Sri Lankan President Anura Kumara: श्रीलंका में हाल में संपन्न हुए चुनाव के बाद उन्हें अपना नया राष्ट्रपति मिल गया है. इनका नाम अनुरा कुमारा है. लेकिन भारत में इनके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति बनने से अधिक चर्चा इनकी राजनीतिक विचारधारा, चीन के साथ इनके संबंध और अदाणी प्रोजेक्ट को लेकर दिए गए इनके पूर्व के बयानों पर हो रही है.
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अनुरा कुमारा दिशानायके श्रीलंका के प्रमुख कम्यूनिस्ट नेता हैं. इनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना यानी जेवीपी को श्रीलंका में हुए चुनाव में 42.3% वोट मिले और प्रथम स्थान पर रहे.दूसरे नंबर पर विपक्षी नेता प्रेमदासा रहे जिन्हें 32.8% वोट मिले. मौजूदा राष्ट्रपति रहे रानिल विक्रमसिंघे को सिर्फ 16 प्रतिशत वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे. रानिल विक्रमसिंघे ने जुलाई 2022 में श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान देश की बागडोर संभाली थी.
चूंकि अनुरा कुमारा दिशानायके ने पूरा जीवन कम्यूनिस्ट विचारधारा की राजनीति की, इस वजह से ऐसे तमाम मुद्दे जो पूंजीवाद को प्रेरित करते हों, उनका विरोध अनुरा कुमारा ने राजनीतिक जीवन में किया. गौतम अडाणी ने श्रीलंका में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में बड़ा निवेश किया है. अदाणी समूह ने श्रीलंका के उत्तर पूर्वी इलाके मन्नार और पूनेरिन में पवन ऊर्जा का प्रोजेक्ट लगाया है. इस प्रोजेक्ट पर अडाणी समूह कुल 44 करोड़ डॉलर खर्च करने जा रहा है.
अडाणी प्रोजेक्ट से 484 मेगावाट पवन ऊर्जा का होगा उत्पादन
इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 484 मेगावाट पवन ऊर्जा का उत्पादन यहां होगा. लेकिन इस प्रोजेक्ट को लेकर श्रीलंका में काफी विरोध भी है. अनुरा कुमारा की पार्टी ने प्रोजेक्ट को लेकर कई तरह के गंभीर आरोप भी लगाए, जिनमें सबसे गंभीर आरोप नीलामी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव होने का है. इस वजह से अनुरा कुमारा ने इस प्रोजेक्ट को लेकर पूर्व में कहा था कि अदाणी का पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट श्रीलंका की ऊर्जा संप्रभुता के लिए खतरा है. इसलिए उनकी पार्टी की सरकार बनने पर वे श्रीलंका में इस प्रोजेक्ट को बंद करा देंगे.
हालांकि उनके इस बयान के बाद काफी ऐसे बयान भी सामने आए हैं, जिनमें वे पूरी तरह से भारत की तरफ अपने झुकाव को दिखाते प्रतीत होते हैं. ऐसे में अनुरा कुमारा को अदाणी प्रोजेक्ट का विरोधी कहना या चाइना का अंध समर्थक बताना भी अतिश्योक्ति ही होगी.
फरवरी में भारत आए थे अनुरा कुमारा, कहा था थैंक्यू इंडिया
अनुरा कुमारा ने चुनाव से पूर्व बीते फरवरी माह में भारत का दौरा किया था. इस दौरान उनकी मुलाकात विदेश मंत्री एस.जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से भी हुई थी. अपने भारत दौरे के दौरान अनुरा कुमारा ने स्पष्ट कहा था कि श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान भारत ने दिल खोलकर मदद की थी. भारत द्वारा दी जाने वाली मेडिकल सुविधाओं के बिना श्रीलंका का गुजारा संभव नहीं है. श्रीलंका बड़े पैमाने पर दवाओं और मेडिकल उपकरणों के लिए भारत पर निर्भर है. वह भारत के साथ श्रीलंका के मजबूत संबंधों को ही आगे बढ़ाना चाहेंगे. लेकिन श्रीलंका की राजनीति को करीब से जानने वाले उनकी कम्यूनिस्ट विचारधारा आधारित राजनीति को देखकर उन्हें चीन का करीबी बताते हैं.
अनुरा कुमारा को लेकर विश्लेषक कंफ्यूजन में!
अनुरा कुमारा को लेकर जो भी मीडिया रिपोर्ट्स अब तक सामने आई हैं, उनमें बताया गया है कि अनुरा कुमारा ने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी द्वारा श्रीलंका में लिट्टों के खात्मे के लिए जो पीस कीपिंग फोर्स भेजी थी, उसका विरोध किया था. आपको बता दें कि पीस कीपिंग फोर्स ने श्रीलंका की सरकारी फौज के साथ मिलकर अपने समय के सबसे खूंखार उग्रवादी संगठन तमिल ईलम यानी लिट्टे के खिलाफ जंग लड़ी थी. वहीं दूसरी ओर अनुरा कुमारा पर यह भी आरोप लगाए जाते हैं कि वे तमिल अल्पसंख्यकों को लेकर भी विरोधी रुख रखते हैं. स्पष्ट है कि अनुरा कुमारा का विश्लेषण करने वाले किसी तरह के कंफ्यूजन में हैं, जिसकी वजह से वे अभी श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की आगामी रणनीति का सही तरीके से अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं.
इसलिए ये बहुत जल्दबाजी होगा कि श्रीलंका के अनुरा कुमारा को भारत विरोधी मान लिया जाए और उनको चीन का अधिक समर्थक बता दिया जाए. फिलहाल भारत सरकार श्रीलंका की नई सरकार को लेकर काफी सकारात्मक सोच रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी श्रीलंका के नए राष्ट्रपति को उनकी नई जिम्मेदारी के लिए बधाई दी और भारत व श्रीलंका के मजबूत संबंधों को पहले से भी अधिक प्रगाड़ता के साथ आगे ले जाने की बात कही.
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