साइबर ठगों ने अपनाए नए तरीके, अब ऐसे चुराए जा रहे हैं आपके OTP और पैसे, जानिए कैसे बचें

आज के डिजिटल युग में साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीके अपना रहे हैं. अपराधी अब बिना लिंक क्लिक करवाए या ओटीपी शेयर करवाए भी आपके डिवाइस और खातों तक पहुंच बना सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे आप इस फ्रॉड से बच सकते हैं.

Representative Image (Photo Ai)

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News Tak Desk

• 06:29 PM • 17 Mar 2025

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आज के डिजिटल युग में साइबर अपराधी लगातार नए-नए तरीके अपना रहे हैं, जिनसे लोगों के बैंक खाते खाली हो रहे हैं और सोशल मीडिया अकाउंट्स हैक हो रहे हैं. इन्हीं सब पर साइबर इन्वेस्टिगेटर अमित दुबे ने साइबर क्राइम की इन खतरनाक तकनीकों में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि अपराधी अब बिना लिंक क्लिक करवाए या ओटीपी शेयर करवाए भी आपके डिवाइस और खातों तक पहुंच बना सकते हैं. चलिए जानते हैं कैसे बच सकते हैं इस तरह के फ्रॉड से.

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कॉल फॉरवर्डिंग तकनीक से OTP चोरी

साइबर अपराधियों का एक पसंदीदा तरीका है कॉल फॉरवर्डिंग. अमित दुबे ने बताया कि हाल ही में गुड़गांव में कई डॉक्टरों के व्हाट्सएप अकाउंट्स हैक होने का मामला सामने आया. अपराधियों ने फोन करके कहा कि वे एक फार्मा कंपनी से हैं और महंगा गिफ्ट भेजना चाहते हैं, जिसके लिए "इलेक्ट्रॉनिक परमिशन" चाहिए. इसके लिए एक नंबर डायल करने को कहा गया, जैसे *62*मोबाइल नंबर#. जैसे ही यह कोड डायल किया गया, कॉल्स कंडीशनली (जब आप बिजी हों या नेटवर्क से बाहर हों) अपराधी के नंबर पर फॉरवर्ड होने लगीं. आजकल बैंक, व्हाट्सएप और अन्य प्लेटफॉर्म OTP कॉल के जरिए भेजते हैं, जो सीधे अपराधी तक पहुंच गया और अकाउंट हैक हो गया.

कॉल मर्जिंग: दोस्ती का बहाना,चोरी का खेल

दूसरी तकनीक है कॉल मर्जिंग. मान लीजिए आपको कोई कॉल करता है और कहता है कि आपके दोस्त ने उसका नंबर दिया है. फिर एक इवेंट के बहाने आपसे दूसरी कॉल (जो OTP की होती है) मर्ज करने को कहता है. जैसे ही आप कॉल मर्ज करते हैं, अपराधी उस ओटीपी (OTP) को सुन लेता है और तुरंत इस्तेमाल कर आपके अकाउंट से पैसे निकाल लेता है या व्हाट्सएप हैक कर लेता है.  यह सब कुछ सेकंड में हो जाता है, और आपको भनक भी नहीं पड़ती.

वॉयस मेल और SMS स्पूफिंग का खतरा

तीसरा तरीका है वॉयस मेल तकनीक. अपराधी SMS स्पूफिंग के जरिए आपके नंबर से मैसेज भेजकर वॉयस मेल एक्टिवेट कर देते हैं. फिर जब आप बिजी होते हैं, आपके ओटीपी (OTP) वॉयस मेल में रिकॉर्ड हो जाते हैं, जिन्हें अपराधी पासवर्ड के जरिए सुन लेता है. इसके अलावा, कॉल और ईमेल स्पूफिंग से आपके परिवार के नंबर या नाम से फर्जी कॉल्स आ सकते हैं, जिससे लोग जल्दबाजी में गलती कर बैठते हैं.

eSIM और स्क्रीन शेयरिंग का दुरुपयोग

चौथा तरीका है eSIM का इस्तेमाल. बहुत से लोगों को नहीं पता कि eSIM एक वर्चुअल सिम होती है, जिसे QR कोड स्कैन करके एक्टिवेट किया जाता है. अपराधी सोशल इंजीनियरिंग से आपको यह कोड स्कैन करवा लेते हैं, और आपका फिजिकल सिम बंद हो जाता है. फिर सारा कंट्रोल उनके पास चला जाता है.  इसके अलावा, स्क्रीन शेयरिंग ऐप्स के जरिए भी अपराधी आपकी स्क्रीन देखकर OTP चुरा लेते हैं.

बचाव के आसान उपाय

  • लालच से बचें: कोई भी गिफ्ट या ऑफर तुरंत स्वीकार न करें, खासकर अगर इसके लिए कोड डायल करने को कहा जाए. 
  • कॉल बैक करें: अगर कोई अर्जेंट कॉल आए, खासकर परिवार या दोस्त के नंबर से, पहले कॉल बैक करके पुष्टि करें.
  • अनजान कॉल मर्ज न करें: किसी भी अनजान नंबर के साथ कॉल मर्ज करने से बचें.
  • वॉयस मेल चेक करें: इसे डिसेबल रखें या पासवर्ड सुरक्षित करें.
  • eSIM और ऐप्स पर नजर: eSIM या स्क्रीन शेयरिंग के लिए कोई कोड शेयर करने से पहले सावधानी बरतें.

अपराधियों की चालाकी को समझें

अमित दुबे ने कहा कि अपराधी आपके डिवाइस को हैक करने की बजाय आपको हैक करते हैं. यानी वे तकनीक से ज्यादा आपकी भावनाओं और भरोसे का फायदा उठाते हैं. साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है. अगली बार कोई अनजान कॉल या मैसेज आए, तो रुकें, सोचें और फिर कदम उठाएं. आपका एक छोटा सा अलर्ट कदम बड़े नुकसान से बचा सकता है.

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