कार में GNSS लगाकर 20 किमी की यात्रा पर बचा सकते हैं Toll Fee, कैसे काम करेगा ये सिस्टम? जानें पूरी डिटेल

बृजेश उपाध्याय

11 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 11 2024 5:17 PM)

अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों को छोड़कर कोई अन्य वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल,  बाइपास या सुरंग के जरिए यात्रा करता है तो उससे GNSS और OBU के जरिए एक दिन में प्रत्येक दिशा में 20 किमी यात्रा पर शुल्क नहीं लिया जाएगा. 

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तस्वीर: इंडिया टुडे.

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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अब FASTag की जगह ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम से टोल वसूलने की तैयारी.

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अब टोग गेट के बिना टोल रोड पर वाहन की यात्रा के आधार पर कटेंगे वॉलेट से पैसे.

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (ministry of Road Transport and Highways ) ने एक्सप्रेस-वे और टोल रोड पर यात्रा करने वालों के लिए बड़ी सौगात दी है. मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी कर राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम- 2008 में बदलाव कर दिया है. इसके तहत अब निजी वाहन को 20 किमी तक की यात्रा पर टोल फीस नहीं देना होगा. इसके आगे की यात्रा पर टोल लगेगा. यानी कार सवार 30 किमी तक यात्रा करता है तो पहले 20 किमी तक यात्रा फ्री होगी. अगले 10 किमी पर ही टोल टैक्स देना होगा. ये तभी संभव होगा जब निजी वाहनों में ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) लगा हो. 

अब टोल टैक्स को लेकर नया नियम जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) संशोधन नियम, 2024 के नाम से जाना जाएगा. इस बदलाव से उन वाहन चालकों को बड़ी राहत मिलेगी जो एक टोल गेट से ही एग्जिट होते थे और पूरा टोल देना पड़ता था. एक्सप्रेस-वे, हाईवे और टोल रोड के पास रहने वाले गांव के लोगों को इस सुविधा से बड़ी राहत मिलेगी. ध्यान देने वाली बात है कि इससे पहले, स्थानीय लोगों को इस छूट के लिए मैन्युअल आवेदन और दस्तावेज देना पड़ता था. 

अधिसूचना में क्या है?

अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रीय परमिट वाले वाहनों को छोड़कर कोई अन्य वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल,  बाइपास या सुरंग के जरिए यात्रा करता है तो उससे GNSS और OBU के जरिए एक दिन में प्रत्येक दिशा में 20 किमी यात्रा पर शुल्क नहीं लिया जाएगा. 

GNSS पहले पायलट परियोजना थी

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पहले GNSS से टोल कलेक्ट करने की तकनीक को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू करने की घोषणा की थी. यह पायलट प्रोजेक्ट कर्नाटक में NH-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड में और हरियाणा में NH-709 के पानीपत-हिसार खंड के अलावा चयनित राष्ट्रीय राजमार्गों पर शुरू किया गया था. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इस नए सिस्टम (GNSS) को मौजूदा फास्ट टैग के साथ-साथ पेश किया जा रहा है. मंत्रालय ने नए सिस्टम पर पर ग्लोबल इनपुट के लिए 25 जून, 2024 को एक इंटरनेशनल वर्कशॉप का आयोजन किया था. 

ऐसे काम करता है GNSS सिस्टम

पुराने FASTag सिस्टम को मैनुअल से आधुनिक बनाने के लिए मंत्रायल ये कदम उठा रही है. इसके तहत GNSS वाहनों में उनकी आवाजाही को ट्रैक करने के लिए ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) का इस्तेमाल करेगा. OBU तय टोल पॉइंट की बजाय तय की गई दूरी की और समय की सटीक निगरानी कर टोल कैलकुलेट करेगा. 

GNSS के इस्तेमाल के लिए क्या करना होगा

सैटेलाइट-आधारित टोलिंग के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS), ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) और वाहन प्लेट को स्वचालित रूप से पढ़ने के लिए ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) डिवाइस शामिल हैं. कार में ओबीयू डिवाइस होगा. कार जैसे ही टोल रोड पर जाएगी, ये सैटेलाइट से जुड़े GNSS सिस्टम के साथ कार के टाइमिंग और दूरी को ट्रैक करेगा. कार 20 किमी तक जाएगी को कोई टोल नहीं लगेगा. जैसे ही उससे ज्यादा जाएगी तो OBU से अटैच कार मालिक के वॉलेट से कैलकुलेट कर उतनी राशि काट ली जाएगी जितनी दूर कार जाएगी. 

टोल गेट पर GNSS के लिए होगा अलग गेट

टोल गेट पर GNSS वाहनों के लिए अलग गेट होगा ताकि FASTag लेन में ये गाड़ियां न फंसे और समय की बचत हो सके. यदि कोई गैर GNSS सिस्टम से लैस कार यहां से गुजरेगी तो उससे दोगुने टोल की वसूली होगी. अभी इस सिस्टम को लागू करने के लिए मंत्रालय टेंडर प्रक्रिया शुरू करेगा. शुरूआत में ये सिस्टम कॉमर्शियल वाहनों पर ही लागू होगा. ध्यान देने वाली बात है कि यह सुविधा अप्रैल-जून 2025 तक केवल 2,000 किलोमीटर को कवर करेगी. धीरे-धीरे इसका विस्तार होगा. 

इनपुट: कुमार कुणाल 

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