देश में हाजी पीर की इतनी चर्चा क्यों है? कहां है ये हाजी पीर? भारत ने इसे जीतने के बाद लौटा क्यों दिया? ऐसे कई सवाल लोगों के मन में उठ रहे हैं. दरअसल देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अगर 1965 में भारत ने जीते हुए हाजी पीर रेंज को पाकिस्तान को नहीं लौटाया होता तो आज भारत में पाकिस्तानी घुसपैठ की समस्या नहीं होती.
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पीर पंजाल पर्वतमाला हिमालय की एक रेंज है जो भारत के हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर राज्यों और पाक-अधिकृत कश्मीर तक जाती है. पीर पंजाल निचले हिमालय की सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला भी है. पीर पंजाल पर्वतमाला में कई दर्रे हैं, जिसमें से एक है हाजी पीर दर्रा और इसके अलावा हैं पीर पंजाल दर्रा, बनिहाल दर्रा, गुलाबगढ़ दर्रा, रतनपीर दर्रा, और बैरम गाला दर्रा. हाजी पीर दर्रा समुद्र तल से 2.640 मीटर (8,661 फीट) की ऊंचाई पर स्थित एक ऊंचा पर्वतीय दर्रा है, जो भारतीय सीमा के पास पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित है. पीर पंजाल आंतरिक हिमालय क्षेत्र में पर्वतमाला के पश्चिमी किनारे पर है.
1965 की लड़ाई में क्या हुआ था?
पाकिस्तान लगातार भारत में आतंकियों की घुसपैठ करवा रहा था. अप्रैल 1965 में पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर शुरू किया. जिसका मकसद था स्थानीय लोगों में विद्रोह पैदा करना. फिर उनकी मदद से कश्मीर को अस्थिर करना, कश्मीर में तख्ता पलट, अपनी कठपुतली वाली सरकार बनवाना, लेकिन ये ऑपरेशन फेल हो गया. लोगों ने विद्रोह से इनकार कर दिया और भारतीय सेना का साथ देने का फैसला किया.
भारत ने पाक के नापाक इरादे भांप लिए
वहीं पाकिस्तान के इन हरकतों से परेशान भारत ने एलओसी पार कर उसे सबक सीखाने का फैसला किया. एक बड़े ऑपरेशन की शुरूआत की. ऐसे घुसपैठ को रोकने के लिए ये तय हुआ कि घुसपैठ वाले रास्ते हाजी पीर इलाके पर कब्जा किया जाए. कोडनेम ऑपरेशन बख्शी के तहत 19वीं इन्फ्रेंट्री डिवीजन को इसकी जिम्मेदारी दी गई. 68वीं इन्फेंट्री ब्रिगेड को 19वीं इन्फेंट्री डिवीजन के तहत लगाया गया. नतीजा ये हुआ कि पाकिस्तान की सेना हमले से सहम गई और 26 से 28 अगस्त की लड़ाई में ही पाकिस्तानी सैनिक इलाका छोड़ भाग गए.
हाजी पीर पर भारत का कब्जा होता तो क्या होता?
उस वक्त भारत का पूरे हाजी पीर बल्ज और हाजी पीर दर्रे पर कब्ज़ा करना एक बड़ी रणनीतिक जीत थी क्योंकि इसने पाकिस्तानी घुसपैठियों के प्रवेश मार्गों को बंद कर दिया. साथ ही पुंछ-उरी सड़क को भारतीय नियंत्रण में लाया, जिससे इन 2 शहरों के बीच सड़क की दूरी 282 किमी से घटकर मात्र 56 किमी हो गई. पीर पंजाल के इलाकों से होने वाली बड़ी तादाद में घुसपैठ हाजी पीर दर्रे से होती है. यदि हाजी पीर दर्रे पर कब्जा होता तो ये घुसपैठ आज भी बंद होते.
पाकिस्तान के आतंक उद्योग पर ताला पड़ चुका होता, लेकिन उस वक्त के हालात कुछ और थे. ताशकंद समझौत के मुताबिक यानी भारत और पाकिस्तान के बीच 10 जनवरी 1966 को हुए एक शान्ति समझौते के तहत इसे वापस किया गया. ये समझौता भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच हुई. रूस के ताशकंद में हुई लम्बी बात के बाद भारत ने ये इलाका पाकिस्तान को लौटा दिया.
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