BJP और RSS के बीच ये किस तरह की है बैचेनी? मोहन भागवत के बयानों से भाजपा में मची हुई है हलचल

रूपक प्रियदर्शी

• 05:17 PM • 09 Sep 2024

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत लगातार अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. वह बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर ही ऐसे कटाक्ष कर रहे हैं, जिनका निशाना कहीं न कहीं पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ रहता है.

Mohan Bhagwat and PM Narendra Modi

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत लगातार अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं.

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बीजेपी और आरएसएस के बीच अंदरुनी स्तर पर विचारों को लेकर टकराव सामने आ रहे.

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लोकसभा चुनाव परिणाम सामने आने के बाद से मोहन भागवत के बयानों ने हलचल मचाई.

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत लगातार अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं. वह बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी का नाम लिए बगैर ही ऐसे कटाक्ष कर रहे हैं, जिनका निशाना कहीं न कहीं पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ रहता है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर मोहन भागवत के उस बयान को पाेस्ट किया, जिसमें उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि हम भगवान बनेंगे या नहीं, इसका फैसला लोग करेंगे. हमें ये प्रचार नहीं करना चाहिए कि हम भगवान बन गए हैं.

मोहन भागवत ने यह कोई पहला बयान इस तरह का नहीं दिया है. वे 4 जून के बाद से लगातार ही इस तरह के बयान दे रहे हैं, जिसमें वे कहीं न कहीं पीएम नरेंद्र मोदी और उनके द्वारा कही गई बातों या किए गए कार्यों पर आलोचना करते हुए दिख रहे हैं. ऐसे में आलोचक सवाल खड़े कर रहे हैं कि मोहन भागवत के कई बयान कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा की गई आलोचनाओं से बहुत मिलते-जुलते दिखते हैं.

आलोचकों द्वारा इस तरह की बात करने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि आरएसएस को हमेंशा से बीजेपी के ऊपर देखा और माना गया है. संघ को बीजेपी का गाइडिंग फोर्स, सरसंघचालक द्वारा दिया गए संदेश को माना जाता है. परम्परा ये रही है कि ये संदेश भी साल में एक-दो बार से ज्यादा नहीं आता. लेकिन 4 जून के बाद से जब से लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आए हैं, तब से मोहन भागवत लगातार अपने बयान दे रहे हैं. जिसके बाद से सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या बीजेपी और आरएसएस के बीच सब ठीक चल रहा है?

जेपी नड्‌डा के बयान के बाद से बिगड़ी है स्थिति

बीजेपी और आरएसएस के बीच अंदरखाने में जिस तरह की तस्वीर उभरी है, उसकी एक बड़ी वजह बना था जेपी नड्‌डा का वह इंटरव्यू जाे उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को दिया था. इंडियन एक्सप्रेस ने इंटरव्यू में पूछा कि अटल बिहारी वाजपेयी के समय और अब के बीच RSS की स्थिति कैसे बदली है? जेपी नड्डा ने कह दिया-शुरू में हम अक्षम होंगे. थोड़ा कम होंगे. तब RSS की जरूरत पड़ती थी. आज हम बढ़ गए हैं और सक्षम हैं तो BJP अपने आप को चलाती है.

ऐसा माना जाता है कि चुनाव में इस बयान का बड़ा खेल हुआ. केरल के पलक्कड़ में जेपी नड्डा संघ के अखिल भारतीय समन्वय बैठक में पेच वर्क के लिए पहुंचे. संघ-बीजेपी संबंधों पर चर्चा हुई. लेकिन संघ ने कन्फर्म नहीं किया कि मामला खत्म हो गया है. कहा कि ये पारिवारिक मामला है. इसे हल किया जाएगा. 

4 जून के बाद से सार्वजनिक जगहों पर नहीं मिले हैं मोदी और भागवत

4 जून के बाद से मोदी और मोहन भागवत की सार्वजनिक मुलाकात नहीं हुई है. 240 सीटें आने के कारण चूंकि बीजेपी वीक प्वॉइंट पर है. इसलिए संघ या मोहन भागवत की हर बात में विपक्ष टकराव, तकरार, मतभेद ढूंढने लगता है. टकराव, मतभेद बीजेपी-संघ की पुरानी कहानी है. भागवत के बयानों से ये सब थोड़ा ज्यादा खुलकर सामने आ रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि संघ की मजबूरी है कि उसके पास बीजेपी का विकल्प नहीं. बीजेपी के पास संघ का भी विकल्प नहीं है. 

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