Ratan Tata passes away: उद्योगपति रतन टाटा के निधन पर सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. इंटरनेशनल मीडिया ने भी उन्हें लेकर विशेष आलेख छापे हैं. अल जजीरा, बीबीसी से लेकर पाकिस्तान के प्रमुख मीडिया हाउस द डॉन ने भी उन्हें लेकर विशेष आलेख प्रकाशित किए हैं. रतन टाटा का बीती रात मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पीटल में इलाज के दौरान निधन हो गया. वे 86 साल के थे.
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बीबीसी ने अपने आलेख में लिखा है कि "इस दिग्गज ने दो दशक से भी ज्यादा समय तक टाटा समूह का नेतृत्व किया. इस समूह को नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक की 100 से ज्यादा कंपनियों के समूह के रूप में जाना जाता है. इसमें लगभग 6 लाख 60 हजार लोग काम करते हैं. समूह का वार्षिक राजस्व 100 बिलियन डॉलर (करीब 8 लाख करोड़) से ज्यादा है.
'द स्टोरी ऑफ टाटा' के लेखक पीटर केसी के अनुसार, कंपनी का सिद्धांत पूंजीवाद को परोपकार से जोड़ता है. और ये समूह इस तरह से व्यवसाय करता है कि इससे दूसरों का जीवन बेहतर हो."
वहीं कतर के प्रमुख इंटरनेशनल मीडिया हाउस अल जजीरा ने लिखा है कि "टाटा समूह ने 2009 में ‘टाटा नैनो’ कार बनाकर पूरे ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को सरप्राइज कर दिया था. 2009 में, कंपनी ने ‘टाटा नैनो’ लॉन्च करके ऑटोमोबाइल उद्योग को चौंका दिया. ये एक छोटी कार थी जिसकी कीमत लगभग 1 लाख रुपये थी. इसे ‘पीपुल्स कार (आम लोगों का कार)’ के रूप में प्रचारित किया गया.
इसमें पांच लोग बैठ सकते थे. टाटा ने कहा था कि ये लाखों मध्यम और निम्न आय वाले भारतीय उपभोक्ताओं को सुरक्षित, किफायती, सभी मौसमों में परिवहन का साधन प्रदान करेगा. हालांकि, कम बिक्री के कारण कंपनी ने 2018 में इसका उत्पादन बंद कर दिया."
न्यूयाॅर्क टाइम्स ने रतन टाटा को ऐसे याद किया
अमेरिका का प्रमुख मीडिया हाउस द न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि “टाटा ने लाइमलाइट से दूर रहना पसंद किया. और एक शर्मीले-अकेले व्यक्ति की सार्वजनिक छवि पेश की. एक ऐसे व्यक्ति जिन्होंने कभी शादी नहीं की या बच्चे नहीं किए. लेकिन अपने करियर के आखिरी दौर में वो एक बड़े विवाद में फंस गए. जब उन्होंने टाटा समूह के बोर्ड को अपने चुने हुए उत्तराधिकारी को हटाने के लिए मना लिया. इसके बाद हुए कानूनी विवाद को सुलझने में कई साल लग गए. और ये लगातार मीडिया का ध्यान आकर्षित करता रहा.”
पाकिस्तान के इस अखबार ने रतन टाटा के बारे में क्या लिखा?
पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन ने लिखा है कि "रतन टाटा कई हाई प्रोफाइल अधिग्रहणों का हिस्सा रहे. उन्होंने टाटा समूह को वैश्विक मंच पर स्थापित किया. अखबार ने आगे लिखा है कि अपने शुरुआती कदमों में रतन टाटा ने टाटा समूह की कुछ कंपनियों के प्रमुखों की शक्तियों पर लगाम लगाने की कोशिश की. रिटायरमेंट की आयु तय की, युवाओं को बड़े पदों पर प्रमोट किया और कंपनियों पर नियंत्रण बढ़ाया".
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