जातिगत जनगणना होनी चाहिए...आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भी राहुल-नीतीश से मिलाया सुर

राजू झा

11 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 11 2024 4:52 PM)

जातिगत जनगणना के मामले में अब आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भी कूद गए हैं. उन्होंने भी जातिगत जनगणना की वकालत कर दी है. इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में चंद्रबाबू नायडू इसे जरूरी बताया है.  

तस्वीर: इंडिया टुडे.

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न्यूज़ हाइलाइट्स

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राहुल गांधी, नीतीश कुमार, संघ के बाद अब चंद्रबाबू नायडू ने की जाति जनगणना की मांग.

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यूपी से अनुप्रिया पटेल, संजय निषाद और ओपी राजभर भी कर चुके हैं ये मांग.

Caste Census:देशभर के राजानैतिक दल जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव से पहले ही राहुल गांधी ने इसकी मांग जोर-शोर की, इसका असर बीजेपी पर देखने को भी मिला. लोकसभा में बीजेपी की सीटें भी कम आईं और कांग्रेस को बंपर फायदा भी हुआ. अब इस पूरे मामले में आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भी कूद गए हैं. उन्होंने भी जातिगत जनगणना की वकालत कर दी है. इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए इंटरव्यू में चंद्रबाबू नायडू इसे जरूरी बताया है.  

ध्यान देने वाली बात है कि जातिगत जनगणना पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने लगातार मोदी सरकार को घेरा हुआ है. कांग्रेस और इसके सहयोगी दलों ने अपने घोषणा पत्र में भी इस मुद्दे को शामिल किया और चुनावी रैलियों में भी कहा कि सरकार में आने पर वह सबसे पहला काम जाति जनगणना का ही करेंगे. जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों का आरोप है कि बीजेपी और मोदी सरकार जाति जनगणना नहीं कराना चाहते. 

नीतीश, चिराग पासवान ने भी जाति जगनगणना की मांग की

नीतीश कुमार, चिराग पासवान, संघ, राहुल गांधी सबने जाति जगनगणना की मांग की. यूपी से अनुप्रिया पटेल, संजय निषाद और ओपी राजभर भी यह दोहरा चुके हैं, लेकिन अब इस कड़ी में एनडीए के ही एक और सहयोगी TDP प्रमुख आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने इसकी मांग कर डाली है.  

नायडू से पूछा गया कि क्या जाति जनगणना की भावना का सम्मान किया जाना चाहिए? चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि हां इस भावना का सम्मान करना होगा और इसमें कोई दो राय नहीं है. नायडू ने कहा कि गरीबी सबसे बड़ा मुद्दा है, भले ही आप कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखते हों, लेकिन अगर आपके पास पैसा है तो समाज आपकी इज्जत करेगा. अगर आप ऊंची जाति से हैं और आपके पास पैसा नहीं है तो कोई भी आपकी इज्जत नहीं करेगा. नायडू ने कहा कि पैसा संतुलन बनाने वाला कारक है और यहीं पर आपको संतुलन बनाना होगा.

बता दें कि नायडू मोदी सरकार 3.0 में NDA के सहयोगी हैं. टीडीपी 16 सीटों से बीजेपी को समर्थन दे रही है. नायडू ने इस साल लोकसभा के साथ ही हुए विधानसभा के चुनाव में आंध्र प्रदेश में बड़ी जीत हासिल की थी. उन्होंने बीजेपी और अभिनेता से राजनेता बने पवन कल्याण की पार्टी जनसेना पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था. 175 सीटों वाली विधानसभा में इस गठबंधन ने प्रचंड जीत हासिल करते हुए 164 सीटें हासिल की थीं. इसमें से टीडीपी को 135, जनसेना पार्टी को 21 और बीजेपी को 8 सीटों पर जीत मिली थी.

2019 में राज्य में सरकार बनाने वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को सिर्फ 11 विधानसभा सीटें ही मिली थीं. इसी तरह 25 लोकसभा सीटों वाले आंध्र प्रदेश में इस गठबंधन ने 21 सीटों पर कब्जा जमाया था. इसमें टीडीपी को 16, बीजेपी को तीन और जनसेना पार्टी को दो सीट मिली थी जबकि वाईएसआर कांग्रेस सिर्फ चार सीट ही जीत पाई थी.

चंद्रबाबू नायडू पहले भी एनडीए के साथ ही थे, लेकिन कुछ साल पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोलते हुए एनडीए का साथ छोड़ दिया था. इस बार विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले वह एनडीए में वापस आ गए थे. अब बात कर लेतें हैं NDA के सहयोगियों ने जाति जनगणना को लेकर क्या सब कहा? 

आरएसएस ने जाति जनगणना का समर्थन किया था और साथ में आरएसएस की ओर से सुनील आंबेकर ने कहा था कि जाति जनगणना एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. आंबेकर ने यह भी कहा था कि जाति जनगणा जरूरी है, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक हथियार के रूप में नहीं होना चाहिए. 

नीतीश, चिराग, जीतन मांझी ने भी जाति जनगणना का किया समर्थन

राजद के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा था कि आरएसएस-बीजेपी वालों के कान पड़ककर हम जाति जनगणना करवाएंगे. बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा था कि आरएसएस-बीजेपी जाति जनगणना का भले ही कितना विरोध करें, लेकिन हम उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर कर देंगे.

कांग्रेस का कहना है कि जाति जनगणना से ही इस बात का पता चलेगा कि समाज के संसाधनों और सरकारी नौकरियों पर किस जाति समूह के लोगों का कितना हक और हिस्सेदारी है और इससे पिछड़े और वंचित वर्गों के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी.

अब बड़ा सवाल यह है कि बीजेपी आखिर जाति जनगणना की मांग को लेकर आगे क्यों नहीं बढ़ रही है? बीजेपी ने कभी भी जाति जनगणना का विरोध नहीं किया है, लेकिन वह इस पर आगे बढ़ती भी नहीं दिखती. जनगणना के आंकड़ें संवेदनशील माने जाते हैं और इनका व्यापक असर होता है.

खाद्य सुरक्षा, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम और निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन जैसी कई योजनाएं इनपर निर्भर होती हैं. आंकड़ों का उपयोग सरकारों के साथ उद्योग जगत और शोध संस्थाएं भी करती हैं. जून, 2024 तक भारत दुनिया भर में उन 44 देशों में से एक था, जिन्होंने इस दशक में जनगणना नहीं कराई. 

अमित शाह ने कहा- जब होगा तो बता देंगे

हालांकि जब भी जातिय जनगणना के बारे में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से पूछा गया तो उन्होंने बस इतना कहा कि जब होगा तो बता देंगे. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने 20 जुलाई 2021 को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा था कि फिलहाल केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति के अलावा किसी और जाति की गिनती का कोई आदेश नहीं दिया है.

भारत में जनगणना के उपलब्ध आंकड़ों से यह पता नहीं चलता कि देश में किस जाति के कितने लोग हैं. जनगणना से यह तो पता चलता है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कितने लोग हैं, लेकिन ओबीसी वर्ग में कितनी जातियां हैं, इसका पता नहीं चल पाता.

सहयोगी दल लगातार जाति जनगणना की मांग को लेकर मुखर हो रहे हैं, उसमें यह सवाल पूछना लाजिमी है कि बीजेपी कब तक जाति जनगणना के मुद्दे पर आगे नहीं बढ़ेगी? आरएसएस के जाति जनणगना का समर्थन करने के बाद ऐसी खबरें सामने आई थीं कि मोदी सरकार इस संबंध में गहन विचार कर रही है. देखना होगा कि सरकार इस पर कब आगे बढ़ेगी?

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