Aparajita Bill: रेप पीड़िता को जल्द न्याय दिलाने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार ने अपराजिता बिल बनाकर तैयार किया और इसे कानून बनाने गवर्नर के पास भेजा. लेकिन बंगाल के गवर्नर सीएम ममता बनर्जी पर इसे लेकर भड़क गए. गवर्नर का कहना है कि बिल को टेक्निकल रिपोर्ट के बिना ही भेजा गया है, इसलिए इसे मंजूरी नहीं दे सकते हैं.
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दरअसल, 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप-मर्डर के बाद राज्य सरकार पर महिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे थे। ममता सरकार ने 3 सितंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा में एंटी-रेप बिल पेश किया. यह बिल कानून तभी बनेगा, जब पश्चिम बंगाल के राज्यपाल आनंद बोस इसे मंजूरी देंगे और फिर इसे राष्ट्रपति को भेजेंगे. राष्ट्रपति की भी मंजूरी के बाद यह बिल कानून बन जाएगा.
लेकिन राज्यपाल आनंद बोस ने ही इस बिल को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है. राज्यपाल बोस का कहना है कि ममता बनर्जी ने जो यह बिल भेजा है, यह महाराष्ट्र, अरुणाचाल प्रदेश और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों द्वारा भेजे गए पूर्व के बिलों के जैसा ही है. राज्यपाल बोस साफ कहते हैं कि ममता बनर्जी का बिल कट-कॉपी-पेस्ट से अधिक नहीं है. इस तरह के बिल पहले से ही राष्ट्रपति के यहां मंजूरी के लिए पेंडिंग हैं. ऐसे में ममता बनर्जी को वैसा ही बिल नहीं भेजना चाहिए था. राज्यपाल इस बात से भी नाराज हैं कि बिल को बिना टेक्निकल रिपोर्ट के ही भेजा गया है, ऐसे में इस बिल को मंजूरी देना संभव नहीं है.
कैसा है ममता बनर्जी का अपराजिता बिल?
इस बिल के अनुसार पुलिस को रेप केस की जांच 21 दिन में पूरी करनी होगी. यदि रेप पीड़िता की मौत हो जाती है या वह कोमा में चली जाती है तो दोषी को सीधे फांसी हो. रेप पीड़िता जीवित भी रहती है तो दोषी को बिना पैरोल उम्रकैद की सजा हो. ऐसे ही कई कड़े प्रावधान इस बिल में किए गए हैं.
राज्यपाल ने ममता बनर्जी सरकार पर खड़े किए सवाल
राज्यपाल आनंद बोस ने ममता बनर्जी सरकार पर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं. बोस का कहना है कि ममता सरकार में कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ चुकी हैं. गलत काम करने वालों के खिलाफ एफआईआर होनी चाहिए.उन्हें सजा मिलनी चाहिए. आज बंगाल में कानून तो है, लेकिन उसका ठीक से पालन नहीं हो रहा है. कुछ लोगों को कानून के तहत सुरक्षा प्रदान की जा रही है. पुलिस का एक हिस्सा भ्रष्ट है, जबकि एक हिस्से का अपराधीकरण हो चुका है और एक हिस्से का राजनीतिकरण हो चुका है. बंगाल सरकार का रुख बद से बदतर होते जा रहा है. लोग कार्रवाई चाहते हैं और ममता सरकार को कार्रवाई के लिए कोई बहाना नहीं बनाना चाहिए.
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