IAS Ashwini Bhide: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस सीएम बने तो तो उन्होंने ट्रस्टेड IAS अश्विनी भिड़े को चुना. फडणवीस के सबसे पसंदीदा अफसरों में अश्विनी की गिनती होती है. वैसे महाराष्ट्र में कम ही ऐसी हुआ है जब कोई महिला इस पद के लिए चुनी गई हो. महाराष्ट्र में ये काफी देखा गया है कि प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पद से आगे जब प्रोमोशन हुआ तो चीफ सेक्रेटरी तक बना दिया गया. जो कि स्टेट ब्यूरोक्रेसी में सबसे हाईएस्ट रैंक है.
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'मैट्रो वुमेन' के टाइटल के साथ जानी जाने वाली अश्विनी भिड़े फिल्हाल मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन यानि MMRCL की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. और इसकी बागडोर फिलहाल भिड़े के ही हाथ में रहने वाली है. भिड़े की अपॉइंटमेंट से फडणवीस शायद ये संदेश भी दे रहे हैं कि सीएम के रूप में उनके दूसरे कार्यकाल में इंफ्रास्ट्रक्चर जो कि भाजपा के प्रमुख कैंपेन प्लैंक में से एक था. वो उनकी टॉप प्रायोरिटी पर रहेगा. भिड़े महाराष्ट्र के कई बड़े हाई प्रोफाइल प्रोजेक्ट्स की कर्ता धर्ता रही हैं. चाहे वो शहर की पहली अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन की देखरेख हो या फिर अरब सागर के किनारे कोस्टल रोड प्रोजेक्ट मैनेज करना हो.
कौन हैं IAS अश्विनी भिड़े?
सांगली की मूल निवाली अश्विनी भिड़े का कैरियर डायनैमिक रहा है. 1995 बैच की आईएएस अधिकारी अश्विनी भिड़े ने अपने बैचमेट और पूर्व ब्योरोक्रेट सतीश भिड़े से शादी की. 2000-2003 में नागपुर में अपने औऱ अपने पति के कार्यकाल के दौरान भिडे पहली बार देवेंद्र फडणवीस के संपर्क में आई थीं. तब फडणवीस फर्स्ट टाइम एमएलए और नागपुर के मेयर थे. 2004 से 2008 के बीच महाराष्ट्र के राज्यपालों की डिप्टी सेक्रेटरी बनने से पहले उन्होंने नागपुर जिला परिषद के सीईओ के तौर पर भिड़े ने काम किया.
फिर 2008 में वह MMRDA की Joint Metropolitan Commissioner के तौर पर नियुक्त होने के साथ बड़ी लीग का हिस्सा बनीं. उस दौरान MMRDA ने कई बड़े अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की देखरेख की. जैसे Eastern Freeway, Milan subway flyover, Mumbai’s skywalks, Mithi river clean-up. इनमे कई प्रोजेक्ट थे जहां लोगों को रिलोकेट करने की जरूरत थी. लेकिन पॉलिटिकल विवादों को डॉज करती हुई अश्विनी भिड़े ने ऐसे संवेदनशील विषय अच्छे से डील किए.
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2014 से बढ़ी ताकत
जब 2014 में फडणवीस पहली बार सीएम बने तब वो अश्विनी भिड़े को इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में फिर ले आए. इससे पहले वो एक साल के लिए स्कूल एजुकेशन डिपार्टमेंट में सेक्रेटरी के तौर पर काम कर रही थी. अश्विनी उन चुनिंदा अधिकारियों में से एक हैं जिन्हे हैंडपिक किया गया था. 2015 जनवरी के महीने में भिड़े को MMRCL की टॉप पोस्ट पर नियुक्ति दी गई, जो कि महाराष्ट्र सरकार और केंद्र का ज्वाइंट वेंचर था. जिसके तहत दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले शहरों में से एक में फुली अंडरग्राउंड 33.5 किमी मेट्रो कॉरिडॉर बनाया जाना था. ये वो वक्त था जब भिड़े अपनी कैरियर की सबसे बड़े विवाद में फंस चुकी थी, जिसमें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (तब संयुक्त) शामिल थी, जो राज्य सरकार का हिस्सा थीं.
उद्धव ठाकरे के बेटे जो अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे थे उन्होंने मुंबई के आरे कॉलोनी ग्रीन बेल्ट क्षेत्र में मेट्रो कार शेड की योजना का विरोध किया. अश्विनी भिड़े वे सोशल मीडिया पोस्ट और इंटरव्यू नें आरे वन योजना का समर्थन किया गया, जिसके तहत मेट्रो कार शेड बनाने के लिए 2,141 पेड़ों को काटे जाने थे. मामला पूरा पॉलिटिकल बन गया था. भिड़े की आलोचना होने लगी न सिर्फ शिवसेनी की तरफ से बल्कि environmentalists की तरफ से भी. आरोप लगा फडणवीस के इशारे पर काम करने का.
BJP दूसरी बार आई तो 13 दिन के दिन अंदर मेट्रो का हेड बना दिया
याद होगा आपको. इसके बाद यानि 2019 के विधानसभा चुनावों में जब भाजपा सरकार नहीं बना सकी, क्योंकि शिवसेना ने उससे समर्थन वापस ले लिया था, तो सत्ता में आई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने आरे कार शेड योजना को रद्द कर दिया और भिड़े को हटा दिया था. ये अलग बात है कि (एमवीए) सरकार ने उन्हें तीन महीने बाद BMC का एडिशनल म्युनिशिपल कमिश्नर बना दिया था. मुम्बई कोस्टल रोड प्रोजेक्ट भी उन्होंने ने ही हैंडल किया.
फिर जब (एमवीए) सरकार गिरी और बीजेपी शिंदे की सरकार आई तो. अश्विनी भिड़े को 13 दिन के अंदर मेट्रो कॉरपोरेशन का हेड बना दिया गया. बीएमसी पोस्ट भी वो संभालती रहीं. फिर इस साल लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें इलेक्शन कमीशन की रिक्वेस्ट पर बीएमसी से बाहर ट्रांसफर कर दिया गया. MMRCL की कर्ताधर्ता वो रहीं. विधानसभा चुनाव के पहले अंडरग्राउंड मेट्रो लाइन का कम्पलीटेड पोर्शन भी डिलिवर किया.
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रिपोर्ट/इनपुट- निधि तनेजा
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