Citizenship Amendment Act: आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी का नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA वाला वादा भी पूरा हो गया. इसी के साथ CAA पर राजनीतिक महाभारत भी फिर शुरू हो गई है. गैर-बीजेपी राज्य एलान कर रहे हैं कि, वो अपने राज्य में CAA को लागू नहीं होने देंगे. शुरूआत बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने की. अब केरल के सीएम पी विजयन, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने CAA के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
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CAA वही कानून है जिसे सरकार ने 2019 में संसद से पास करा लिया था लेकिन उसके बाद दिल्ली के शाहीन बाग में जोरदार विरोध शुरू होने पर इसे ठंडे बस्ते मे डाल दिया था. शाहीन बाग का धरना कोरोना वायरस के आने पर टूटा था लेकिन तब भी सरकार ने कानून लागू नहीं किया. अब सरकार ने CAA को लागू करने के लिए लोकसभा चुनाव के सीजन को चुना.
CAA से पाकिस्तानियों को नौकरी देगी सरकार: केजरीवाल
सरकार तो मना करती है लेकिन विपक्ष ये समझाने में लगा है कि, CAA मुसलमानों के खिलाफ सरकार का हथियार है. वहीं अरविंद केजरीवाल ने CAA विवाद को मुसलमानों से हटकर पकिस्तानियों को नौकरी-रोजगार देने तक पहुंचा दिया है. वैसे अरविंद केजरीवाल ने ये तो नहीं कहा कि, वो दिल्ली में लागू नहीं होने देंगे लेकिन उन्होंने ये समझाने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस की कि, पाकिस्तानियों को नौकरी-रोजगार देने के लिए सरकार CAA लेकर आई है.
CAA को NRC दो अलग-अलग है प्रावधान: अमित शाह
पहले भी और अब भी. CAA को NRC से जोड़ा जाता रहा है. दोनों नागरिकता से जुड़े कानून है लेकिन CAA नागरिकता देने का कानून है और NRC अवैध रूप से रह रहे लोगों का डाटा तैयार करने वाला कानून. NRC फिलहाल सिर्फ असम में ही लागू है. वैसे बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में इसे पूरे देश में लागू करने की बात कही थी. 2019 में अमित शाह ने भी CAA बिल पास होते समय ऐसे ही बयान दिए थे.
NRC से छिन जाएगी नागरिकता: ममता
ममता बनर्जी तो दावा कर रही हैं कि, असम में NRC आने के बाद 13 लाख हिंदू समेत 19 लाख लोगों की नागरिकता छीन ली गई. NRC के बारे में विपक्ष आशंका जताया है कि जिन नाम जनंसख्या रजिस्टर में नहींआए उनको डिटेनशन सेंटर डाला दिया जाएगा. राजनीतिक तौर पर CAA के विरोध की राजनीति से मुसलमानों के लिए हमदर्दी का भाव आता है. कांग्रेस भी CAA का विरोध कर रही है लेकिन हिमाचल, कर्नाटक, तेलंगाना के सीएम ने बाकी सीएम की तरह कोई लाइन नहीं ली है. कांग्रेस का आरोप है चुनाव के समय ध्रुवीकरण के लिए सरकार CAA लाई.
क्या है CAA?
CAA से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए शरणार्थियों को नागरिकता मिलेगी. हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म के लोग नागरिक के लिए आवेदन कर सकते है. मुस्लिम शरणार्थी CAA दायरे से बाहर हैं इसीलिए CAA को मुसलमान विरोधी बताया जाता रहा है. वैसे केंद्र सरकार विरोध के इस आधार को गलत बताती है. लेकिन सच्चाई यही है कि, CAA के कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए मुसलमानों को नागरिकता नहीं मिल सकती.
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