Chandrababu Naidu: राजनीति में एक बात कही जाती है. चुनाव बाद सत्ता की राजनीति कौन-सी करवट लेगी, इसे सबसे पहले अफसर भांप लेते हैं. सरकार के अफसर टूलकिट की तरह पार्टियों की सरकारों के लिए काम करते हैं. सत्ता रिपीट होने पर ऐसे अफसर फायदे में रहते हैं. सत्ता बदलने पर वही अफसर नई सरकार के निशाने पर होते हैं.
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यूपी एक बढ़िया उदाहरण है जहां अगला विधानसभा चुनाव तो 2027 में होना है लेकिन अखिलेश यादव अभी से अफसरों को दनादन वॉर्निंग दिए जा रहे हैं कि सत्ता में आए तो देख लेंगे. पता नहीं अखिलेश यादव को ये मौका कब मिलेगा. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू को ये मौका मिल गया तो जगन मोहन रेड्डी के फेवरेट अफसरों की जमकर नपाई, सुताई हो रही है.
सीएम नायडू ने लिया बदला
5 महीने में चंद्रबाबू नायडू ने दिखा दिया कि राजनीतिक बदला क्या होता है. 2024 के चुनावों से धमाकेदार वापसी करने के बाद चुन-चुनकर वाईएसआरसीपी नेताओं से लेकर जगन सरकार के इशारे पर काम करने वाले अफसरों से बदला रहे हैं. चंद्रबाबू से त्रस्त होकर जगन मोहन दिल्ली आकर जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने आए थे. तब साथ आकर अखिलेश यादव ने उन्हें बड़ा ढाढस बंधाया था.
आंध्र प्रदेश की जिन सड़कों पर कभी चंद्रबाबू नायडू को घसीटकर जेल में डाला गया था उन्हीं सड़कों पर अब चंद्रबाबू नायडू का राज चलता है. राजपाट वापस आने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने अब उस अफसर पर बड़ा एक्शन लिया है जिसने गिरफ्तार करके जेल में डाला था. चंद्रबाबू के बेटे नारा लोकेश भी फंसे लेकिन गिरफ्तार नहीं किए गए. ये बात सितंबर 2023 की थी. चुनाव जून 2024 में होने थे. सारा खेल ये था कि चंद्रबाबू नायडू को जेल में डाल दो ताकि चुनाव न लड़ पाएं. सुप्रीम कोर्ट से जमानत पाकर चंद्रबाबू नायडू राजनीतिक वापसी कर पाए.
केस में फंसकर जेल गए थे चंद्रबाबू नायडू
जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने चंद्रबाबू नायडू को जेल में डालने के लिए 371 करोड़ के स्किल डेवलपमेंट घोटाले का केस बनाया. ईडी, सीबीआई के आने से पहले आंध्र प्रदेश सीआईडी इतनी एक्टिव हुई कि शुरूआत जांच करके चंद्रबाबू नायडू को धर दबोचा. तब 1993 बैच के आईपीएस अफसर एन संजय Crime Investigation Department यानी सीआईडी के चीफ हेड होते थे. एन संजय के सीआईडी चीफ होते हुए Amaravati Inner Ring Road Project में भी घोटाले की जांच हुई. उसमें चंद्रबाबू नायडू के खिलाफ एक्शन हुआ. करीब 2 महीने जेल में रहकर सत्ता में जोरदार वापसी की चंद्रबाबू ने. अब आंध्र की सरकार ही नहीं चलाते, केंद्र की मोदी सरकार की भी एक चाबी अपने हाथ में रखी है.
एन संजय आंध्र प्रदेश पुलिस में ADGP रैंक के अफसर हैं. बिना पोस्टिंग के दिन कट रहे थे. अब चंद्रबाबू नायडू सरकार ने सस्पेंड भी कर दिया है. कोई सवाल नहीं उठाए इसलिए एन संजय के खिलाफ केस बना है एक करोड़ के घोटाले का. जब एन संजय State Disaster Response and Fire Services के Director General थे उस जमाने का मामला खोलकर संजय सस्पेंड किए गए. आरोप ये कि संजय ने पद का लाभ उठाकर गैरकानूनी तरीके से Sautrika Technologies and Infra नाम की कंपनी को एक करोड़ का फायदा पहुंचाया. नियमों की अनदेखी करते हुए सरकारी ठेके दिलाए. कंपनी ने काम नहीं किया लेकिन पैसे पा गई.
आरोपों से किया था इनकार
चंद्रबाबू नायडू ने जगन मोहन रेड्डी सरकार के लगाए हर आरोपों से इनकार किया. जब सत्ता में लौटे तो पहला काम ये किया कि संजय को सीआईडी से हटाकर डीजीपी ऑफिस से अटैच कर दिया. कोई पोस्टिंग नहीं दी. फिर Vigilance and Enforcement की जांच शुरू हुई. Vigilance ने क्रिमिनल एक्शन की सिफारिश की तो सरकार ने सस्पेंड कर दिया. आदेश ये भी निकला कि हेडक्वार्टर छोड़कर नहीं जा सकते.
निशाने पर आए IPS संजय
संजय आईपीएस अफसर हैं. कोई भी सरकार किसी आईपीएस को सस्पेंड या ट्रांसफर तो कर सकती है लेकिन नौकरी नहीं खा सकती. संजय से चंद्रबाबू नायडू कितने भी नाराज हों, सस्पेंशन, ट्रांसफर-पोस्टिंग से आगे कुछ कर नहीं पाएंगे. केस-मुकदमे के अंजाम तक पहुंचने बिना आईपीएस वाली नौकरी पर कोई आंच नहीं आने वाली. चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने भी जो एक्शन लिया है उसके खिलाफ संजय केंद्र कर्मचारियों के लिए बनी कैट या कोर्ट में चैलेंज कर सकते हैं. सरकार बदलने के बाद DGP, ADGP, IG, DIG रैंक के कई सीनियर पुलिस अफसर निशाने पर माने जा रहे हैं. कई अफसरों का ट्रांसफर किया गया है लेकिन बिना पोस्टिंग बिठा रखा है.
सत्ता पलटने के बाद जगन मोहन रेड्डी भी चंद्रबाबू नायडू के कोप के शिकार बने हैं. ताबड़तोड़ केस, एफआईआर हुए उनपर और उनकी पार्टी के लोगों पर. जगन मोहन ने बहुत पहले समझ लिया था कि चंद्रबाबू नायडू किसी को छोड़ेंगे नहीं. चंद्रबाबू की सरकार बनते ही जगन ने fear psychosis क्रिएट करके डराने का आरोप लगाया था. कहा कि जिन्होंने टीडीपी को वोट नहीं दिया उनसे बदला ले रहे चंद्रबाबू नायडू.
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