Maharashtra Elections Result: महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में महायुति की सुनामी ने सबको हैरान कर दिया. महायुति ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए विपक्षी महाविकास अघाड़ी को मात्र 50 सीटों तक सीमित कर दिया. अब सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है—क्या एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे, या फिर देवेंद्र फडणवीस को यह पद मिलेगा? इस मुद्दे पर न्यूज तक के विशेष शो "साप्ताहिक सभा" में तक क्लस्टर के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही से विस्तार से चर्चा की. आइए जानते हैं उनके विचार.
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महिला केंद्रित योजनाओं ने बदला चुनावी गणित
मिलिंद खांडेकर:"विजय जी, इस बार महायुति की जीत अभूतपूर्व है. आपको क्या लगता है, इसकी सबसे बड़ी वजह क्या रही?"
विजय विद्रोही: "मिलिंद जी, मुख्य वजह महिला केंद्रित योजनाएं रहीं. झारखंड में 'मैया योजना' और महाराष्ट्र में 'लाडकी बहना योजना' ने बड़ी भूमिका निभाई. एकनाथ शिंदे ने चुनाव के नतीजों के बाद तीन मुद्दे गिनाए—लाडकी बहना, लाडका किसान, और लाडका लड़का. ये योजनाएं सीधे तौर पर महिलाओं और किसानों को लुभाने में कामयाब रहीं."
मिलिंद:"तो क्या यही इकलौता कारण रहा?"
विजय: "नहीं, संघ का भरपूर समर्थन और जातिगत समीकरणों को साधने की रणनीति भी अहम रही. ओबीसी, मराठा, और दलित वोटर्स को बीजेपी ने अपने पाले में बनाए रखा. इसके अलावा, बूथ प्रबंधन और मजबूत प्रचार ने भी जीत सुनिश्चित की.
विपक्ष की विफल रणनीति
मिलिंद खांडेकर: "महाविकास अघाड़ी ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन विधानसभा में इतनी करारी हार क्यों?"
विजय विद्रोही: "महाविकास अघाड़ी ने लोकसभा चुनाव के नारों को ही दोहराने की कोशिश की. उनका घोषणापत्र महायुति के संकल्प पत्र की रेप्लिकेशन जैसा लग रहा था. जनता को कुछ नया ऑप्शन नहीं मिला. वहीं, बीजेपी ने 'लाडकी बहना योजना' से महिलाओं को सीधे प्रभावित किया."
मिलिंद खांडेकर: "क्या इसमें चुनाव आयोग के फैसले का भी योगदान रहा?"
विजय विद्रोही: "बिल्कुल. चुनाव की देरी के कारण महिलाओं को दो अतिरिक्त किस्तें मिलीं. इससे सरकार के प्रति नाराजगी कम हुई और बीजेपी को समय मिल गया अपनी स्थिति मजबूत करने का."
मुख्यमंत्री पद की रेस
मिलिंद खांडेकर: "अब सवाल यह है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? क्या देवेंद्र फडणवीस को मौका मिलेगा?"
विजय विद्रोही: "फडणवीस के पास ब्राह्मण चेहरा होने के साथ संघ का समर्थन है. लेकिन बीजेपी अगर लंबी राजनीति देख रही है, तो किसी मराठा नेता को यह पद सौंप सकती है. हालांकि, एकनाथ शिंदे और अजित पवार की बारगेनिंग पावर काफी कम हो गई है."
मिलिंद खांडेकर: "अगर शिंदे नाराज हो गए तो क्या बीजेपी को नुकसान होगा?"
विजय विद्रोही: "नहीं, शिंदे या अजित पवार के पास अब विपक्ष में जाने का भी विकल्प नहीं है. ऐसे में बीजेपी मजबूत स्थिति में है."
झारखंड में उलटफेर, लेकिन महिलाओं का दबदबा बरकरार
मिलिंद खांडेकर: "झारखंड में भी इंडिया गठबंधन की जीत हुई. क्या इसे बीजेपी के लिए झटका माना जा सकता है?"
विजय विद्रोही: "झारखंड में भी महिलाओं के लिए चलाई गई 'मैया योजना' ने निर्णायक भूमिका निभाई. हेमंत सोरेन ने अपनी योजनाओं से महिलाओं और आदिवासी वोटर्स को साधा. वहीं, बीजेपी का हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण और ईडी की कार्रवाइयां उलटी पड़ गईं."
लोकसभा चुनाव पर असर?
मिलिंद खांडेकर: "महाराष्ट्र की जीत से क्या बीजेपी ने अपनी लोकसभा में हुई क्षति की भरपाई कर ली है?"
विजय विद्रोही: "महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में इतनी बड़ी जीत ने बीजेपी का आत्मविश्वास बढ़ा दिया है. यह 2024 के लोकसभा चुनावों में निर्णायक साबित हो सकता है."
महाराष्ट्र और झारखंड के नतीजों ने दिखा दिया कि महिला केंद्रित योजनाओं का प्रभाव चुनावी राजनीति पर कितना गहरा हो सकता है. वहीं, महाविकास अघाड़ी की विफल रणनीति और बीजेपी के मजबूत संगठन ने महाराष्ट्र में सत्ता की तस्वीर बदल दी. अब, सबकी निगाहें मुख्यमंत्री पद के फैसले और आगामी लोकसभा चुनावों पर हैं.
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