Ratan Tata Funeral: न जमीन में, न आग में और न ही पानी में होता है पारसियों का अंतिम संस्कार, जानिए शवों के साथ क्या करते हैं ये

Ratan Tata Last Rituals: पारसी परिवार से आने वाले रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारंपरिक पारसी रीति-रिवाजों से नहीं हुआ. उनका अंतिम संस्कार इलेक्ट्रिक अग्निदाह में हुआ. हालांकि टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का भी इलेक्ट्रिक अग्निदाह में किया गया था.

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शुभम गुप्ता

10 Oct 2024 (अपडेटेड: 10 Oct 2024, 07:27 PM)

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Ratan Tata Last Rituals: पारसी परिवार से आने वाले रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारंपरिक पारसी रीति-रिवाजों से नहीं हुआ. आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, उनका अंतिम संस्कार मुंबई के वर्ली स्थित इलेक्ट्रिक अग्निदाह गृह में किया गया. यह फैसला पारसी समुदाय की परंपराओं से अलग था. वहां शवों को 'टावर ऑफ साइलेंस' में रखा जाता है.

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रतन टाटा का निधन और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया

86 वर्षीय रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. रतन टाटा के पार्थिव शरीर को वर्ली के पारसी शमशान घाट में ले जाया गया. वहां करीब 45 मिनट तक प्रार्थना हुई. प्रार्थना के दौरान पारसी रीति से ‘गेह-सारनू’ पढ़ा गया. उनके चेहरे पर कपड़े का टुकड़ा रखकर ‘अहनावेति’ का पहला अध्याय पढ़ा गया. इसके बाद उनका इलेक्ट्रिक अग्निदाह किया गया.

पारसी समुदाय की अनूठी अंतिम संस्कार परंपरा

पारसी समुदाय में शवों को दफनाया या जलाया नहीं जाता, बल्कि उन्हें 'टावर ऑफ साइलेंस' में रखा जाता है. यह टावर, जिसे 'दखमा' कहा जाता है, एक गोलाकार ढांचा का होता है. यहां शवों को सूरज की रोशनी में खुले में रखा जाता है ताकि गिद्ध और अन्य पक्षी शव को खा सकें. यह प्रक्रिया पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए की जाती है और इसे 'दोखमेनाशिनी' कहा जाता है.

शवों को जलाना या दफनाना क्यों नहीं माना जाता सही?

पारसी समुदाय में मृत शरीर को अशुद्ध माना जाता है. पर्यावरण को सुरक्षित रखने की भावना से वे शवों को जलाते या दफनाते नहीं हैं. उनका मानना है कि शवों को जलाने से अग्नि तत्व अपवित्र होता है, जबकि दफनाने से धरती प्रदूषित होती है. शवों को नदियों में बहाकर अंतिम संस्कार करना भी मना है, क्योंकि इससे जल तत्व भी अशुद्ध हो जाता है. पारसी धर्म में पृथ्वी, जल, और अग्नि को अत्यंत पवित्र माना गया है. इसलिए ये प्रक्रियाएं बाकी समुदायों से बिल्कुल अलग होती हैं.

साइरस मिस्त्री का भी हुआ था इलेक्ट्रिक अग्निदाह

रतन टाटा के अंतिम संस्कार से पहले, टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री का भी इलेक्ट्रिक अग्निदाह किया गया था. उनका भी अंतिम संस्कार पारसी रीति से नहीं हुआ था. साइरस मिस्त्री की मौत 4 सितंबर 2022 को एक सड़क दुर्घटना में हुई थी. उनका अंतिम संस्कार भी इसी प्रकार किया गया था.

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