जब रतन टाटा से एक नेता ने एयरलाइन शुरू करने के लिए मांगी थी 15 करोड़ रुपए की घूस, दिलचस्प है कहानी

रूपक प्रियदर्शी

10 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 11 2024 1:59 PM)

Ratan Tata: रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने और जल्द ही उन्होंने एयरलाइन सेक्टर में एंट्री करने का मन बनाया. उन्होंने सिंगापुर एयरलाइंस के साथ ज्वॉइंट वेंचर का प्रस्ताव रखा, लेकिन जब फाइल सरकार के पास पहुंची तो चीजें रुक गईं. 2010 में रतन टाटा ने खुलासा किया कि एयरलाइन शुरू करने के लिए उनसे 15 करोड़ रुपए की घूस मांगी गई थी.

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Ratan Tata: रतन टाटा का सपना सिर्फ जमीन पर नहीं, आसमान में भी उड़ान भरने का था. उन्होंने टाटा ग्रुप को कई क्षेत्रों में ऊंचाइयों पर पहुंचाया. लेकिन उनकी एक ख्वाहिश थी कि टाटा की खुद की एयरलाइन हो.  यह सफर आसान नहीं रहा, कई बार उनके सपने टूटे, फिर बने, और आखिरकार 2022 में जाकर उनका सपना सच हुआ.

रतन टाटा 1991 में टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने और जल्द ही उन्होंने एयरलाइन सेक्टर में एंट्री करने का मन बनाया. उन्होंने सिंगापुर एयरलाइंस के साथ ज्वॉइंट वेंचर का प्रस्ताव रखा, लेकिन जब फाइल सरकार के पास पहुंची तो चीजें रुक गईं. 2010 में रतन टाटा ने खुलासा किया कि एयरलाइन शुरू करने के लिए उनसे 15 करोड़ रुपए की घूस मांगी गई थी. लेकिन उन्होंने इसे देने से मना कर दिया. इसके कारण उनका प्रोजेक्ट अटक गया.

राजनीतिक दखल और टाटा की कोशिशें हुईं नाकाम

रतन टाटा ने तीन प्रधानमंत्रियों के दरवाजे खटखटाए, लेकिन सफलता नहीं मिली. पहली बार 1994 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में, फिर एचडी देवगौड़ा की सरकार में और बाद में अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में कोशिशें हुईं. लेकिन हर बार उनकी एयरलाइन का सपना धरा रह गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक रतन टाटा ने कभी नाम लिया लेकिन माना जाता है कि जब-जब टाटा ने एयरलाइन सेक्टर में उतरने की कोशिश की जेट एयरवेज के नरेश गोयल ने अड़ंगा लगाया.

जेआरडी टाटा का अधूरा सपना

यह विडंबना ही है कि भारत में सबसे पहली कमर्शियल एयरलाइंस की शुरुआत टाटा ग्रुप के संस्थापक जेआरडी टाटा ने 1932 में की थी. लेकिन 1953 में इस एयरलाइन का नेशनलाइज हो गया और टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर एयर इंडिया कर दिया गया.  जेआरडी टाटा और रतन टाटा, दोनों ने फिर से टाटा की एयरलाइन शुरू करने की कोशिशें कीं, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।

साल 2021 में मोदी सरकार ने घाटे में चल रही एयर इंडिया को बेचने का फैसला किया. टाटा ने बोली लगाई और 2022 में यह डील पूरी हुई. लगभग 70 साल बाद, एयर इंडिया टाटा ग्रुप के पास वापस आ गई.

विस्तारा और एयर इंडिया का मर्जर

रतन टाटा का एविएशन सेक्टर में कदम जमाने का सपना धीरे-धीरे पूरा होने लगा. 2015 में विस्तारा एयरलाइन ने अपनी सेवा शुरू की, जिसमें टाटा संस का 51% और सिंगापुर एयरलाइंस का 49% हिस्सा था. अब, विस्तारा और एयर इंडिया के मर्जर की प्रक्रिया चल रही है, जो दिसंबर 2024 तक पूरी हो जाएगी. मर्जर के बाद, एयर इंडिया भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन बन जाएगी. हालांकि, रतन टाटा अब इस दिन को देखने के लिए हमारे बीच नहीं हैं.

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