महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने खेला नया दाव, क्रिकेट के सहारे साधेंगे सियासत को 

रूपक प्रियदर्शी

11 Jul 2024 (अपडेटेड: Jul 11 2024 5:25 PM)

नाना पटोले उस समय महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बने जब कांग्रेस की हालत खस्ता थी लेकिन आज केरल के बाद महाराष्ट्र दूसरा बड़ा राज्य है जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. किसी जमाने में जिला पंचायत, यूनिवर्सिटी से राजनीतिक करियर शुरू करने वाले नाना पटोले आज महाराष्ट्र के अध्यक्ष तक पहुंचे.

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Maharashtra News: लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का फोकस महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड के विधानसभा चुनावों पर है. इन सब में महाराष्ट्र बड़ा राज्य है जहां कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत हुई इसलिए इस पर फोकस और ज्यादा है. अक्टूबर में होने वाले चुनाव की जिम्मेदारी महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले पर है. वैसे विधानसभा चुनाव से लड़ने से पहले नाना पटोले एक और चुनाव में कूद पड़े हैं. यह चुनाव है मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन यानी MCA का. 

MCA के अध्यक्ष पद के लिए पटोले ने भरा नामांकन 

महाराष्ट्र की राजनीति और क्रिकेट का बड़ा पुराना गहरा नाता रहा है. मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन यानी MCA पर दबदबे से इशारा मिलता है कि, महाराष्ट्र में किसका दबदबा चल रहा है. कांग्रेस को महाराष्ट्र की सबसे बड़ी पार्टी बनाने के बाद नाना पटोले उतर गए हैं मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव में. नाना पटोले ने MCA अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरा है. यहां उनका मुकाबला शिवसेना विधायक प्रताप सरनाईक के बेटे विहंग सरनाईक और MCA सचिव अजिंक्य नाइक से 23 जुलाई को होना है. 

INDIA ब्लॉक कर रहा पटोले का समर्थन 

मुंबई क्रिकेट के चुनाव में भी अलायंस के अनुशासन का पालन किया जा रहा है. उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना यूबीटी से मिलिंद नार्वेकर को चुनाव लड़ना था लेकिन नाना पटोले की दावेदारी के बाद उन्होंने दावेदारी वापस ले ली. मिलिंद नार्वेकर नाना को जिताने के लिए काम कर रहे हैं. डील ये है कि MLC चुनाव के उम्मीदवार मिलिंद नार्वेकर को कांग्रेस समर्थन करेगी जिसके बदले मिलिंद MCA अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस का साथ देंगे. 

पटोले ने महाराष्ट्र में कांग्रेस को बनाया है जीरो से हीरो

नाना पटोले उस समय महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बने जब कांग्रेस की हालत खस्ता थी लेकिन आज केरल के बाद महाराष्ट्र दूसरा बड़ा राज्य है जहां कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. किसी जमाने में जिला पंचायत, यूनिवर्सिटी से राजनीतिक करियर शुरू करने वाले नाना पटोले आज महाराष्ट्र के अध्यक्ष तक पहुंचे. एक जमाने में कांग्रेस में टिकट के मोहताज होते थे लेकिन आज टिकटों के फैसले करने वालों में से हैं. एक वक्त में टिकट नहीं मिलने पर कांग्रेस छोड़ी थी लेकिन कांग्रेस के लिए इतने समर्पित रहे कि दोबारा शामिल होने के लिए 5 साल का कार्यकाल पूरा किए बिना संसद सदस्यता छोड़ दी. 

भंडारा के रहने वाले नाना पटोले कांग्रेस के टिकट पर 1999, 2004 और 2009 में लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीतकर विधायक बने. 2014 में लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला तो कांग्रेस से बीजेपी में चले गए. 2014 के चुनाव में प्रफुल्ल पटेल जैसे NCP के दिग्गज को लोकसभा चुनाव मे हरा दिया. सांसद बनने के बाद भी नाना बीजेपी के हिसाब से ढल नहीं पाए. महसूस किया बीजेपी में रहते हुए ओबीसी और किसानों की लड़ाई की राजनीति कर नहीं पाएंगे. 2018 में लोकसभा की सदस्यता और बीजेपी छोड़कर वापस कांग्रेस में आ गए. 2019 में नाना पटोले नागपुर में नितिन गडकरी जैसे दिग्गज के खिलाफ चुनाव में उतर गए. हालांकि जीत नहीं पाए. 

कांग्रेस में अपनी दूसरी पारी में जबरदस्त बढ़ा है पटोले का कद 

कांग्रेस में दूसरी पारी नाना पटोले के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुई. सफलता की लगातार सीढ़ियां चढ़ रहे हैं. कांग्रेस के बहुत सारे नेताओं के पार्टी से चले जाने के बाद नाना के रास्ते क्लियर होते रहे. काबिलियत से नाना मुंबई टू दिल्ली की जरूरत बन गए. महाराष्ट्र में नाना के कद का कोई नेता नहीं. कल सरकार की नौबत आई तो सीएम के दावेदार भी होंगे. जितने बढ़िया रिश्ते कांग्रेस हाईकमान से हैं उतने ही उद्धव ठाकरे और शरद पवार से भी. 2019 में लोकसभा हारने के बाद नाना विधानसभा चुनाव लड़कर चौथी बार विधायक बने. 

उसी चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे, कांग्रेस, NCP ने मिलकर अघाड़ी सरकार बनाई थी. लंबे राजनीतिक अनुभव के सम्मान के तौर पर अघाड़ी ने महाराष्ट्र विधानसभा का स्पीकर बनाया. उसी सरकार गिराने के लिए बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के जरिए शिवसेना में टूट कराई थी. उसी समय नाना पटोले से स्पीकर पद से इस्तीफा दिया था. शिवसेना, NCP की शिकायत रही है कि अगर नाना स्पीकर पद पर टिके होते तो बीजेपी के लिए उद्धव की सरकार गिराना आसान नहीं होता. 2021 में वही दौर था जब नाना पटोले को महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. तब से नाना और कांग्रेस दोनों के लगातार अच्छे दिन चल रहे हैं.

अब MCA का इतिहास भी जान लीजिए 

मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन है तो क्रिकेटरों की संस्था लेकिन इसे चलाने वाले ज्यादातर नेता हैं.  बीजेपी नेता आशीष शेलार, एनसीपी विधायक जितेंद्र अव्हाड, शिवसेना-यूबीटी के मिलिंद नार्वेकर पहले से मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन में पदाधिकारी हैं. मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन का इतिहास रहा है कि नेताओं को अध्यक्ष बनाने का. एनसीपी चीफ शरद पवार, पूर्व लोकसभा स्पीकर मनोहर जोशी, पूर्व सीएम विलास राव देशमुख MCA के अध्यक्ष रह चुके हैं. अब नाना ने चांस लिया है. 

1930 में बनी मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन यानी MCA देश की सबसे पावरफुल क्रिकेट संस्थाओं में से है. मुंबई और आसपास के इलाकों में क्रिकेट का शासन-प्रशासन MCA देखता है. सुनील गावस्कर, सचिन तेंडुलकर जैसे दिग्गज इसी मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की देन हैं. 

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