महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के बाद राजनीति कुछ ऐसे पलटी कि एकनाथ शिंदे सीएम से डिप्टी सीएम हो गए. देवेंद्र फडणवीस डिप्टी से सीएम हो गए. जो हुआ उसमें एकनाथ शिंदे की मंजूरी नहीं, मजबूरी थी. जिस बीजेपी की शह पर एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से सरकार, पार्टी, सिंबल छीना था उसी ने 2 साल में खेल कर दिया. एकनाथ शिंदे इतने अब मजबूर हैं कि अब जो बीजेपी कहेगी वो मानना होगा. फिर भी एकनाथ शिंदे के पास कुछ तो ऐसा है जिस पर बीजेपी का जोर नहीं चलता. 2022 में जब शिवसेना में बगावत हुई तो एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे से सब कुछ ले गए. चुनाव आयोग से शिवसेना पार्टी मिल गई. शिवसेना का सिंबल मिल गया. शिवसेना के पैसे और सारी संपत्ति भी मिल गई. चुनाव बाद जब सब कुछ बदल गया तब एकनाथ शिंदे प्रायश्चित मोड में दिखने लगे हैं. शिंदे का प्रायश्चित मोड में जाना बीजेपी के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है.
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असली शिवसेना के मालिक एकनाथ शिंदे ने बड़ा फैसला लिया है. पार्टी विभाजन के बाद शिवसेना का बैंक अकाउंट भी उद्धव से शिंदे के पास आ गया था. अब शिंदे ने बड़ा फैसला लिया है कि वो शिवसेना का पैसा उद्धव ठाकरे की शिवसेना को लौटाएंगे. भारी राजनीतिक दुश्मनी के बीच शिंदे का फैसला उद्धव ठाकरे को हैरान और बीजेपी को परेशान करने वाला है. शिंदे शिवसेना ने फैसला लिया है कि 2022 से पहले जो भी बैंक में पैसे पड़े थे वो उस पर दावा नहीं किया जाएगा. उद्धव गुट की शिवसेना को ही वो पैसे मिलेंगे जो शिवसेना के नाम से जमा थे. इससे शिवसेना की संपत्तियों और बैंक अकाउंट पर कंट्रोल की लड़ाई खत्म हो जाएगी. सब कुछ गंवा चुकी शिवसेना यूबीटी को बड़ी आर्थिक मदद मिलने वाली है.
अभी साफ नहीं कि शिवसेना के नाम पर बैंक अकाउंट में कितने पैसे जमा हैं. रिसर्च करने पर मार्च 2023 की टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट मिली जिसमें दावा किया गया कि शिवसेना के बैंक अकाउंट में 190 करोड़ जमा थे. ये संभव है कि अकाउंट से कोई विड्रॉयल नहीं हुआ होगा तो ब्याज वगैरह जोड़ने से ये रकम 200 करोड़ तक हो सकती है. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में शिवसेना के पास 191 करोड़ की चल -अचल संपत्ति थी. पार्टी का नाम और सिंबल एकनाथ शिंदे के पास चले जाने के बाद ये आशंका थी कि शिंदे शिवेसना के ऑफिस, प्रॉपर्टी, बैंक अकाउंट पर भी कब्जा कर लेंगे लेकिन उन्होंने बहुत कड़वाहट के बाद भी ऐसा कुछ नहीं किया. फरवरी 2023 में भी एकनाथ शिंदे ने कहा था कि उद्धव ठाकरे गुट के पैसे या संपत्ति पर दावा नहीं करेंगे.बालासाहेब की विचारधारा और विरासत ही उनके लिए वास्तविक धन है.
आज भी दादर वाला शिवसेना भवन और सामना उद्धव ठाकरे के कंट्रोल में है. महाराष्ट्र में शिवसेना के 82 बड़े दफ्तर और मुंबई में 227 छोटे-छोटे दफ्तर चलते हैं. दादर में शिवसेना का मुख्यालय और शिवसेना के अखबार सामना की भी प्रॉपर्टी है जिसे ट्रस्ट चलाती है. ट्रस्ट को सुभाष देसाई हेड करते हैं. उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे, अरविंद सावंत सदस्य हैं. 2 साल पहले सुप्रीम कोर्ट में किसी ने याचिका लगाई थी कि शिवसेना की संपत्ति को एकनाथ शिंदे गुट को ट्रांसफर की जाए. याचिका से एकनाथ शिंदे गुट ने याचिका से सहमति नहीं जताई थी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएम नरसिम्हा की बेंच ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को डांट भी लगाई थी आप कौन हैं, आपका इस मामले में क्या अधिकार है।
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