'ऐसी कौन सी नौकरी जिसमें सैलरी से ज्यादा पेंशन..' कांग्रेस ने SEBI चीफ माधबी बुच पर लगाए ये बड़े आरोप

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03 Sep 2024 (अपडेटेड: Sep 3 2024 4:27 PM)

SEBI Chief Madhabi Puri Buch: सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद से विवादों में हैं. अब उन पर कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस कहना है कि सेबी की चेयरपर्सन रहते हुए आईसीआईसीआई बैंक से सैलरी ले रही थीं. वह सेबी के सेक्शन-54 का उल्लंघन कर रही थीं.  

माधबी पुरी बुच और पवन खेड़ा

माधबी पुरी बुच और पवन खेड़ा

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SEBI Chief Madhabi Buch Controversy: सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद से विवादों में हैं. अब उन पर कांग्रेस ने गंभीर आरोप लगाए हैं. कांग्रेस कहना है कि सेबी की चेयरपर्सन रहते हुए आईसीआईसीआई बैंक से सैलरी ले रही थीं. वह सेबी के सेक्शन-54 का उल्लंघन कर रही थीं. ऐसे में माधबी बुच अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. 

कांग्रेस मीडिया सेल के हेड पवन खेड़ा ने लगातार दूसरे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर माधबी पुरी बुच को लेकर नए खुलासे किए हैं. उन्होंने कहा कि माधवी बुच मार्केट की रेगुलेटर हैं, सेबी की चेयरपर्सन हैं, तब भी वे कैसे आईसीआईसीआई बैंक से वेतन कैसे ले सकती हैं?  उन्होंने सवाल किया कि 2017-2024 के बीच माधवी बुच ने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 22,41,000 रुपए क्यों लिए? आखिर वह ICICI को क्या सेवाएं दे रही थीं? 

2017 से 2021 तक सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं माधबी

बता दें कि माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं. फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच सेबी की चेयरपर्सन बनीं. सेबी चेयरपर्सन की नियुक्ति कैबिनेट की कमेटी करती है, जिसमें PM मोदी और अमित शाह शामिल रहे हैं.

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपये थी. वे आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, ईएसओपी और उसका टीडीएस भी आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं. कांग्रेस ने बुच से सवाल किया कि आप सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन आईसीआईसीआई से क्यों ले रही थीं?

कांग्रेस के आईसीआईसीआई से गंभीर सवाल? 

  • क्या ऐसी नीति ICICI के तमाम अधिकारी/कर्मचारी के लिए है? 
  • लेकिन अगर आईसीआईसीआई ने माधबी पुरी बुच की ओर से ईएसओपी पर टीडीएस दे दिया, तो क्या वो माधबी पुरी बुच की इनकम में न गिना जाए?
  • अगर इनकम में है तो फिर टैक्स दिया जाना चाहिए, तो आईसीआईसीआई ने इस टीडीएस अमाउंट को टैक्सेबल इनकम में क्यों नहीं दिखाया? 
  • क्या ये इनकम टैक्स एक्ट का उल्लंघन नहीं है?

'ऐसी कौन सी नौकरी, जिसमें सैलरी से ज्यादा पेंशन'

इससे पहले सोमवार को पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी और कई गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि अगर 2014-15 में माधबी पुरी बुच और आईसीआईसीआई के बीच सेटलमेंट हो गया था और 2015-16 में उन्हें आईसीआईसीआई से कुछ नहीं मिला तो फिर 2016-17 में पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई? अब अगर साल 2007-2008 से 2013-14 तक की माधबी पुरी बुच की औसत सैलरी निकाली जाए, जब वो ICICI में थीं, तो वो करीब 1.30 करोड़ रुपए थी। लेकिन माधबी पुरी बुच की पेंशन का औसत 2.77 करोड़ रुपए है।

कांग्रेस ने कहा कि ऐसी कौन सी नौकरी है, जिसमें पेंशन.. सैलरी से ज्यादा है. उम्मीद है कि माधबी पुरी बुच जवाब देंगी कि 2016-17 में तथाकथित पेंशन फिर से क्यों शुरू हो गई थी? 

बता दें कि आईसीआईसीआई ने बताया था कि जब माधबी पुरी बुच ICICI से रिटायर हुईं तो.. 2013-14 में उन्हें 71.90 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिली. 2014-15 में उन्हें 5.36 करोड़ रुपए रिटायरमेंट कम्यूटेड पेंशन मिली. बता दें कि ध्यान रहे कि 2016-17 में माधबी पुरी बुच की 2.77 करोड़ रुपए की पेंशन तब फिर से शुरू हुई, जब वो सेबी की होल टाइम मेंबर बन चुकी थीं.

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से सवालों के घेरे में माधबी बुच

अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग कंपनी हिंडनबर्ग ने अगस्त के शुरुआत में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि शेयर बाज़ार के कारोबार पर नजर रखने वाली संस्था सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया यानी सेबी की अध्यक्ष माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अदानी समूह से जुड़ी ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी थी, इन कंपनियों के ज़रिए बाजार में हेरफेर की गई.

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