Who is D Gukesh: भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने गुरुवार को विश्व शतरंज चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम दौर में चीन के डिंग लिरेन को हराकर खिताब अपने नाम कर लिया. लिरेन को हराकर वह सबसे युवा विश्व शतरंज चैंपियन बन गए हैं. वह अभी महज 18 साल के हैं. कौन हैं डी गुकेश, जिन्होंने शतरंज के दिग्गजों को चौंकाते हुए अपनी बादशाहत साबित की है. वर्ल्ड चैंपियन बनने पर गुकेश को ढाई मिलियन डॉलर यानि 20.86 करोड़ रुपये की राशि मिलेगी. जानिए नए वर्ल्ड चैंपियन के बारे में सब कुछ...
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शतरंज एक ऐसा खेल जिसे मानसिक कुशाग्रता और अनंत धैर्य की आवश्यकता होती है, भारत ने दुनिया के मंच पर ऐसे कई सितारे दिए हैं. लेकिन हाल के समय में जिस खिलाड़ी ने अपनी उपलब्धियों से सभी को चौंका दिया है, वह हैं डी गुकेश. चेन्नई के इस युवा खिलाड़ी ने 18 साल की उम्र में शतरंज की दुनिया में इतिहास रच दिया.
डी गुकेश ने गुरुवार को 18 साल की उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन का खिताब जीतकर भारत का नाम रोशन किया. उन्होंने 14वें और अंतिम दौर में चीन के विश्व चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की. इस जीत के साथ वह न केवल सबसे युवा विश्व चैंपियन बने, बल्कि शतरंज की दुनिया में भारत के वर्चस्व को और भी मजबूत कर दिया.
कौन हैं डी गुकेश और कैसा था उनका बचपन?
गुकेश का पूरा नाम डोमाराजू गुकेश है. उनका जन्म 7 मई 2006 को चेन्नई में हुआ था. उनके पिता डॉक्टर हैं और मां माइक्रोबायोलॉजिस्ट. गुकेश ने महज सात साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू कर दिया था. शुरुआती कोचिंग उन्हें भास्कर ने दी. इसके बाद भारतीय शतरंज के दिग्गज विश्वनाथन आनंद ने उनकी प्रतिभा को निखारा और उन्हें आवश्यक मार्गदर्शन दिया.
रिकॉर्ड्स की लंबी फेहरिस्त
गुकेश ने शतरंज की दुनिया में कदम रखते ही एक के बाद एक रिकॉर्ड बनाना शुरू कर दिया. 12 साल, सात महीने और 17 दिन की उम्र में वह भारत के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बन गए. हालांकि, दुनिया के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर बनने का रिकॉर्ड वह 17 दिनों से चूक गए. इसके बाद उन्होंने कई और महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कीं. 2019 में वह शतरंज इतिहास के तीसरे सबसे कम उम्र के ग्रैंडमास्टर बने. 2022 में उन्होंने 44वें शतरंज ओलंपियाड में 8/8 का परफेक्ट स्कोर हासिल कर भारत को अमेरिका जैसी दिग्गज टीम को हराने में मदद की.
2023 में वह 2750 की रेटिंग तक पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने. उन्होंने इसी वर्ष पांच बार के विश्व चैंपियन मैग्नस कार्लसन को हराने का गौरव भी हासिल किया.
गुकेश का अनोखा तरीका और परफेक्ट तैयारी
गुकेश ने अपने करियर में तकनीकी इंजनों (कंप्यूटर) से दूरी बनाकर एक अनोखा तरीका अपनाया. उन्होंने अपनी तैयारी में कंप्यूटर का कम से कम इस्तेमाल किया. उनके कोच विष्णु प्रसन्ना का मानना था कि यह एक जोखिम भरा कदम था, लेकिन इसने गुकेश को अपने खेल को समझने और उसमें सुधार करने का भरपूर मौका दिया.
विष्णु ने बताया कि गुकेश ने हमेशा अपने खेल के प्रति जुनून और समर्पण दिखाया. वह जिम जाने, जल्दी उठने और खेल पर ध्यान केंद्रित करने जैसी चीजों को गंभीरता से लेते थे. उनका मुख्य फोकस क्लासिकल चेस पर था, जिसमें उन्होंने खुद को बेस्ट साबित किया.
गुकेश का गजब का जुनून और समर्पण
गुकेश के कोच विष्णु का कहना है कि वह अपने खेल के प्रति बेहद जुनूनी हैं। उन्होंने न केवल ब्लिट्ज और रैपिड जैसे प्रारूपों को दरकिनार किया, बल्कि ऑनलाइन टूर्नामेंट्स में भी कम हिस्सा लिया. उनकी प्राथमिकता हमेशा ओवर-द-बोर्ड इवेंट्स में अच्छा प्रदर्शन करना रही. गुकेश की हालिया उपलब्धि ने भारत को गर्व का एक और मौका दिया है. वह ऐसे समय में उभरे हैं जब शतरंज भारत में एक लोकप्रिय खेल बनता जा रहा है. उन्होंने न केवल अपनी कड़ी मेहनत और जुनून से सफलता हासिल की, बल्कि युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा भी बन गए हैं.
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