इंडिया टुडे सर्वे: स्त्री-पुरुष समानता के मामले में UP फिसड्‌डी, केरल आगे

भारतीय समाज में स्त्री-पुरुष की भूमिकाओं को लेकर धारणा कितनी बदली है? इस सवाल का जवाब खोजने के लिए इंडिया टुडे ग्रॉस डोमेस्टिक बिहेवियर (जीडीबी) सर्वेक्षण में 9,000 से अधिक उत्तरदाताओं से गहन शोध के आधार पर छह सवाल पूछे गए.

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तस्वीर: AI

बृजेश उपाध्याय

• 08:33 PM • 21 Mar 2025

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भारतीय समाज में स्त्री-पुरुष की भूमिकाओं को लेकर धारणा कितनी बदली है? इस सवाल का जवाब खोजने के लिए इंडिया टुडे ग्रॉस डोमेस्टिक बिहेवियर (जीडीबी) सर्वेक्षण में 9,000 से अधिक उत्तरदाताओं से गहन शोध के आधार पर छह सवाल पूछे गए. सर्वेक्षण के नतीजों ने भारत की एक ऐसी तस्वीर पेश की जो प्रगति और पितृसत्ता के बीच लगातार संतुलन बनाने की कोशिश कर रही है. 

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सर्वेक्षण में केरल ने स्त्री-पुरुष समानता के मामले में सर्वोच्च स्थान हासिल किया, जबकि उत्तर प्रदेश इस सूची में सबसे निचले पायदान पर रहा. यह दिखाता है कि क्षेत्रीय स्तर पर समाज की सोच में भारी अंतर मौजूद है. भारतीय समाज में स्त्री-पुरुष की भूमिकाएं परंपरा से निर्धारित होती हैं, और 69% उत्तरदाता मानते हैं कि घर के अहम फैसले लेने का अधिकार पुरुषों के पास होना चाहिए. यह धारणा उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मजबूत है, जहां 96% लोग इसका समर्थन करते हैं. इसके विपरीत, केरल में तीन-चौथाई उत्तरदाता इस सोच को सिरे से खारिज करते हैं. 

महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता पर विभाजित राय 

महिलाओं की कमाई को लेकर भी समाज में स्पष्ट विभाजन दिखता है. केरल के 91% उत्तरदाता मानते हैं कि महिलाओं को अपनी आय पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए. वहीं, ओडिशा में महज 27% लोग इस विचार का समर्थन करते हैं, जिससे पता चलता है कि कुछ राज्यों में अभी भी महिलाओं की आर्थिक स्वायत्तता को सीमित दृष्टि से देखा जाता है. 
 

रैंक 2025 राज्य
1 केरल
2 उत्तराखंड
3 तमिलनाडु
4 हिमाचल प्रदेश
5 महाराष्ट्र
6 तेलंगाना
7 चंडीगढ़
8 पश्चिम बंगाल
9 ओड़िशा
10 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली
11 हरियाणा
12 झारखंड
13 बिहार 
14 मध्य प्रदेश
15 कर्नाटक
16 आंध्र प्रदेश
17 राजस्थान
18 छत्तीसगढ़
19 पंजाब 
20 असम
21 गुजारात
22 उत्तर प्रदेश

घरेलू हिंसा पर मिश्रित सोच 

घरेलू हिंसा को लेकर चिंताजनक तस्वीर सामने आई है. हालांकि 83% उत्तरदाता पति द्वारा पत्नी की पिटाई को गलत मानते हैं, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि 14% महिलाएं खुद इस तरह की हिंसा को सही ठहराती हैं. राज्यवार तुलना में उत्तराखंड में केवल 2% लोग इसे स्वीकार करते हैं, जबकि आंध्र प्रदेश में यह आंकड़ा 31% तक पहुंच जाता है.

शिक्षा में समानता, लेकिन शादी में सीमित आजादी 

महिलाओं की शिक्षा और रोजगार के अधिकारों को व्यापक स्तर पर समर्थन मिला है. 93% उत्तरदाताओं ने कहा कि बेटियों को बेटों के समान शिक्षा के अवसर मिलने चाहिए. हालांकि, जब शादी की स्वतंत्रता की बात आई, तो स्थिति निराशाजनक रही. 67% उत्तरदाता मानते हैं कि महिलाओं को अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ शादी करने की आजादी नहीं होनी चाहिए. 

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