MP में चमत्कार: 3 दिन पहले जन्मे बच्चे के पेट में बच्चा, डॉक्टर बोले- जिंदगी में पहली बार देखा ऐसा केस

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20 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 20 2024 7:46 PM)

MP Rare Case: डॉ. पीपी सिंह के अनुसार उन्होंने अपने जीवन में यह पहला केस देखा है, चिकित्सा इतिहास में इस तरह के केस काफी दुर्लभ हैं. 5 लाख मामलों में इस तरह का 1 केस सामने आता है. हालांकि अब तक दुनिया में इस तरह के 200 केस ही रिपोर्ट हुए हैं.

मध्य प्रदेश के सागर में मेडिकल फील्ड का एक चमत्कारिक केस सामने आया है.

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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तीन दिन पहले जन्मे बच्चे के पेट में बच्चा, मेडिकल में फील्ड का रेयर केस 

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ऐसी कंडीशन को फीट्स इन फीटू कहते हैं, लाखों में किसी एक को होता है

MP Rare Case: सागर जिले में चिकित्सा विज्ञान की दुनिया का दुर्लभ मामला रिपोर्ट हुआ है. एक महिला की डिलीवरी होने के बाद उसने जिस बच्चे को जन्म दिया है. उस नवजात के अंदर भी बच्चा है. इसका संदेह महिला के गर्भवती रहते कराई गई. अल्ट्रासाउंड की जांच में हो गया था. सीटी स्कैन रिपोर्ट में मेडिकल की भाषा में इस कंडीशन को फीट्स इन फीटू कहा जाता है, रेयर मामला होने की वजह से नवजात को जिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया है.

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शिशु का जीवन बचाने का एकमात्र उपाय सर्जरी है. जिस पर चिकित्सकों में विचार विमर्श चल रहा है. डॉक्टर के अनुसार लाखों महिलाओं में से किसी एक में इस तरह का केस मिलता है.

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष और प्राध्यापक डॉ. पीपी सिंह ने बताया कि करीब 15 दिन पहले केसली निवासी गर्भवती महिला 9वें माह में उनके निजी क्लिनिक पर जांच के लिए आई थी. जांच के दौरान महिला के गर्भ में पल रहे नवजात के अंदर भी एक बच्चा की मौजूदगी का संदेह हुआ. इस पर महिला को फॉलोअप के लिए मेडिकल कॉलेज में जांच के लिए बुलाया गया.

यहां विशेष जांच के बाद पाया गया कि महिला के गर्भ के अंदर एक और बेबी या टेरिटोमा की मौजूदगी है. महिला को मेडिकल कॉलेज में ही प्रसव कराने की सलाह दी गई थी. लेकिन चूंकि उसे आशा कार्यकर्ता लेकर आई थी. इसलिए वह वापस केसली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई. यहां महिला का सामान्य प्रसव हो गया.

जिंदगी में पहली बार देखा ऐसा केस 

डॉ. पीपी सिंह के अनुसार उन्होंने अपने जीवन में यह पहला केस देखा है, चिकित्सा इतिहास में इस तरह के केस काफी दुर्लभ हैं. 5 लाख मामलों में इस तरह का 1 केस सामने आता है. हालांकि अब तक दुनिया में इस तरह के 200 केस ही रिपोर्ट हुए हैं.

BMC के रेडियोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. पीपी सिंह ने कहा- "यह बहुत ही रेयर टाइप का केस है. मैं 2008 से सोनोग्राफी कर रहा हूं. मेरे लिए पहला केस हैं, यह 5 लाख महिलाओं में से एक में पाया जाता है. करीब 200 केस ही हैं. जो लिटरेचर में ऑनलाइन अवेलेबल है. इसमें जो प्रेग्नेंट लेडी है. वह हमारे पास आठवें नौवें महीने में आई थी, जब बच्चे की अल्ट्रासाउंड हम लोगों ने की तो उसमें पाया कि बच्चे के अंदर पेट में गठान दिख रही थी. जिसमें कैल्शियम जमा हुआ लग रहा था, लेकिन जब हमने उसमें डॉपलर करके दिखा तो फ्लड भी आ रहा था." 

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फिटस और फीटू कंडीशन की संभावना...

डॉक्टर सिंह ने आगे कहा- "जब यह कंडीशन आती है तो संभावनाओं में सबसे पहले फिटस और फीटू करके कंडीशन होती है, उसमें की बच्चे के अंदर बच्चे हो रहा होता है. पहली संभावना उसकी लग रही थी क्योंकि उसके डीडी में एक स्ट्रांग डीडी होती है जो मेच्यरो टेरीटोमा होता है, जो एक टयूमर होता है. इसमें कैली फिकेशन के पीछे जो शैडो हो जाती है, तो उसको क्लियर करने के लिए और हमने देखा, लेकिन उसमें दो संभावनाएं बनी एक तो बच्चे के अंदर बच्चा हो सकता है. दूसरा ट्यूमर हो सकता है."

'इसके बाद नार्मल डिलीवरी हुई बेबी हुई बच्चे की सीटी स्कैन की गई से रिपोर्ट आई है. लेकिन इसमें वह शैडो नहीं दिखाई जो पहले सोनोग्राफी में दिख रही थी, तो रिलेटिवली ऑर्गेनाइज्ड कैलशिफिकेशन जो दिख रहा था वह बच्चा होने की संभावना ज्यादा बताता है.'

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इनपुट- सागर से शांतनु शिवा

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