Kisan Protest: संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में हजारों किसान आज नोएडा से दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं. लंबे समय से नोएडा की तीनों प्राधिकरणों का घेराव कर रहे किसान अब संसद का घेराव करने का मन बना चुके हैं. यह कदम रविवार को प्रशासन के साथ हुई बातचीत के विफल होने के बाद उठाया गया है. किसान अब "दिल्ली चलो" के नारे के साथ अपने हक की लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं.
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प्रशासन-किसान बैठक विफल, दिल्ली कूच की तैयारी
रविवार को यमुना प्राधिकरण के सभागार में किसानों और प्रशासन के बीच हाई-लेवल बैठक करीब तीन घंटे तक चली. किसान प्रतिनिधियों ने अपनी मांगों को लेकर स्पष्ट रुख अपनाया, लेकिन अधिकारियों की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला. नाराज किसानों ने इसके बाद दिल्ली कूच करने का ऐलान कर दिया.
किसानों की मुख्य मांगें
1. मुआवजे में इजाफा: नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि के लिए चार गुना मुआवजा दिया जाए.
2. विकसित प्लॉट्स: जमीन अधिग्रहण के बदले 10% विकसित भूखंड दिया जाए.
3. रोजगार और पुनर्विकास: भूमिधर और भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्विकास का लाभ मिले.
4. अन्य मुद्दे: आबादी क्षेत्र का उचित निस्तारण और हाई-पावर कमेटी की सिफारिशों का इमप्लिमेंटेशन.
दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर सिक्योरिटी बढ़ाई गई
दिल्ली और नोएडा पुलिस ने किसानों के आंदोलन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. कई जगह बैरिकेडिंग की गई है, और पुलिस बल तैनात किया गया है. नोएडा-दिल्ली और चिल्ला बॉर्डर पर ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी हुई है. पुलिस ने लोगों को मेट्रो का उपयोग करने की सलाह दी है.
ट्रैफिक अलर्ट और डायवर्जन प्लान
किसानों के दिल्ली कूच को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने कई रास्तों को डायवर्ट किया है:
1. चिल्ला बॉर्डर से सेक्टर-15 और झुंडपुरा चौक
2. डीएनडी बॉर्डर से एलीवेटेड रोड
3. यमुना एक्सप्रेसवे से जेवर टोल होकर खुर्जा
क्या है आगे की योजना?
प्रदर्शनकारी किसान महामाया फ्लाईओवर पार कर गए हैं. अब वे ट्रैक्टरों के जरिए दिल्ली कूच करेंगे. गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़ और आगरा समेत 20 जिलों के किसान इस मार्च में शामिल हैं.
पंजाब और हरियाणा के किसान भी कूच करेंगे दिल्ली
पंजाब और हरियाणा के किसान 6 दिसंबर को दिल्ली कूच करेंगे. उनका नेतृत्व सरवन सिंह पंढेर जैसे किसान नेता कर रहे हैं. उनकी मांगें MSP पर कानूनी गारंटी, कर्ज माफी और बिजली दरों में स्थिरता को लेकर हैं.
सरकार से नाराजगी क्यों?
किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों पर बातचीत करने से बच रही है. किसानों का कहना है कि 18 फरवरी के बाद से कोई सार्थक चर्चा नहीं हुई है।
इनपुट- अरविंद ओझा
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