Chhattisgarh coal scam: छत्तीसगढ़ के चर्चित कोल घोटाले में बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या चौरसिया को जमानत दे दी है. ये नाम सामने आने के बाद पूरे देश में इनकी चर्चा होने लगी है. इसकी वजह है सौम्या चौरसिया का वह बैकग्राउंड जिसकी दम पर एक समय वह छत्तीसगढ़ की सबसे ताकतवर नौकरशाह बन गई थी. भले ही वह छोटे कैडर की अफसर थी.
ADVERTISEMENT
पहले जान लेते हैं कि आखिर ये सौम्या चौरसिया है कौन. सौम्या चौरसिया 2008 बैच की छत्तीसगढ़ राज्य प्रशासनिक सेवा की अफसर हैं. लेकिन वे तब चर्चित हुईं जब उनको छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने उप सचिव बनाकर सीएम कार्यालय में पदस्थ किया. अमूमन इस पद पर किसी सीनियर आईएएस अफसर को पदस्थ किया जाता है लेकिन कई वरिष्ठ अफसरों को दरकिनार कर सौम्या चौरसिया को छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक सेवा में तेजी से तरक्की मिली. सीएम भूपेश बघेल के कार्यकाल में सौम्या चौरसिया की ताकत छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी में किसी भी सीनियर आईएएस अफसर से कम नहीं थी.
लेकिन उनकी इस ताकत पर ग्रहण तब लगा, जब वे ED के रडार पर आईं. दरअसल छत्तीसगढ़ के चर्चित 500 करोड़ रुपए के कोल घोटाले में उनका नाम सामने आ गया था. जिसके बाद ईडी ने जांच-पड़ताल शुरू की. EOW की जांच में सौम्या चौरसिया के पास 9 करोड़ 20 लाख रुपए की बेनामी संपत्ति मिली.
इस दौरान ED ने जब छत्तीसगढ़ में कोयला घोटाले में 500 करोड़ रुपए की अवैध उगाही को लेकर जांच शुरू की तो इनका नाम प्रमुख आरोपियों में आया और फिर इन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया. ED ने इस मामले में सूर्यकांत तिवारी, कोल वॉशरी संचालक सुनील अग्रवाल, IAS समीर बिश्नोई, IAS रानू साहू, पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, सौम्या चौरसिया सहित कुल 36 लोगों पर एफआईआर दर्ज की. वे एक साल और 9 महीने से इस मामले में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद थीं.
सुप्रीम कोर्ट ने दी है इन शर्तों पर जमानत
सौम्या चौरसिया को मनी लॉन्ड्रिंग केस में सशर्त जमानत दी गई है. पहली शर्त है कि वह ट्रायल कोर्ट के सामने पेश होती रहेंगी. दूसरी शर्त है कि उनका पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट के पास जमा रहेगा. तीसरी शर्त है कि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और अपने प्रभाव का इस्तेमाल भी नहीं करेंगी. आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने भी सौम्या चौरसिया की जमानत याचिका को नामंजूर कर दिया था, जिसके बाद सौम्या ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की डबल बेंच ने यह जमानत दी है. बेंच ने इसे लेकर भी ऐतराज जताया कि उन्हें किस आधार पर 1 साल 9 महीने तक जेल में रखा गया और जमानत क्यों नहीं दी गई, जबकि मामले में 3 अन्य सह आरोपियों को जमानत भी मिली है. हालांकि सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ED की ओर से तर्क दिया कि वह प्रभावशाली पद पर थीं जो प्रकरण को प्रभावित कर सकती थीं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और सशर्त जमानत मंजूर कर दी.
ये भी पढ़ें- बदलापुर एनकाउंटर पर हाईकोर्ट सख्त, लेकिन सीएम एकनाथ शिंदे ने आरोपी को हैवान बता कार्रवाई को जायज बताया
ADVERTISEMENT