प्रयागराज में प्रतियोगी छात्र सड़क पर उतर चुके हैं. सोमवार को धक्का-मुक्की के बाद पुलिस ने छात्रों पर लाठी भांजी दी. इधर छात्रों पर पुलिस की लाठी का वीडियो सामने आते ही मामला सियासी होने लगा. एक तरफ सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पुलिस के इस कृत्य पर राज्य की योगी सरकार को आड़े हाथों लिया वहीं कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दल भी बीजेपी पर हमलावर हो गए. सवाल ये है कि छात्रों को किसी बात पर आपत्ति है और उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन क्यों नहीं छात्रों के पक्ष में अपना फैसला बदल रही है?
ADVERTISEMENT
छात्र उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन (UP PSC) की परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन सिस्टम खत्म करने की मांग पर अड़े हुए हैं. छात्रों का दावा है कि लोक सेवा आयोग के नॉर्मलाइजेशन सिस्टम का तरीका निष्पक्ष नहीं है.
छात्रों का तर्क है कि आयोग पीसीएस की 7 और 8 दिसंबर को 411 पदों पर परीक्षा आयोजित करा रहा है. ये परीक्षा 41 जिलों आयोजित हो रही है जबकि इसे सभी 75 जिलों में एक ही दिन एक शिफ्ट में आयोजित किया जाना चाहिए. इसमें करीब 10 लाख छात्रों के शामिल होने की संभावना है. छात्रों की मांग है कि एक बार जब भर्ती प्रक्रिया शुरू हो जाती है, तो परीक्षा के नियमों में बदलाव करना उचित नहीं है. ध्यान देने वाली बात है कि RO ARO की परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को होने जा रही है. 22 दिसंबर को पहली पाली में सुबह 9 से दोपहर 12 बजे, दूसरी पाली में दोपहर ढाई बजे से शाम साढ़े 5 बजे तक और 23 दिसंबर को तीसरी पाली की परीक्षा सुबह 9 बजे से दोपहर 12 बजे तक होगी.
कब शुरू हुआ नॉर्मलाइजेशन सिस्टम का विवाद?
हाल ही में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्रतियोगी परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन सिस्टम लागू करने को लेकर एक नोटिस जारी किया था. इस नोटिस के तहत बताया गया कि अगर कोई परीक्षा दो या दो से अधिक दिन तक चलती है तो उनका मूल्यांकन परसेंटाइल के आधार पर किया जाएगा, लेकिन अगर एक दिन की परीक्षा होगी तो उसमें ये सिस्टम लागू नहीं होगा. यूपीपीएससी ने बताया कि PCS प्रीलिम्स परीक्षा 2024 और RO-ARO 2023 की भर्ती परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन सिस्टम लागू किया जाएगा.
नॉर्मलाइजेशन सिस्टम है क्या?
अक्सर देखा जाता है कि किसी-किसी पेपर में कठिन सवालों के कारण उसमें परीक्षार्थियों के नंबर काफी कम हो जाते हैं. ऐसे में पेपर कितना कठिन है, इसके हिसाब से अंक निर्धारित करने के लिए बनाए गए सिस्टम को ही नॉर्मलाइजेशन कहा गया है. इस सिस्टम के जरिए परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर कैंडिडेट्स का पर्सेंटाइल स्कोर निकाला जाता है. परीक्षा के हर पेपर के लेवल में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है. इस सिस्टम को लागू करने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि इसी अंतर को खत्म करने के लिए ये सिस्टम लागू किया जाता है.
पर्सेंटाइल निकालने का फार्मूला क्या है?
इस फार्मूला को यहां समझें?
माना कि किसी एक पाली में 1000 बच्चों ने परीक्षा दी. इन एक हजार बच्चों में से एक सुरेश नामक अभ्यर्थी ने 150 में से 120 नंबर हासिल कर लिया. वहीं सुरेश के बराबर या उससे कम अंक पाने वाले 800 अभ्यर्थी थे. अब सुरेश की पर्सेंटाइल निकालनी हो तो इसके लिए बोर्ड ने एक फॉर्मूला जारी किया है. इसके अनुसार, सुरेश के बराबर या उससे कम पाने वाले उम्मीदवारों की संख्या (800) में कुल उपस्थित उम्मीदवार (1000) से भाग देकर फिर 100 का गुणा कर दीजिए. यानी सुरेश का पर्सेंटाइल 80 हुआ.
क्यों हो रहा है इसका विरोध?
प्रयागराज की एक कोचिंग संस्था के टीचर केडी सिंह ने बताया कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में कई खामियां हैं. केडी सिंह का कहना है कि सरकार ने अभी इसे लेकर पूरी तरह से सही जानकारी भी नहीं दी है. केडी सिंह के मुताबिक अगर तीन पालियों में परीक्षा होती है और पहली पाली में 1000, दूसरी में 2000 और तीसरी में 2500 अभ्यर्थी परीक्षा देने आते हैं तो यहां मामला उलझ सकता है. वो ऐसे कि जिस पाली में 2500 बच्चे हैं, उस पाली में अगर किसी छात्र के ज्यादा भी अंक आए तो उसका पर्सेंटाइल प्रभावित हो सकता है.
केडी सिंह ने आगे बताया "इस परीक्षा में GS (सामान्य अध्ययन) आता है. ऐसे में जीएस के एग्जाम में यह तय नहीं किया जा सकता कि कौनसा सवाल आसान है और कौनसा कठिन. जिस अभ्यर्थी को सवाल का जवाब पता है तो उसके लिए ये आसान सवाल था पर जिसे नहीं पता उसके लिए कठिन था. नॉर्मलाइजेशन एक सामान्यकरण की प्रक्रिया है. नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में योग्यता पीछे छिप जाती है.
योग्य अभ्यर्थी का कैसे हो सकता है नुकसान?
केडी सिंह ने बताया कि "नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया मुख्य परीक्षा में लागू की जा सकती है, लेकिन प्री एग्जाम में जहां पर लड़ाई पॉइन्ट वन मार्क्स के लिए होती है, वहां पर यह प्रक्रिया लागू नहीं जा सकती है. प्री एक स्क्रीनिंग एग्जाम होता है, न कि यह वास्तव में इम्तिहान है." अगर कोई योग्य छात्र इसी प्रक्रिया में छंट गया तो यह उसके साथ अन्याय है.
मामले में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने क्या कहा?
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट कर कहा- 'यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव को छात्रों के मुद्दों पर बोलने का नैतिक अधिकार नहीं है। उन्हें अपने शासनकाल में हुई भर्तियों में भ्रष्टाचार को याद रखना चाहिए। पुलिस अधिकारी संयमित व्यवहार करें और छात्रों पर बल प्रयोग न हो। प्रतियोगी छात्रों से अनुरोध है कि वे अपनी समस्याओं को शांतिपूर्ण तरीके से उठाएँ और सपा की राजनीति का शिकार न बनें। आपकी न्याय की लड़ाई में सरकार और मैं सदैव आपके साथ हूँ।
2012 से 2017 तक सपा सरकार में क्या क्या हुआ था यह पूरा प्रदेश जानता है।'
केशल प्रसाद मौर्य ने ये भी कहा
अखिलेश यादव ने कहा- अयोग्य लोगों का अयोग्य आयोग नहीं होना चाहिए
ADVERTISEMENT