Manipur Violence: मणिपुर में हिंसा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को संदिग्ध उग्रवादियों ने पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर पर रॉकेट से हमला किया. इस हमले में एक बुजुर्ग व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई और पांच अन्य लोग घायल हो गए. इंफाल में शुक्रवार के दिन का ये दूसरा रॉकेट हमला है. बता दें कि इससे पहले निचले इलाके में ऊपर के पहाड़ों से हमला किया गया था. न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, रॉकेट सीधे पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर के परिसर में गिरा. घटना के समय एक बुजुर्ग व्यक्ति कुछ धार्मिक अनुष्ठानों की तैयारी कर रहे थे. उनकी मौके पर ही मौत हो गई. इस धमाके में 13 साल की एक लड़की सहित पांच लोग घायल हो गए.
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INA मुख्यालय के पास हमला
रिपोर्ट के अनुसार, रॉकेट INA मुख्यालय से लगभग दो किलोमीटर दूर गिरा. याद दिला दें कि 14 अप्रैल 1944 को, भारतीय राष्ट्रीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल शौकत अली ने मोइरांग में पहली बार तिरंगा झंडा फहराया था. शुक्रवार को उग्रवादियों ने बम से भी एक हमला किया था, जिससे दो बिल्डिंग क्षतिग्रस्त हो गईं. पुलिस ने बताया कि रॉकेट्स की मारक क्षमता 3 किलोमीटर से ज्यादा होने का अनुमान है.
पुलिस के मुताबिक, बम विस्फोट की वजह से एक स्थानीय सामुदायिक हॉल और एक खाली कमरा डैमेज हो गया है. इस हमले में किसी के घायल होने की खबर नहीं है. मणिपुर में हो रही हिंसा ने लोगों में डर का माहौल पैदा कर दिया है.
मणिपुर में ड्रोन से पहला हमला
1 सितंबर को मणिपुर के इंफाल वेस्ट जिले के कोत्रुक गांव में हिंसा के दौरान पहली बार ड्रोन का इस्तेमाल किया गया. उग्रवादियों ने पहाड़ी के ऊपरी हिस्से से कोत्रुक और कडांगबांड घाटी के निचले क्षेत्रों पर फायरिंग की और ड्रोन के जरिए बम गिराए. इस हमले में दो लोगों की मौत हो गई और नौ लोग घायल हो गए. यह मणिपुर में जारी हिंसा की कड़ी में एक नया और खतरनाक संकेत है, जिसने स्थिति को और भी अधिक तनावपूर्ण बना दिया है.
क्या है हिंसा का कारण?
मणिपुर में जारी हिंसा का मुख्य कारण मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव है. 19 अप्रैल को मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को चार हफ्तों के भीतर मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एसटी) के अंतर्गत शामिल करने के अनुरोध पर विचार करने का निर्देश दिया था. इस निर्णय के बाद राज्य में अस्थिरता बढ़ गई, जिससे समुदायों के बीच तनाव और बढ़ता चला गया.
ऑल ट्राइबल्स स्टूडेंट्स यूनियन (ATSU) मणिपुर ने 3 मई को इस फैसले के विरोध में एक आदिवासी एकजुटता मार्च का आयोजन किया जिसने आग में घी डालने का काम किया और हिंसा की आग और ज्यादा भड़क गई. यह रैली इंफाल से करीब 65 किलोमीटर दूर चुराचांदपुर जिले के तोरबंद इलाके में हुई थी. हालांकि, आज तक ये बात साफ नहीं हो पाए है कि इस हिंसा की शुरुआत किसने की थी.
मैतेई और कुकी समुदायों के बीच बढ़ती दरार
मणिपुर की करीब 30 लाख की आबादी में मैतेई समुदाय बहुसंख्यक है, जो मुख्य रूप से मैदानी इलाकों में रहते हैं. यह समुदाय हिंदू धर्म का पालन करता है, जबकि कुछ मुस्लिम मजहब का मानने वाले भी हैं. दूसरी ओर, कुकी जनजाति पहाड़ी इलाकों में रहती है और ईसाई धर्म को मानती है. कुकी जनजाति मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का विरोध कर रही है, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनकी जमीनों पर खतरा बढ़ जाएगा.
कुकी समुदाय की चिंता है कि यदि मैतेई को एसटी का दर्जा मिल जाता है, तो वे पहाड़ी क्षेत्रों में आकर बस सकते हैं, जिससे उनकी जमीनों और अधिकारों पर संकट आ सकता है. इसी वजह से कुकी समुदाय ने संविधान की छठी अनुसूची में खुद को शामिल करने की मांग की है, ताकि उनके अधिकारों और जमीनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.
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