आंध्र प्रदेश के तिरुपति में तिरुमला की पहाड़ी पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर देश के सभी अमीर मंदिरों में टॉप पर है. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस मंदिर की कुल संपत्ति वर्ष 2022 में ढाई लाख करोड़ से ज्यादा थी. अनुमान है कि अब इस मंदिर की कुल संपत्ति साढ़े तीन लाख करोड़ से भी अधिक होगी. तिरुपति मंदिर की चर्चा इस समय जोरों पर है. वजह है मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को भोग लगने वाला खास प्रसाद (श्रीवारी लड्डू) 'प्रसादम' को लेकर बड़ा विवाद हो गया है.
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लड्डू के लिए सप्लाई होने वाले घी में बीफ फैट (गाय की चर्बी), फिश ऑयल (मछली का तेल) और एनिमल टैलो के मिलावट का आरोप है. मंदिर में करीब 50 सालों से कर्नाटक मिल्क फेडरेशन तिरुमाला ट्रस्ट (TTD) को लड्डू बनाने के लिए नंदिनी घी की सप्लाई कर रहा था. जगन रेड्डी सरकार में घी का ठेका एआर डेयरी समेत अलग-अलग कंपनियों को दिया गया.
जुलाई 2024 में टीडीपी सरकार आई तो जांच के बाद मिली गड़बड़ियों को लेकर वर्तमान कंपनियों का ठेका कैंसिल कर दिया. इसके बाद कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को वापस इसका ठेका दे दिया गया. इधर विवाद के बाद टीडीएस ने दावा किया है कि अब मंदिर का प्रसादम श्रीवारी लड्डू अब पवित्र है. हम इसे आगे भी पवित्र बनाए रखने के लिए प्रतिद्ध हैं.
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कई बड़ी कपनियों से ज्यादा है मंदिर की संपत्ति
तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanams) की तरफ से वर्ष 2022 में श्वेतपत्र जारी किया गया था. इंडिया टुडे में प्रकाशित खबर के मुताबिक इस श्वेतपत्र में ट्रस्ट ने सावधि जमा और जमा किए गए सोने समेत अपनी संपत्तियों की घोषणा की थी. ट्रस्ट ने कहा कि उसके पास 10 टन से अधिक सोना और 15,938 करोड़ रुपये नकद हैं, जिसकी कुल संपत्ति 2.26 लाख करोड़ रुपये है.
एक अनुमान के तहत यदि आज की तारीख में इस संपत्ति को कम से कम 3 लाख करोड़ ही मान लिया जाए तो ये बिस्किट कंपनी ब्रिटानिया 1.5 लाख करोड़, टाटा स्टील 1.9 लाख करोड़, टीवीएस मोटर्स 1.34 लाख करोड़ और हीरो मोटो कॉर्प 1.2 लाख करोड़ समेत कई और कंपनियों से कहीं बहुत ज्यादा है. ध्यान देने वाली है कि ये अमाउंट कंपनियों का मार्केट कैप है.
मंदिर का 11 हजार किलो Gold बैंकों है जमा
TOI की एक रिपोर्ट के मुताबिक मंदिर ट्रस्ट को वर्ष 2023 में दान के रूप में लगभग एक हजार किलोग्राम से ज्यादा सोना मिला है जिसकी कीमत 773 करोड़ रुपये के करीब है. कई राष्ट्रीयकृत बैंकों में में मंदिर ट्रस्ट का करीब 11 हजार किलो से ज्यादा सोना जमा है जिसकी कीमत 8 हजार करोड़ से ज्यादा है.
वर्ष 2023 में 1,161 करोड़ का रिकॉर्ड कैश मिला
रिपोर्ट के मुताबिक ट्रस्ट TTD ने साल 2023 में 1 हजार 161 करोड़ रुपये की सावधि जमा की है.ये रकम पिछले 12 वर्षों में सबसे ज्यादा है. पिछले 12 सालों की बात करें तो साल 2013 में 608 करोड़ रुपये, वर्ष 2014 में 970 करोड़ रुपये, 2015 में 961 करोड़ रुपये, 2016 में 1,153 करोड़ रुपये, 2017 में 774 करोड़ रुपये, 2018 में 501 करोड़ रुपये, 2019 में 285 करोड़ रुपये, 2020 में 753 करोड़ रुपये, 2021 में 270 करोड़ रुपये, 2022 में 274 करोड़ रुपये और वर्ष 2023 में 1,161 करोड़ रुपये ट्रस्ट ने बैंकों में जमा किए हैं.
बैंकों में 18 हजार करोड़ की नकद राशि
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक बैंकों में कुल एफडी 13,287 करोड़ रुपये तक जमा हो गई है. मंदिर निकाय द्वारा संचालित अलग-अलग ट्रस्ट जैसे श्री वेंकटेश्वर नित्य अन्नप्रसादम ट्रस्ट, श्री वेंकटेश्वर प्राणदानम ट्रस्ट समेत दूसरे ट्रस्ट ने 5,529 करोड़ रुपये की धनराशि जमा कर ली है. अप्रैल 2024 तक तिरुपति ट्रस्ट के बैंकों और इसके कई ट्रस्टों में नकद राशि 18,817 करोड़ रुपये तक हो गई है.
ट्रस्ट के पास कैसे आते हैं पैसे?
भक्त सबसे ज्यादा चढ़ावे में कैश देते हैं. कैश के बाद दूसरे नंबर सबसे ज्यादा सोना चढ़ाया जाता है. इसके अलावा टिकट बिक्री, प्रसाद, सेवा टिकटों से, आवास-कल्याण मंडपम से, किराया, टोल,प्रकाशन और कल्याण कट्टा समेत अन्य माध्यमों से ट्रस्ट के पास पैसे आते हैं. इसी तरह ट्रस्ट का भारी-भरकम खर्च भी है. जैसे मानव संसाधन भुगतान पर, ट्रस्ट सामग्रियों की खरीदी पर, अस्पताल, इंजीनीयरिंग, प्रबंधन सेवाओं, अलग-अलग संस्थाओं के अनुदान देने, हिंदू धर्म प्रचार परिषद पर खर्च, बिजली, सरकार को अनुदान, निविदा और प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशन पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं.
भक्तों के बाल और विवाह से भी आते हैं पैसे
टीटीडी के पास 307 स्थानों पर कल्याण मंडपम (विवाह स्थल) भी हैं. इनसे 4 करोड़ के आसपास आमदनी होती है. इसके अलावा प्रसाद, भक्तों से बाल, सावधि जमा पर ब्याज राशि के जरिए भी ट्रस्ट के पास पैसे आते हैं. भक्तों के बालों की हर महीने नीलामी की जाती है. इस वहां से करोड़ों रुपए की आमदनी होती है.
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क्यों चढ़ता है इतना चढ़ावा?
इसके पीछे एक किंवदंती चली आ रही है. कहते हैं कलियुग में धरती पर भगवान विष्णु का एक मात्र निवास स्थान तरुमला की पहाड़ी पर स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर है. जब भगवान वेंकटेश्वर (भगवान विष्णु) ने पद्मावती से विवाह किया था तब उनके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था. परंपरा का निर्वहन करने के लिए उन्होंने धन के देवता कुबेर से कर्ज लिया और कहा कि वे इसे कलियुग के अंत तक चुकाएंगे. कहते हैं भगवान का कर्ज चुकता करने में जो भक्त मदद करता है उसपर मां लक्ष्मी प्रसंन्न होती हैं और उन भक्तों को दोगुना संपदा देती है. मंदिर में स्थित हुंडी (गुल्लक) में भक्त लाखों रुपए दान देते हैं ताकि भगवान का कर्ज उतरने में मदद हो सके. ध्यान देने वाली बात है कि मंदिर में विष्णु रूप भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा है जिनके अगल-बगल मां पद्मावति और मां भार्गवी की प्रतिमा है जो मां लक्ष्मी की रूप हैं.
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