दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र का एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया गया. उनके स्वागत के लिए खुद मॉरीशस के पीएम नवीनचंद्र रामगुलाम पहुंचे. उनके साथ पूरी कैबिनेट, विपक्षी नेता और जज समेत 200 लोग शामिल हुए. प्रधानमंत्री मोदी के मॉरीशस दौरे से सबसे ज्यादा चर्चा में रहा. पीएम मोदी का बिहारी परंपरा में किया गया स्वागत. मॉरीशस पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का का स्वागत पारंपरिक भोजपुरी 'गीत गवई' के माध्यम से किया गया. गीत गवई में महिलाओं ने गाया, 'धन्य है देश हमारा हो, मोदी जी पधारे हैं.'
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गीत गवई, बिहार के भोजपुरी क्षेत्र से आई महिलाओं द्वारा मॉरीशस में लाई गई एक सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. इसके सांस्कृतिक महत्व को मान्यता देते हुए, गीत गवई को दिसंबर 2016 में यूनेस्को की 'मानवता' की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था. आज जब पीएम पहुंचे तो उसी गीत गवई के साथ स्वागत हुआ. पीएम मोदी के मॉरीशस कार्यक्रम का मुख्य अंश भी सामने आया वो भी भोजपुरी में. जहां ये बताया गया की मोदी क्या-क्या करेंगे. किस तरह से उनका पूरा कार्यक्रम होगा.
गीत गवई में स्वागत फिर भोजपुरी में पीएम का कार्यक्रम
पीएम के दौरे के बाद फिर से मॉरीशस और बिहार कनेक्शन की खूब चर्चा हो रही है. मॉरीशस का बिहार और भोजपुरी से गहरा कनेक्शन है. कैसे मॉरीशस में इस भाषा का बोलबाला हुआ और कैसे यहां के पीएम भी बिहार के भोजपुर के तालकु रखते हैं और क्या है कनेक्शन? आपको बताएंगे इस स्टोरी में...
सबसे पहले आपको बता दें की बिहार और मॉरिशस का कनेक्शन 100 साल पुराना है. मॉरीशस अफ्रीका का एक छोटा देश है, जिसकी कुल आबादी करीब 12 लाख है. यहां करीब 70 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है. भोजपुरी भी यहां बड़े पैमाने पर बोली जाती है. मॉरीशस की कुल आबादी में करीब 50 फीसदी हिंदू हैं. इसके बाद करीब 32 फीसदी आबादी ईसाई धर्म को मानने वाली है, जबकि 15 फीसदी के करीब इस्लाम को मानने वाले हैं.
फ्रांस ने कब्जा किया, फिर ब्रिटेन ने कर लिया कब्जा
कहानी की शुरुआत होती है साल 1715 में, मॉरीशस पर फ्रांस ने कब्जा किया था. लेकिन 1803 के बाद हुए युद्ध के बाद ब्रिटिश ने इस पर कब्जा कर लिया. ब्रिटिश कब्जे के बाद भारत से कई मजदूरों को मॉरीशस से जाया गया. 1834 से लेकर 1924 तक अंग्रेज भारत से मजदूरों को मॉरीशस ले जाते रहे. इसी क्रम में 1896 में 'द हिंदुस्तान' नामक एक जहाज से बिहार के भोजपुर जिले के हरिगांव से 18 वर्षीय मोहित रामगुलाम नामक एक शख्स को भी मॉरीशस ले जाया गया.
पीएम मोदी के स्वागत का वीडियो देखिए...
बिहार के रामगुलाम परिवार का मॉरीशस में सफर
और फिर यहीं से शुरु हुआ बिहार के रामगुलाम परिवार का मॉरीशस में सफर. मोहित रामगुलाम के भाई भी मॉरीशस गए थे. मोहित ने पहले एक मजदूर के रूप में काम किया लेकिन बाद में वो क्वीन विक्टोरिया सुगर इस्टेट में नौकरी करने लगे. इस दौरान उनकी मुलाकात बासमती से हुई जो विधवा थीं. मोहित ने 1898 में उनसे शादी कर ली. दो साल बाद उनके बेटे शिवसागर का जन्म हुआ. मोहित ने धीरे-धीरे मॉरीशस में भोजपुरी भाषा और हिंदू धर्म के रिवाजों को लेकर पहल शुरू की और हिंदुओं को जोड़ना शुरू किया.
लेकिन जब शिवसागर 12 साल के थे तभी उनके पिता मोहित का निधन हो गया. लेकिन शिवसागर ने हिम्मत नहीं छोड़ी. उन्होंने अपनी मां को बिना बताए स्कूल में दाखिला ले लिया. बाद में अपने भाई की मदद से वह इंग्लैंड पढ़ने के लिए गए. इंग्लैंड में शिवसागर की मुलाकात भारत के कई दिग्गजों से हुई जो अंग्रजों से आजादी की लड़ाई लड़ रहे थे. शिवसागर उनसे बहुत प्रभावित हुए.
मॉरीशस को 1968 में मिली आजादी
शिवसागर 1935 में इंग्लैंड से फिर मॉरीशस पहुंचे. उन्होंने मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई और वोटिंग राइट के लिए मॉरीशस लेबर पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई. 1940 से लेकर 1953 के बीच शिवसागर ने मॉरीशस की कई जगहों पर प्रदर्शन में हिस्सा लिया. पार्टी दफ्तर खोले. मजदूरों के अधिकारों के लिए उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत की खूब आलोचना की. धीरे-धीरे पूरे मॉरीशस में शिवसागर हीरो की तरह उभरने लगे. आखिरकार 12 मार्च 1968 को मॉरीशस को आजादी मिल गई. शिवसागर ने मॉरीशस की आजादी में अहम भूमिका निभाई थी.
लिहाजा उन्हें आजादी के बाद राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई. वो पहले पीएम भी बने. उनके कार्यकाल में सरकार ने मुफ्त शिक्षा की पहल की. उन्हें मॉरीशस में अंकल कहकर बुलाते थे. 1982 तक शिवसागर की पार्टी का मॉरीशस में जलवा देखने को मिला. उनकी पार्टी 1982 के आम चुनावों में हार गई. एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. शिवसागर भी अपनी सीट हार गए.शिवसागर के निधन के बाद उनके बेटे नवीनचंद्र रामगुलाम ने सियासत संभाली.
रामगुलाम परिवार लंबे समय से सत्ता में
नवीनचंद्र 1995-2000 और 2005 से लेकर 2014 तक देश के पीएम रहे. इसके बाद 2024 में वो तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. आसान शब्दों में कहें तो रामगुलाम परिवार का मॉरीशस की सियासत में बड़ा प्रभाव है. बता दें कि मॉरीशस में कई लोग ऐसे रहते हैं जिनका संबंध बिहार से रहा है. इसके अलावा मॉरीशस में अन्य कई बड़े पदों पर भी आपको बिहारी देखने को मिल जाएंगे.
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