क्या महुआ के खिलाफ लोकपाल ने दिए CBI जांच के आदेश? क्या है लोकपाल, ये कितना है असरदार?

अभिषेक

09 Nov 2023 (अपडेटेड: Nov 9 2023 12:24 PM)

लोकपाल का अधिनियम 16 जनवरी, 2014 को लागू हुआ था. भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष 19 मार्च 2019 को भारत के पहले लोकपाल बने. लोकपाल को सिविल न्यायालय का दर्जा मिला हुआ है.

Anna Hazare

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News Tak: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सांसद निशिकांत दुबे का दावा है कि लोकपाल ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) की जांच का आदेश दिया है. निशिकांत दुबे ने भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल से भी महुआ मोइत्रा कैश फॉर क्वेरी यानी सवाल के बदले पैसे लेने के आरोप की शिकायत कर रखी है. वैसे महुआ मोइत्रा ने दुबे के इस दावे पर सवाल उठाए हैं. खैर आइए आज जानते हैं कि लोकपाल क्या है? इसे क्यों बनाया गया और इसका काम क्या है? यह भी कि लोकपाल अबतक कितना असरदार रहा है?

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समाजसेवी अन्ना हज़ारे के नेतृत्व में 2011 में शुरू हुए ‘भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन’ ने कांग्रेस के नेतृत्व की तत्कालीन सरकार पर दवाब बनाया. इसी का नतीजा माना जाता है कि संसद के दोनों सदनों में लोकपाल व लोकायुक्त विधेयक 2013 पारित हुआ. लोकपाल का अधिनियम 16 जनवरी, 2014 को लागू हुआ था. भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व जस्टिस पिनाकी चंद्र घोष 19 मार्च 2019 को भारत के पहले लोकपाल बने. घोष का कार्यकाल 27 मई 2023 को समाप्त हो गया था. फिर न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार मोहंती को लोकपाल का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

कितना प्रभावी रहा है लोकपाल

कार्मिक जन शिकायत कानून व न्याय मामलों की स्थायी संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार लोकपाल ने अब तक भ्रष्टाचार के आरोप में एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है. संसदीय समिति की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2022-23 में लोकपाल को 2518 शिकायतें मिलीं, जो निर्धारित प्रारूप में नहीं थी. इस दौरान सिर्फ 242 शिकायतें सही प्रारूप में मिलीं और इनमें से 191 शिकायतों का निस्तारण कर दिया गया.

लोकपाल का अधिकार क्षेत्र और शक्तियां

लोकपाल का क्षेत्राधिकार पूरे देश भर में है. यह किसी भी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ पद, शक्तियों के दुरुपयोग या किसी भी लोक सेवक से संबंधित शिकायतों पर स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से जांच कर सकता है. इसके अंतर्गत सबसे निचले स्तर के सरकारी कर्मचारी से लेकर कुछ प्रतिबंधों के साथ प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री भी आते हैं. लोकपाल को सिविल न्यायालय का दर्जा मिला हुआ है. इसे किसी भी मामले में CBI की जांच कराने या उसे निर्देश देने का अधिकार है.

लोकपाल की संरचना

लोकपाल में एक अध्यक्ष और लोकयुक्त सहित कुल आठ सदस्य होते हैं. चार सदस्य न्यायिक और 4 गैर न्यायिक होते हैं. इसके सदस्यों की नियुक्ति एक चयन समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति करते हैं. चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा में विपक्ष के नेता, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उसके द्वारा नामित कोई न्यायाधीश और एक प्रख्यात विधि के जानकार (राष्ट्रपति द्वारा नामित) होते हैं. प्रधानमंत्री इस समिति के अध्यक्ष होते हैं. लोकपाल के सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक होता है. लोकपाल भारत का पूर्व मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का पूर्व न्यायाधीश होता है.

 

 

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