Karnataka by-election: कर्नाटक की चन्नापटना विधानसभा सीट पर उपचुनाव से बीजेपी को बड़ा डैमेज हो गया. डैमेज के जिम्मेदार बने बीजेपी के पार्टनर जेडीएस नेता एच डी कुमारस्वामी जो अपने बेटे के मोह में ऐसी जिद पकड़ लिए हैं कि बीजेपी को घुटने पर आकर हां कहना पड़ा. कांग्रेस के चाणक्य डीके शिव कुमार ने ऐसे खेल किया कि बीजेपी और कुमारस्वामी देखते रह गए. फायदा कांग्रेस का हो गया.
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कहानी शुरू होती है सीपी योगेश्वर से. बीजेपी के बड़े नेता रहे. 5 बार विधायक रहे. बीजेपी सरकार में मंत्री रहे. पिछला चुनाव हारे तो बीजेपी ने एमएलसी बना था. कुमारस्वामी ने बीजेपी उम्मीदवार सीपी योगेश्वर को ही चुनाव में हराया था. तब बीजेपी और जेडीएस एक-दूसरे के खिलाफ लड़े थे.
उपचुनाव को लेकर जेडीएस ने प्रेशर डालकर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को इतना झुकाया कि सीपी योगेश्वर के पास कोई चारा नहीं बचा कि बीजेपी छोड़ने के अलावा. निर्दलीय चुनाव में उतरने की सोच रहे थे. डीके शिव कुमार ने बढ़िया ऑफर दे दिया तो सीपी योगेश्वर बीजेपी छोड़कर सीधे सिद्धारमैया के चरणों में आ गिरे.
2023 के विधानसभा चुनाव में कुमारस्वामी चन्नापटना सीट से जीते थे. 2024 में मैसूर से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद और मोदी सरकार में मंत्री बन गए. चन्नापटना में उपचुनाव उनके इस्तीफे से हो रहा है. कुमारस्वामी अड़ गए कि उनके इस्तीफे से जो सीट खाली हुई है वो जेडीएस के पास रहेगी. कुमारस्वामी ने ठान लिया कि बेटे निखिल को चुनाव लड़ाएंगे.
सीपी योगेश्वर के इर्द-गिर्द ऐसे चली राजनीति
जब कुमारस्वामी लोकसभा पहुंच गए तो बीजेपी की नजर चन्नापटना पर टिकी. सीपी योगेश्वर जैसा मजबूत उम्मीदवार रेडी था. जेपी नड्डा ने योगेश्वर को फोन भी किया लेकिन कुमारस्वामी ने बीजेपी को सीट लेने नहीं दी. बीजेपी अध्यक्ष होते हुए जेपी नड्डा ने योगेश्वर को ऑफर दिया कि बीजेपी छोड़ दीजिए. जेडीएस के टिकट पर लड़ जाइए. सीपी योगेश्नर ने जेडीएस के टिकट पर लड़ने से मना कर दिया.
उन्हें डीके का कांग्रेस में आने का ऑफर कहीं बेहतर लगा. चन्नापटना से योगेश्वर को कांग्रेस का टिकट लगभग कन्फर्म है. वैसे डीके ने अपने भाई डीके सुरेश या कांग्रेस नेता रामनंदन रमन्ना के लिए चन्नापटना सीट बचा रखी थी लेकिन कांग्रेस के लिए एक सीट जीतने के लिए योगेश्वर कुछ सोचकर ही लाए होंगे.
अब बीजेपी और जेडीएस के सामने खड़ी हो गई चुनौती
डीके के योगेश्वर वाले खेल से कुमारस्वामी के साथ-साथ बीजेपी फंस गई है. योगेश्वर इतने मजबूत माने जा रहे हैं कि कुमारस्वामी को अपने बेटे निखिल कुमारस्वामी की उम्मीदवार कमजोर दिखने लगी है. निखिल कुमारस्वामी बार-बार चुनाव हारे हैं. उनका करियर ठीक से शुरू ही नहीं हो पाया. 2019 को लोकसभा चुनाव में मैसूर से निर्दलीय उम्मीदवार सुमनलता से हारे. 2023 के चुनाव में मां अनिता की रामनगर सीट भी हार गए. अब 2024 की पिता की सीट पर भी मामला फंस गया है.
योगेश्वर कन्नड़ फिल्मों के एक्टर होते थे. एक्टिंग छोड़कर राजनीति में आए. वोक्कालिगा समुदाय के होने का भी फायदा था. बीजेपी ने बढ़ने का मौका दिया लेकिन जरा सी बात पर राजनीति पलट गई. खुद वोक्कालिगा होते हुए डीके शिवकुमार ने योगेश्वर के लिए कांग्रेस का दरवाजा खोलकर एक मजबूत वोक्कालिगा की एंट्री कराई है.
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