इमरान प्रतापगढ़ी... एक शायर कैसे बना राहुल गांधी का 'बब्बर शेर'?

रूपक प्रियदर्शी

13 Nov 2024 (अपडेटेड: Nov 13 2024 9:47 AM)

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ते हुए पहचान बनने लगी ऊर्दू शायरी में. मुशायरों में डिमांड होने लगी. मोहम्मद इमरान खान इमरान प्रतापगढ़ी के नए लिबास में शोहरत की बुलंदियां छूने लगे.

इमरान प्रतापगढ़ी

इमरान प्रतापगढ़ी

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Imran Pratapgarhi: राहुल गांधी ने जब से संविधान की ये रेड पॉकेट बुक संसद से लेकर रैलियों तक लहराना शुरू किया, बीजेपी का बैकफुट पर जाना शुरू हुआ. संविधान की इस किताब को दिखाने का मैसेज बस इतना कि बीजेपी, आरएसएस संविधान खत्म करना चाहते हैं. लोकसभा चुनाव में राहुल के इस मैसेज का जबर्दस्त इम्पैक्ट दिखा. रेड बुक आज बीजेपी से लड़ने वाले हर हाथ का हथियार बन चुकी है. लेकिन लड़ाई अभी खत्म कहां नहीं हुई है. 

इमरान प्रतापगढ़ी: कांग्रेस के लिए एक नया सितारा

महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की बहुत चर्चा हो रही है. लच्छेदार भाषणों, भीड़ जुटाने का मैग्नेट, मोदी-शाह पर करारे हमलों से इमरान प्रतापगढ़ी कांग्रेस के लिए बड़े असेट का काम कर रहे हैं. झारखंड में प्रतापगढ़ी जो कर रहे उसकी काट बीजेपी अब तक ढूंढ नहीं पाई. राहुल ने संविधान की किताब दिखाकर-दिखाकर बीजेपी की नींद हराम की हुई है. इमरान प्रतापगढ़ी तरकश से निकाल लाए भारत का मानचित्र यानी मैप तो बैचेन हो गई बीजेपी. भारत के किसी चुनाव में आज तक भारत के मैप का ऐसा इस्तेमाल किसी नेता ने नहीं किया. 

चर्चित चेहरा के इस खास एपिसोड के स्टार हैं इमरान प्रतापगढ़ी. जिक्र इसलिए कि इमरान प्रतापगढ़ी की कहानी है 

एक शायर की जो 6 साल में इतनी तेजी से बढ़ा कि पहले राहुल गांधी का ट्रस्टेड सोल्जर बना. अब सीधे मोदी, अमित शाह, बीजेपी, आरएसएस को चैलेंज कर रहा है. कन्याकुमारी से कश्मीर, रांची से मुंबई तक बीजेपी के एक-एक झूठ का पर्दाफाश करने के मिशन पर निकल पड़े इमरान प्रतापगढ़ी. जहां-जहां कांग्रेस चुनाव लड़ती है वहां से भर-भर आती हैं इमरान प्रतापगढ़ी की रैली, जनसभा, भाषण की डिमांड.

असम ऐसा एक राज्य है जिसकी सीमा भूटान और बांग्लादेश से लगती है. बीजेपी को भूटान से नहीं, बांग्लादेश से उन लोगों से समस्या है जिसे घुसपैठिये कहती है. हिमंता बिस्वा ने जंग छेड़ रखी है ऐसे कथित घुसपैठियों के खिलाफ. 24 घंटे दिन-रात घुसपैठिया-घुसपैठिया वाली रट लेकर झारखंड पहुंच गए तो तब इमरान प्रतापगढ़ी को निकालना पड़ा तिरंगे में रंगा भारत का मैप. झारखंड ऐसा एक राज्य है जिसकी सीमा किसी और देश से लगती नहीं. मैप लहराकर इमरान प्रतापगढ़ी को हिमंता और अमित शाह को यही सिंपल भूगोल समझाना पड़ा कि झारखंड में कहां से आ रहे हैं घुसपैठिया.

इमरान प्रतापगढ़ी की सियासी यात्रा

मोहम्मद इमरान खान से इमरान प्रतापगढ़ी इसलिए हो गए कि यूपी के प्रतापगढ़ में जन्मे. प्रतापगढ़ को तखल्लुस की तरह नाम में शामिल कर लिया. Unani medicine के प्रैक्टिसिंग डॉक्टर मोहम्मद इलियास खान और साजिदा खान की 10 संतानों में दूसरे नंबर के बेटे हैं इमरान. स्कूल में पढ़ते हुए इमरान  शेर-ओ-शायरी, कविताएं लिखने लगे. 
परिवार का साहित्य गजल-नज्म, शेरो-शायरी से कोई लेना-देना नहीं था. तब कहां पता था कि शौक इतनी बड़ी चीज होगी कि उसी से इमरान देश के बड़े शायर और संसद तक पहुंच जाएंगे. 
 

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से पढ़ते हुए पहचान बनने लगी ऊर्दू शायरी में. मुशायरों में डिमांड होने लगी. मोहम्मद इमरान खान इमरान प्रतापगढ़ी के नए लिबास में शोहरत की बुलंदियां छूने लगे. इतने बड़े और मशहूर शायर हो गए कि 2016 में 28 साल की उम्र में समाजवादी पार्टी के वक्त वाली यूपी सरकार ने यश भारती सम्मान से नवाज दिया. 

इमरान प्रतापगढ़ी की जिंदगी में 360 का यूटर्न तब आया जब 2018 में राहुल गांधी से मुलाकात हुई. उन दिनों राहुल गांधी यूपी में कांग्रेस में प्राण फूंकने के लिए नए-नए उपाय, नए-नए युवा चेहरों की तलाश में थे. राहुल को इमरान प्रतापगढ़ी बड़े बढ़िया लगे. इमरान की कांग्रेस और सियासत में एंट्री हो गई. 2019 के लोकसभा चुनाव में बिलकुल नए-नवेले प्रतापगढ़ी को मुरादाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मिल गया. प्रतापगढ़ी राहुल के जितने करीब माने जाते हैं उतने ही प्रियंका गांधी के भी.

कांग्रेस के स्टार कैंपेनर बने प्रतापगढ़ी

2019 का चुनाव कांग्रेस के लिए नाइटमेयर साबित हुआ. इमरान प्रतापगढ़ी की शेरो-शायरी से चली सियासत उल्टे मुंह गिरी. फिर भी राहुल को प्रतापगढ़ी में, प्रतापगढ़ी को राहुल में संभावनाएं दिखीं. सियासत और शायरी दोनों चलती रही. इमरान प्रतापगढ़ी कांग्रेस के स्टार कैंपेनर,  AICC अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष बन गए. नौजवान, मुसलमान, सेलिब्रिटी, सोशल मीडिया इन्फ्लूंसर-ऐसी अनेक खूबियों की बदौलत एक दिन 2022 में कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्यसभा सांसद बना दिया. जब इमरान राज्यसभा भेजे गए तभी गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा जैसे दिग्गजों का टिकट कटा था.

हुस्न, हसीना, इश्क, मोहब्बत-शायरों के दिलों के सबसे करीब रहे. इमरान प्रतापगढ़ी की शायरी का इश्क सियासी रहा. लिखते-लिखते देश, समय, काल, परिस्थितियों में जो देखा-समझा वही लेखनी बन गई. समझते लगे कि मुसलमानों की तालीम, हक, सियासत, एकता पर भी बोलना जरूरी है. भारत से लेकर फिलिस्तीन के मुसलमानों, दुनिया के आतंकवाद पर भी लिखा. सियासी प्रतापगढ़ी बनने से पहले कभी लिखा था-हमारे हाथों में शहनाई थमाई तो उस्ताद बिस्मिलाह खान, सरोद थमाया तो अमजद अली खान, तबला थमाया तो जाकिर हुसैन हो गए. अगर पैर डगमगाए तो हाजी मस्तान भी हो गए. 

फरवरी 2023 में राज्यसभा में इमरान प्रतापगढ़ी का भाषण वायरल हुआ. अपना परिचय मैं भारत का इमरान हूंबताते हुए ऊर्दू के शेर भी पढ़े और संस्कृत के श्लोक भी. कहा कि मुसलमान भी देशभक्त हैं लेकिन उनसे हर दिन देशभक्ति का सर्टिफिकेट नहीं मांगा जा सकता. हमारे लिए हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद है.

2017 के बाद चर्चा में आए

2017 में बीजेपी की सत्ता में वापसी से यूपी की राजनीति और समाज में बड़े-बड़े चेंज आने लगे. भगवाधारी योगी आदित्यनाथ के कमान संभालने के साथ इस्लामोफोबिया का दौर शुरू हुआ. मुसलमान, मदरसा, घर वापसी, कैराना सेंटर में आ गए. मुहल्लों की परतों पर हिंदू-मुसलमान की मोटी लकीर उभरने लगी. बीजेपी से इमरान प्रतापगढ़ी की अदावत उसी दौर में शुरू हुई. 2020 में मुरादाबाद में एंटी CAA प्रोटेस्ट करने पर योगी सरकार ने प्रतापगढ़ी पर 1 करोड़ 4 लाख का फाइन ठोंका था.

बीजेपी की राजनीति के खिलाफ कैराना बोल रहा है, मैं मुसलमान हूं, मदरसा जैसी नज्में प्रतापगढ़ी की कलम से निकली. बीजेपी की हिंदू-मुसलमान वाली राजनीति पर लिखना इमरान प्रतापगढ़ी के लिए फेवरेट हो चला. बीजेपी के खिलाफ उभरती इसी आवाज की गूंज राहुल गांधी तक पहुंचीं तो शुरू हुआ याराना. इमरान आज के दौर को गोडसे का दौर कहते हैं जिसमें वो राहुल को गांधी का दर्जा देते हैं. 

मुशायरों से आगे बड़ा प्लेटफॉर्म मिला यूट्यूब पर. यूट्यूब चैनल से प्रतापगढ़ी डंके की चोट पर मोदी और सरकार की पॉलिसियों के खिलाफ बोलने लगे. सोशल मीडिया पर स्टारडम का एक नया दौर शुरु हुआ. यूट्यूब पर नेताओं के हिट चैनलों में है इमरान प्रतापगढ़ी ऑफिशियल.

इमरान जब शेरो-शायरी की दुनिया में उभर रहे थे तब यूपी में डॉन का बोलबाला हुआ करता था. अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी बड़े लेकिन कुख्यात नाम थे. पत नहीं मजबूरी थी या प्रोफेशनल कमिटमेंट-इमरान प्रतापगढ़ी ने दोनों की शान में शेर लिखे. तब अतीक अहमद सपा के बड़े नेता हुआ करते थे. 2023 में जब अतीक मारा गया तब वीडियो वायरल हुआ कि कांग्रेस वाले इमरान प्रतापगढ़ी तो अतीक जैसे क्रिमिनल के बड़े फैन थे. बीजेपी से कांग्रेस को काफी कुछ सुनना पड़ा लेकिन कांग्रेस ने प्रतापगढ़ी को कमजोर नहीं होने दिया. 

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