रात में आया चार्टर प्लेन और BJP में हुए शामिल! जानिए कौन हैं गहलोत के करीबी रामेश्वर दाधीच?

अभिषेक

10 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 10 2023 9:21 AM)

जब दाधीच ने निर्दलीय नामांकन भरा था तब कांग्रेस के किसी भी नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया था. उसकी वजह ये था कि उनके चुनाव लड़ने से कांग्रेस को फायदा ही मिलेगा. माना ये जा रहा है कि सूरसागर में मुकाबला हिन्दू-मुस्लिम के बीच है.

Rameshwar Dadhich

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Rajasthan Election 2023: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेहद करीबी और उनके हमशक्ल माने जाने वाले रामेश्वर दाधीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल हो गए हैं. दाधीच का महत्व कितना है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीजेपी ने इनके लिए खास चार्टर प्लान भेजा. गुरुवार शाम दाधीच बीजेपी के नेताओं संग चार्टर प्लेन पर बैठ जोधपुर से जयपुर पहुंचे. वहां इनकी जॉइनिंग हुई और फिर देर रात वही प्लेन इनको लेकर जोधपुर लौट आया. आखिर कौन हैं ये रामेश्वर दाधीच और ऐसा क्या हुआ कि गहलोत संग इनका 45 साल पुराना साथ छूट गया?

रामेश्वर दाधीच की तात्कालिक नाराजगी का कारण सूरसागर से उनका टिकट कटना रहा. कांग्रेस ने जब इनका टिकट काटा तो नाराज होकर इन्होंने निर्दलीय नामांकन कर दिया. अब बीजेपी में शामिल होने के बाद खेल ही पलट गया है.

रामेश्वर दाधीच की पूरी कहानी जान लीजिए

रामेश्वर दाधीच जोधपुर नगर निगम के पूर्व महापौर रह चुके हैं. 2009 में कांग्रेस ने राजस्थान म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव में क्लीन स्वीप किया था. तब रामेश्वर दाधीच जोधपुर नगर निगम में कांग्रेस के मेयर कैंडिडेट थे. दाधीच ने बीजेपी उम्मीदवार को 34 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हरा दिया था. रामेश्वर दाधीच और गहलोत के पारिवारिक संबंध भी रहे हैं. 1980 के दशक में दाधीच कांग्रेस सेवादल में अशोक गहलोत के साथ भी रह चुके हैं.

Rameshwar Dadhich with Ashok Gehlot

राजस्थान विधानसभा चुनाव में दाधीच ने जोधपुर जिले की सूरसागर सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. पर कांग्रेस ने यहां से शहजाद खान को टिकट दे दिया. टिकट ना मिलने से नाराज दाधीच बगावती हो गए. उन्होंने निर्दलीय नामांकन तो भर दिया लेकिन गुरुवार को इसे वापस लिया और बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी में शामिल होने के बाद दाधीच ने कहा कि, ‘मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की निर्णय लेने की क्षमता के कारण भाजपा में शामिल हुआ हूं. मैं उनसे लंबे समय से प्रभावित था. अगर वह प्रधानमंत्री नहीं होते तो राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पाता.’

अपना फायदा देखने के चक्कर में दाधीच को मनाने से चूकी कांग्रेस!

ऐसी चर्चा है कि जब दाधीच ने निर्दलीय नामांकन भरा था तब कांग्रेस के किसी भी नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया था. उसकी वजह ये था कि कांग्रेस को ऐसा लग रहा था की उनके चुनाव लड़ने से पार्टी को फायदा ही मिलेगा. माना ये जा रहा है कि सूरसागर में मुकाबला हिन्दू-मुस्लिम के बीच हो गया है. कांग्रेस ने शहजाद खान को, तो वहीं बीजेपी ने देवेश जोशी को टिकट दिया है. दाधीच के चुनाव लड़ने से हिन्दू वोटों में बंटवारा होता, जिससे कांग्रेस के शहजाद के सफलता की संभावना बढ़ जाती. यही वजह थी कि पार्टी नेतृत्व ने दाधीच पर उतना ध्यान नहीं दिया.

रिपोर्ट सहयोगी: अशोक शर्मा, राजस्थान Tak

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