गौतम अदाणी पर हिंडनर्ग, राहुल गांधी, लंदन के फाइनेंशियल टाइम्स ने खूब आरोप लगाए. जैसे-जैसे आरोप लगते गए वैसे-वैसे भारत की सरकारी एजेंसियों से क्लीन चिट मिलती गई. इसका फायदा हुआ कि अदाणी ग्रुप ने जितना गंवाया था वो सारा वापस आ गया, लेकिन अमेरिका का घूसकांड ऐसा मामला है जिसमें भारत की कोई एजेंसी क्लीन चिट दे नहीं पा रही. अदाणी के लिए ये वाला मामला बड़ी मुसीबत बनता जा रहा है.
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अदाणी की गिरफ्तारी हो, जेल में डाले जाएं-राहुल गांधी ने जिद ठान ली है. हमले का नया सिलसिला तेज हुआ तो अदाणी ने पलटवार किया. पता नहीं अदाणी के कहने पर, सरकार के इशारे पर या अपनी श्रद्धा से देश के दो दिग्गज वकील भारत के पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी और महेश जेठमलानी ने एक ही दिन सुबह-सुबह प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी. इस डिक्लेमर के साथ कि अदाणी के प्रवक्ता नहीं हैं. निजी विचार बताने आए हैं. मुकुल रोहतगी और महेश जेठमलानी ने ये थ्योरी दी कि अमेरिका में गौतम अदाणी और सागर अडानी पर रिश्वतखोरी और न्याय में बाधा डालने का कोई आरोप नहीं लगा है.
एडवोकेट मुकुल रोहतगी और महेश जेठमलानी का बड़ा दावा
अदाणी को डिफेंस कर रहे मुकुल रोहतगी का दावा है कि गौतम अदाणी, सागर और विनीत जैन पर FCPA में केस नहीं है. अदाणी का नाम 5 में से 3 मामलों में हैं. अमेरिकी संसद में विदेशी भ्रष्ट आचरण अधिनियम का उल्लंघन करने की साजिश के पहले आरोप में नहीं है. न्याय में बाधा डालने के पांचवें आरोप में भी नाम नहीं है. वकीलों ने सवाल उठाया कि रिश्वत किसे दी गई, किस तरह से दी गई, इसका भी जिक्र नहीं है. जबकि केस में ये जानकारी होना जरूरी है. महेश जेठमलानी ने दलील दी कि अमेरिका में नई सरकार आने वाली है तो इतनी जल्दबाजी क्यों की.
जयराम रमेश ने एडवोट्स की पीसी के लिए कही ये बात
मुकुल रोहतगी और महेश जेठमलानी की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने अदाणी के अमेरिका केस को स्पिन दिया, लेकिन अदाणी पर महीने से रिसर्च कर रहे जयराम रमेश ने कलई खोल दी. रोहतगी और जेठमलानी की प्रेस कॉन्फ्रेंस को मोदानी इकोसिस्टम का कानूनी शिगूफा और डैमेज कंट्रोल कहा. बोले कि ऐसे हास्यास्पद प्रयास से आरोपों की गंभीरता कम नहीं होती.
दुनिया भर में घिर अदाणी भारत में सेफ?
मुकुल रोहतगी और महेश जेठमलानी के दावों की काट में जयराम रमेश ने वो अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट की चार्जशीट के वो पैरे गिना दिए गए जिसमें अदाणी के खिलाफ फैक्ट्स पेश गए. जयराम रमेश के दावे के मुताबिक चार्जशीट में कहा गया कि गौतम अदाणी, सागर अदाणी और अन्य लोगों ने भारत सरकार के अधिकारियों को रिश्वत की पेशकश करने की एक योजना तैयार की. करीब 2,029 करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की और वादा किया. भ्रष्टाचार का आरोप यहां तक कि सागर अदाणी और विनीत जैन ने सरकारी कंपनी SECI को गुप्त रूप से प्रभावित किया. कांग्रेस कह रही है कि पूरी दुनिया में अदाणी घिर रहे हैं, लेकिन भारत में मोदी के कारण सेफ हैं.
अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) ने आरोप लगाया है कि गौतम अदानी और उनके सहयोगियों ने भारत में अदाणी ग्रीन एनर्जी ने रिश्वत दी. अमेरिका में जिन इन्वेस्टर्स से पैसा उठाए उनको घूस वाली स्कीम की जानकारी नहीं दी. हालांकि चार्जशीट में घूस पाने वाले किसी अधिकारी, कैसे घूस दी गई, इसकी डिटेल नहीं है.
ऐसे शुरू हुआ घूस कांड
घूसकांड का बैकग्राउंड ये है कि अदाणी ग्रीन एनर्जी और अमेरिकी कंपनी अजूर पावर ने ज्वाइंट वेंचर करके सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को आठ गीगावाट और चार गीगावाट की सोलर एनर्जी साप्लई करने का ठेका हासिल किया. सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन को इसी बिजली को राज्यों की बिजली कंपनियों को बेचनी थी. महंगी होने के कारण किसी ने सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन की ऑफर्ड डील में घास नहीं डाली. अदाणी और अज़ूर पावर की बिजली बिक नहीं रही थी. 20 साल में दो अरब डॉलर का मुनाफा देने वाली डील फेल हो रही थी. यहीं से रिश्वत कांड शुरू हुआ.
अमेरिका की अदालत में आरोप लगे कि 2020 से 2024 के बीच अदाणी और उनके लोगों ने 2029 करोड़ की रिश्वत देकर बिजली बेची. आंध्र प्रदेश सरकार में सबसे ज्यादा 1700 करोड़ की रिश्वत दी गई. बिजली आंध्र, तमिलनाडु, जम्मू कश्मीर, ओडिशा, छत्तीसगढ़ को देनी थी. गौतम अदाणी ने खुद अधिकारियों से मिलकर डील क्लियर कराई. आरोप ये भी लगे कि गौतम अदानी ने अज़ुर पावर से रिश्वत के पैसों की पेमेंट के लिए बैठक की थी, लेकिन ये सारा खेल अमेरिका के इनवेस्टर्स से छुपाए रखा जिससे भष्टाचार और ठगी का केस बन गया.
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