Pahalgam Terror Attack: जम्मू और कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में एक बहुत बड़ा आतंकी हमला हुआ है. इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. सूत्रों के हवाले से ये खबर भी आ रही है कि ये हमला जानबूझ कर किया गया जिससे अमरनाथ यात्रा से पहले लोगों में भय पैदा किया जा सका. इस हमले में मुख्य रुप से वहां आए पर्यटकों को निशाना बनाया गया. हमले में फिलहाल 26 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर आ रही है लेकिन अभी तक इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, जिसमें दो विदेशी नागरिक शामिल होने की भी बात है. करीब 12 लोगों के घायल होने की बात भी सामने आई है. घटना के तुरंत बाद गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में हाईलेवल बैठक की. उधर जेद्दा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फोन पर हालात का जायजा लिया. फिलहाल अमित शाह आईबी चीफ और गृहसचिव के साथ श्रीनगर पहुंचे है.
ADVERTISEMENT
अमरनाथ यात्रा से पहले दहशत पैदा करने कि कोशिश
इंडिया टुडे के रिपोर्ट के मुताबिक ये हमला आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने मिलकर किया है. पाकिस्तान के इशारे पर ये छोटे-छोटे गुट 'हिट स्क्वॉड' बनाकर ये हमला कर रहे है. इनका मुख्य उद्देश्य दहशत फैलाना है. अमरनाथ यात्रा से पहले इस तरह का हमला लोगों के मन में भय पैदा करने और परेशान करने के लिए किया गया है. ऐसा ही एक हमला सोनमर्ग में भी किया गया था.
ये भी पढ़ें: Pahalgam terror attack: आतंकवादी हमले के चश्मदीदों बताई खौफनाक मंजर की पूरी कहानी
टीआरएफ ने ली हमले की जिम्मेदारी
इस हमले की जिम्मेदारी टीआरएफ यानी द रेजिस्टेंस फ्रंट ने ली है. इस संगठन को लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा भी कहा जाता है. कश्मीर घाटी में टीआरएफ के आतंकी मॉड्यूल 'हिट स्क्वॉड' और 'फाल्कन स्क्वॉड' आने वाले दिनों में सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती बन सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों स्क्वॉड को खास तौर पर टारगेट किलिंग अंजाम देने और ऊंचे-जंगलों में छिपने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है. इनमें 'फाल्कन स्क्वॉड' को हाल ही में अत्याधुनिक हथियारों की बड़ी खेप मिली है, जिसका इस्तेमाल घाटी में हमलों के लिए किया जा रहा है. कुछ महीने पहले भी सुरक्षा बलों पर हमले का इनपुट मिला था.सूत्रों के अनुसार, द रेजिस्टेंस फ्रंट लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रॉक्सी ग्रुप है.
पुलवामा हमले के बाद एक्टिव हुआ संगठन
14 फरवरी 2019 को हुए पुलवामा हमले के बाद जब पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा तो उसने अपने आतंकी नेटवर्क को नए नाम और चेहरे के साथ पुनर्गठित करने की साजिश रची. इसके तहत टीआरएफ का गठन किया गया ताकि भारत में आतंक बरकरार रहे लेकिन पाकिस्तान सीधे तौर पर ना घिरे. सूत्रों के अनुसार, टीआरएफ असल में लश्कर-ए-तैयबा का ही प्रॉक्सी संगठन है, जिसे जम्मू-कश्मीर में सीधे पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का समर्थन हासिल है. इसका गठन अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद एक ऑनलाइन यूनिट के रूप में किया गया था, जिससे आतंकी गतिविधियों को अंजाम देकर पाकिस्तान अपना नाम छिपा सकेय
टीआरएफ बनाना चाहता है अपना दहशत
2022 की जम्मू-कश्मीर पुलिस की रिपोर्ट के मुताबिक, घाटी में मारे गए कुल 172 आतंकियों में से 108 टीआरएफ या लश्कर से जुड़े थे. इसके अलावा, नए भर्ती हुए 100 में से 74 आतंकवादी टीआरएफ के जरिए शामिल हुए थे, जो इसकी बढ़ती पहुंच और खतरे का संकेत है. टीआरएफ का नाम सबसे पहले 2020 में कुलगाम में बीजेपी नेताओं की हत्या के बाद सामने आया था. अब माना जा रहा है कि यह संगठन घाटी में 90 के दशक जैसा भय का माहौल दोबारा लाने की कोशिश कर रहा है, जहां टारगेट किलिंग और डर का साम्राज्य बना रहे.
यह खबर भी पढ़ें: Pahalgam Terror Attack: आतंकी हमले में चश्मदीद महिला का दावा, कहा- "शायद मुस्लिम नहीं है बोलकर चला दी गोली"
ADVERTISEMENT