राजनीति में अब सभी सवाल खड़े कर रहे हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले अजित पवार की अंतरात्मा की आवाज इतने हिलोरे क्यों मार रही है.
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अजित पवार की माफी ने बीजेपी और शिवसेना की नाक में दम कर रखा है. अजित पवार आजकल हर उस बात के लिए माफी मांग रहे हैं जो बीजेपी ने उनसे कराई. पहले बारामती में बहन सुप्रिया सुले के खिलाफ पत्नी सुनेत्रा पवार को चुनाव लड़वाया. चुनाव हारते हुए अजित पवार ने माफी मांग ली. बीजेपी की शह पर एनसीपी तोड़ने और परिवार से अलग होने के लिए अजित पवार ने दूसरी माफी मांगी. इसी बीच बीजेपी-शिवसेना को शामिल किए बिना जन सम्मान यात्रा निकाल रहे हैं. अब तो ये भी कहने लगे हैं कि बहुत चुनाव लड़ लिए. अब चुनाव नहीं लड़ेंगे.
अजित पवार को राजनीति में शरद पवार ने खड़ा किया. अजित पवार का बवालिया अवतार बीजेपी का खुद का क्रिएशन है इसलिए सारी नेगेटिव चीजें बीजेपी के खिलाफ जा रही हैं. बैठे-बिठाए फायदा MVA को मिल रहा है. महायुति में रहकर अजित पवार MVA का काम कर रहे हैं. बदले-बदले अजित पवार के लपेटे में सीएम एकनाथ शिंदे भी आ रहे हैं.
अजित पवार की इन सारी गतिविधियों को देखते हुए ये सवाल खड़े होने लगे हैं कि अजित पवार महायुति छोड़कर शरद पवार के साथ लौट सकते हैं या नहीं. चुनाव से पहले इसके चांस मजबूत होने लगे हैं. टाइम्स नाउ-मैटराइज ने चुनावी सर्वे में यही सवाल पूछा भी है. 45 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ये संभव है. जबकि अजित पवार नहीं लौटेंगे, ऐसा सोचने वाले 33 प्रतिशत तक हैं. 22 प्रतिशत ने कहा कि पता नहीं कि क्या होगा.
क्या महायुति में अजित पवार को ढो रहे हैं बीजेपी और शिवसेना?
इस तरह के भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि महायुति में अजित पवार और बीजेपी-शिवसेना दोनों एक-दूसरे को बस ढो रहे हैं. पिछले दिनों शिवसेना के मंत्री तानाजी सावंत ने कहा कि अजित पवार के साथ बैठने से ही तबीयत खराब होने लगती है. कैबिनेट मीटिंग से बाहर आते ही उल्टियां होने लगती है.जो कट्टर शिवसैनिक है वो कभी भी राष्ट्रवादी और कांग्रेस के साथ नहीं बैठ सकता. तानाजी सावंत के इस बयान की न तो एकनाथ शिंदे ने निंदा की, न बीजेपी ने.
क्या चुनाव से पहले महायुति से अजित पवार बाहर हो सकते हैं?
महाराष्ट्र की राजनीति में ये चर्चा बहुत आम है कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी-शिवसेना कोई न कोई बहाना बनाकर अजित पवार को महायुति से बाहर निकाल सकते हैं. शरद पवार की निगरानी में 30-35 साल राजनीति कर चुके अजित पवार को भी समय, काल, परिस्थितियां समझ आ रही होंगी. ऐन चुनाव के मौके पर पुरानी पार्टी, पुराने MVA और परिवार में वापसी फिलहाल मुश्किल है. क्या पता बीजेपी-शिवसेना में और भी हों जिन्हें उनसे उल्टियां आती हों लेकिन मजबूरी ये है कि सब बोल नहीं सकते. बिना अजित पवार सरकार नहीं चल सकती.
लाड़ली बहना योजना का क्रेडिट लेने की होड़
अजित पवार उल्टियों का बदला लेने लगे हैं. अजित पवार डिप्टी सीएम होने के नाते महाराष्ट्र के वित्त मंत्री भी हैं. बजट पेश हुआ तो वित्त मंत्री होने के नाते अजित पवार ने लाडली बहना स्कीम शुरू की. इसके क्रेडिट की लड़ाई में महायुति गठबंधन में बीजेपी पिस रही है. आरोप लग रहे हैं कि अजित पवार ने सरकारी पोस्टरों से सीएम एकनाथ शिंदे की फोटो ही गायब करा दी है. अजित पवार लाडली बहना स्कीम के क्रेडिट पर अपना दावा ठोंक रहे हैं. ये सारे इशारे महायुति में फूट के हैं. शिंदे और अजित पवार के महायुद्ध पर महाविराम लगाने के लिए देवेंद्र फडणवीस को एक्टिव होना पड़ा है.
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