Jawaharlal Nehru: लॉर्ड लुइस माउंटबेटन भारत में ब्रिटिश हुकूमत के आखिरी वायसराय थे. ब्रिटिश सरकार ने उन्हें शांतिपूर्ण सत्ता हस्तांतरण की जिम्मेदारी देकर फरवरी 1947 में भारत भेजा था. माउंटबेटन के नेतृत्व में भारत की आजादी की तारीख तय हुई. वह भारत के पहले गवर्नर-जनरल भी बने. उनके साथ उनकी पत्नी एडविना माउंटबेटन भारत आईं. एडविना और पंडित जवाहरलाल नेहरू के रिश्ते आज भी चर्चा और विवाद का विषय बने रहते हैं.
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भारत में माउंटबेटन की एंट्री
लॉर्ड माउंटबेटन का भारत आना ब्रिटिश सरकार के एक अहम फैसले का हिस्सा था. फरवरी 1947 में उन्हें भारत भेजा गया, ताकि सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण तरीके से हो सके. माउंटबेटन जब भारत पहुंचे, तब ब्रिटिश सरकार और भारतीय राजनीतिक नेतृत्व के संबंधों में तनाव कम हो चुका था. महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं से उनकी निकटता जल्द ही स्थापित हो गई. माउंटबेटन ने 10 महीने दिल्ली में बिताए और जून 1948 तक भारत के पहले गवर्नर-जनरल के रूप में काम किया.
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