Maharashtra Elections 2024: मुंबई शहर की माहिम सीट अमित ठाकरे के लिए सेफ रहेगी, यही सोचकर राज ठाकरे ने बेटे की पॉलिटिकल लॉन्चिंग के लिए चुनी. तब सोचा नहीं होगा कि इतना हंगामा कटेगा कि बेटे का पहला चुनाव बुरी तरह फंस जाएगा. बीजेपी तो अमित ठाकरे को चुनाव जिताना चाहती है लेकिन मामला उसके लिए भी कॉमप्लिकेटेड हो चुका है.
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माहिम सीट पर फंसा अमित ठाकरे का चुनाव
माहिम सीट को लेकर महायुति में भयंकर पैनिक चल रहा है. सारे घोड़े खोल दिए हैं. फिर भी अमित ठाकरे की जीत फंसी है. माहिम से शिवसेना उम्मीदवार सदा सरवणकर नामांकन वापस लेने के लिए तैयार नहीं हुए. सदा ने सोशल मीडिया पोस्ट से खुलासा कर दिया कि कैसे उन्हें खरीदने की कोशिश हुई. ऑफर मिला कि नामांकन वापस लिया तो विधान परिषद में भेज देंगे. मंत्री भी बना देंगे.
कहा जा रहा है राज ठाकरे की खुशी के लिए शिंदे ने सदा सरवणकर को राजी कर लिया था. राज ठाकरे से मिलने शिवतीर्थ बंगले पर भेजा भी लेकिन राज ठाकरे इंतजार कराते रहे. सदा सरवणकर से मिले नहीं. बात फाइनली बिगड़ गई.
सदा सरवणकर का नामांकन वापसी से इनकार
राज ठाकरे चिढ़े बैठे थे लेकिन चुप थे. डील थी कि महायुति माहिम में अमित ठाकरे को वॉकओवर देगी. MNS मुंबई की सीटों पर वॉकओवर देगी. जब बेटे की सीट माहिम ही फंस गई तो महायुति से काहे की डील. माहिम, वर्ली समेत 25 सीटों पर MNS उम्मीदवार खड़े रखे. किसी से पर्चा वापस नहीं कराया. राज ठाकरे के इस कड़े फैसले से एमवीए विरोधी बंटेगा. क्या पता इसका फायदा एमवीए को ही मिल जाए.
राज ठाकरे ने डोंबिवली से नारियल फोड़कर चुनाव प्रचार शुरू किया तो निशाने पर आ गए एकनाथ शिंदे. उद्धव ठाकरे के लिए कहीं कोई नरमी नहीं लेकिन बोलना शुरू किया तो धड़ाधड़ शिंदे पर हमले करते रहे. तंज कसा कि मेरा तो एक ही विधायक था. नहीं तो मेरा निशान भी ले लेते. ये भी सुनाया कि शिंदे ने कहा था कि कांग्रेस, एनसीपी की गोद में नहीं बैठ सकते. एक साल बाद अजित पवार आ गए और उनकी गोद में बैठ गए.
राज ठाकरे का शिंदे पर निशाना
अगला हमला ये कि शिंदे के मंच पर भोजपुरी सॉन्ग लॉलीपॉप लागेलु पर लड़की का डांस कैसे हुआ. कुर्ला में शिंदे के मंच पर लड़की का भोजपुरी डांस हुआ था. राज ठाकरे ने शिंदे से पूछा-यही है आपकी लाडली बहन योजना?
राज ठाकरे खुद माहिम में रहते हैं. 2009 में राज ठाकरे की पार्टी MNS का पहला उम्मीदवार माहिम से जीता था. माहिम में शिवसेना मतलब ठाकरे के नाम पर वोट पड़ते रहे. सदा सरवणकर जीतते रहे. अब राजनीति ऐसी बदली कि बाला साहेब का शिवसैनिक बाला साहेब के पोते के खिलाफ लड़ पड़ा. उद्धव ठाकरे ने भी राज ठाकरे के बेटे यानी अपने भतीजे अमित ठाकरे के लिए कोई दरियादिली दिखाई नहीं. एमवीए के उम्मीदवार शिवसेना यूबीटी के महेश सावंत अमित ठाकरे और सदा सरवणकर से लड़ रहे हैं.
राज ठाकरे बीजेपी से कम, शिंदे से ज्यादा बिगड़े लगते हैं. अमित ठाकरे की उम्मीदवारी के बाद भी शिंदे ने ही सदा सरवणकर को उतारा था. शिंदे राज ठाकरे पर ब्लेम कर रहे हैं कि उन्होंने सीधे उम्मीदवार खड़े कर दिए.
शिवसेना का पारंपरिक गढ़ बना महाभारत का मैदान
राज ठाकरे एकनाथ शिंदे को जानते भी हैं, बढ़िया से पहचानते भी हैं. दोस्ताना तब का है जब राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे, सदा सरवणकर सब बाला साहेब के शिवसैनिक होते थे. बाला साहेब के जीते जी राज ठाकरे अलग हुए. बाला साहेब के जाने के बाद एकनाथ शिंदे ने ये कहते हुए उद्धव ठाकरे को इसलिए छोड़ा कि वो कांग्रेस-एनसीपी के साथ हो लिए थे.
सदा सरवणकर तीन बार माहिम से चुनाव जीत चुके हैं. उनको पहली बार टिकट तब मिला था जब बाला साहेब ठाकरे जीवित थे. सदा याद कर रहे हैं कि दादर-माहिम में 50 रिश्तेदार रहते हुए भी उन्होंने मुझ जैसे आम कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाया. अगर बालासाहेब होते तो मुझसे अपने रिश्तेदार के लिए सीट छोड़ने के लिए नहीं कहते.
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