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राजतंत्र चला गया. राजशाही चली गई. राजमहल या तो लक्जरी होटल बन गए या खंडहर बन गए. तब भी राजा हैं. राजसी ठाठबाट है. राजतिलक की रस्में निभाई जा रही हैं. बदल चुके भारत में राजा बनना और राजतिलक कराना कितना मुश्किल है, ये बात उदयपुर में राजा विश्वराज सिंह को मेवाड़ राजपरिवार की गद्दी की विरासत संभालते समझ आ गई होगी. 450 साल से चल रही परम्परा के हिसाब से खून से राजतिलक हुआ. गद्दी पर बिठाने की पगड़ी दस्तूर की रस्म हुई. 21 तोपों की सलामी दी गई. मेवाड़ के उत्तराधिकारी घोषित हुए लेकिन राजमहल उदयपुर सिटी पैलेस में दाखिल नहीं हो सके. कोई है जिसके लिए विश्वराज सिंह महाराणा हैं. कुछ हैं जिनके लिए कोई महाराणा-वाणा नहीं हैं विश्वराज सिंह.
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