चंद्रबाबू नायडू के बाद रेवंत रेड्डी करने जा रहे 2 बच्चों वाली पॉलिसी खत्म, क्या है इसके पीछे की कहानी?

रूपक प्रियदर्शी

• 04:11 PM • 02 Dec 2024

2 Child Policy: एक रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू के बाद तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी बड़ा फैसला करने जा रहे हैं. 2 बच्चों वाली पॉलिसी खत्म करने की तैयारी हो गई है.

Telangana Chief Minister A Revanth Reddy

Revanth Reddy

follow google news

2 Child Policy: हमारे दो हमारे दो-ये पॉलिसी इंदिरा गांधी की सरकार बनाई थी. परिवार नियोजन यानी छोटे परिवार के लिए बालकवि बैरागी ये नारा देकर अमर हो गए. फिर कहा जाने लगा कि बच्चे दो ही अच्छे, छोटा परिवार, सुखी परिवार. करीब 50 साल से परिवार के लिए यही नारा चल रहा था लेकिन छोटे परिवार वाली कहानी बड़े राजनीतिक खेल में फंसकर तेजी से बदलने लगी है. 

हमारे दो हमारे दो" से "बच्चे तीन जरूरी" तक का सफर

अक्टूबर में आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने 2 बच्चों वाली पॉलिसी खत्म की. फिर स्टालिन कहने लगे कि 16 बच्चे पैदा करो. बिलकुल नई आई है मोहन भागवत की सलाह कि बच्चे 3 तो होने ही चाहिए. मतलब जो चल रहा है वो हमारे दो हमारे दो, बच्चे दो ही अच्छे जैसे नारे खत्म करने की नई मुहिम है. ऐसा माना जाता है कि जब परिवार नियोजन मुहिम शुरू हुई तब दक्षिण के राज्यों ने बेहतर परफॉर्म किया. मतलब कम बच्चे पैदा करने पर फोकस किया. लेकिन उसी ईमानदारी का नतीजा ये है कि समाज और राजनीति दोनों खतरे में आ गया है.

2 बच्चों की नीति क्यों खत्म हो रही है?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू के बाद तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी बड़ा फैसला करने जा रहे हैं. 2 बच्चों वाली पॉलिसी खत्म करने की तैयारी हो गई है. ये बंदिश खत्म हो जाएगी कि 2 से ज्यादा बच्चे होने पर पंचायत चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. रेवंत रेड्डी सरकार ने खतरा भांप लिया है कि अभी कुछ नहीं किया तो 2047 तक केवल बुजुर्ग रह जाएंगे जबकि राज्य को जरूरत है युवाओं की. चंद्रबाबू नायडू और एमके स्टालिन ने भी यही थ्योरी दी थी कि ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया तो आने वाले कुछ सालों में केवल बुजुर्ग रह जाएंगे. 

कितने बच्चे पैदा कर सकते हैं, देश में ऐसा कोई कानून नहीं है. कानून ये है कि 2 से ज्यादा बच्चे वाले परिवारों को कई सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता. 13 राज्यों ने ये पॉलिसी लागू की थी कि संसद से पंचायत तक 2 से ज्यादा बच्चे वाले चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. सरकारी नौकरी के लिए भी शर्त बनाया गया. अब हो ये रहा है कि 2 बच्चों की पॉलिसी धीरे-धीरे खत्म हो रही है. मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ़, हिमाचल खत्म कर चुके हैं. आंध्र प्रदेश पॉलिसी खत्म करने वाला पांचवां राज्य हाल में बना. तेलंगाना ऐसा करने वाला छठा राज्य होगा.

इंडिया एजिंग का जबर्दस्त असर दक्षिण के राज्यों में पड़ने का अनुमान है. आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना में बुजुर्गों की आबादी अभी ही उत्तर के राज्यों से ज्यादा है. 2026 तक और ज्यादा बढ़ने की आशंका है. यहीं से शुरू हुई दक्षिण के राज्यों में ज्यादा बच्चे पैदा करो वाली मुहिम. चिंता केवल सोशल डेमोग्राफी यानी आंध्र, तमिलनाडु या तेलंगाना के बुजुर्ग होने की नहीं है. असली कहानी ये है कि अगर ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कराए तो दक्षिण के राज्यों से कम सांसद संसद पहुंच पाएंगे. टीडीपी, डीएमके, बीआरएस जैसी रीजनल पार्टियों की राजनीति का डिब्बा गोल हो जाएगा. 

डिलिमिटेशन और वन नेशन, वन इलेक्शन का समीकरण

मोदी सरकार वन नेशन, वन इलेक्शन पर बढ़ रही है. सरकार की मर्जी पर है कि लागू कब करना है. उससे पहले 2026 में लोकसभा सीटों का डिलिमिटेशन यानी परिसीमन होना है. लोकसभा की सीटों के नंबर और एरिया आबादी से तय होते हैं. दक्षिण के राज्यों को डर है कि डिलिमिटेशन से उनकी लोकसभा सीटें घट जाएंगी, उत्तर भारत वाली लोकसभा सीटें बढ़ जाएंगी. फिलहाल दक्षिण से लोकसभा की 130 सीटें हैं. डिलिमिटेशन के बाद ये नंबर और कम हो सकता है. लॉजिक सिंपल है कि उत्तर में राज्यों की संख्या ज्यादा और आबादी ज्यादा है. डिलिमिटेशन से और ज्यादा लोकसभा सीटें उत्तर के राज्यों में बनेंगी.

डिलिमिटेशन की इस एक्सरसाइज से सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को होना है. लाख कोशिशों के बाद भी बीजेपी कर्नाटक के अलावा किसी और राज्य में जम नहीं पाई. लोकसभा की 130 सीटों पर बीजेपी मैक्सिम 25से 30 सीटें तक जीत पाई है.  दक्षिण की सीटें कम होंगी तो उत्तर में जुड़ेंगी. उत्तर में बीजेपी लगभग हर राज्य में ठीकठाक पोजिशन में हैं. कांग्रेस भी उत्तर के मुकाबले दक्षिण में बेहतर कर रही है.  डिलिमिटेशन और वन नेशन वन इलेक्शन दोनों का गुणाभाग बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाला है.

जनसंख्या घटने का डर

भारत में बच्चे पैदा करने यानी प्रजनन दर घट रही है. दक्षिण के राज्यों का माथा ठनकना शुरू हुआ संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की इंडिया एजिंग रिपोर्ट 2023 आने के बाद. 1 जुलाई 2022 तक देश में 60 साल से ऊपर की आबादी 10.5 परसेंट या 14 करोड़ 90 लाख थी. 2050 में बुजुर्गों की ये आबादी एकदम डबल होकर 20.8 परसेंट या 34 करोड़ 7 लाख होने का अनुमान है. हर पांच में से एक सीनियर सिटीजन होगा. इंडिया एजिंग रिपोर्ट ने ये तो सलाह दी कि इतने सीनियर सिटीजन हो जाएंगे तो सरकार को बुजुर्गों के सम्मानजनक जीवन के लिए नीतियों में बदलाव करना चाहिए.

    follow google newsfollow whatsapp