सर्वे: लोकसभा चुनावों की वोटिंग से ठीक पहले जानिए EVM और चुनाव आयोग पर जनता को कितना भरोसा

अभिषेक

12 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 12 2024 2:46 PM)

सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, 17 फीसदी लोगों ने ये माना है कि सत्ताधारी पार्टी चुनाव में अपने फायदें के लिए EVM में गड़बड़ी कर सकती है, वहीं करीब 44 फीसदी लोगों मानना है कि, चुनाव आयोग पर उतना भरोसा नहीं है.

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CSDS Pre Poll Survey: देश में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) ने एक प्री पोल सर्वे किया है. CSDS-लोकनीति ने इस सर्वे में चुनाव आयोग पर भरोसा, EVM में गड़बड़ी, बीजेपी-कांग्रेस में भाई-भतीजावाद और जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले पर जनता से सवाल पूछे है. CSDS के इस सर्वे में दिलचस्प आंकड़े सामने आए है. सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक, 17 फीसदी लोगों ने ये माना है कि सत्ताधारी पार्टी चुनाव में अपने फायदें के लिए EVM में गड़बड़ी कर सकती है, वहीं करीब 44 फीसदी लोगों मानना है कि, चुनाव आयोग पर उतना भरोसा नहीं है. आइए आपको बताते हैं इन सवालों पर देश की जनता का क्या है रुख. 

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सवाल- देश में लोकसभा चुनाव होने जा रहे है इस बाबत चुनाव कराने वाली संस्था इलेक्शन कमिशन पर आपका कितना भरोसा है?

इस सवाल के जवाब में सर्वे में शामिल 28 फीसदी लोगों ने माना की चुनाव आयोग पर काफी हद तक भरोसा है. 30 फीसदी लोगों ने माना 'कुछ हद तक' यानी पूर्ण रूप से नहीं, वहीं 14 फीसदी ने ये माना कि, उतना भरोसा नहीं है. इसके साथ ही 9 फीसदी लोगों का मानना है कि एकदम भरोसा नहीं है. 

वहीं अगर बात 2019 के चुनाव से पहले इस बात पर हुए सर्वे की करें, तो 51 फीसदी लोगों का चुनाव आयोग पर पूरा विश्वास, 27 फीसदी का काफी हद तक भरोसा, सात फीसदी का कुछ हद तक और पांच फीसदी लोगों को एकदम भरोसा नहीं था. 

इस सर्वे से ये बात साफ झलक रही है कि, पिछले पांच सालों में देश में चुनाव कराने वाली संस्था इलेक्शन कमिशन पर देश की जनता का भरोसा डगमगाया है. इसके पीछे की वजह ये हो सकती है कि, हाल के दिनों में केन्द्रीय एजेंसियों ED, CBI ने विपक्षी नेताओं पर जमकर कार्रवाई की है और विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार पर इनके दुरुपयोग का इल्जाम लगाया है. ये हो सकता है कि, लोगों के मन में चुनाव आयोग के लिए भी भरोसे में कमी हो गई हो. वैसे आपको बता दें कि, इलेक्शन कमिशन एक संवैधानिक और स्वायत्त निकाय है. इसका किसी सरकार से कोई मतलब नहीं होता है.   

सवाल- क्या सत्ताधारी पार्टी अपने फायदे के लिए EVM में गड़बड़ी या छेड़छाड़ कर सकती है?

इस सवाल के जवाब में 17 फीसदी लोगों ने ये माना है कि, हां सत्ताधारी पार्टी ऐसा कर सकती है. 28 फीसदी ने ये माना कि,  कुछ हद तक कर सकते है, 16 फीसदी लोगों का ये मानना था कि, ज्यादा नहीं कर सकते. वहीं 16 फीसदी ने ये माना कि, किसी भी हाल में ऐसा नहीं कर सकते है. 

सवाल- पहले ये माना जाता था कि, बीजेपी में कांग्रेस पार्टी की तुलना में कम भाई-भतीजावाद है. हालांकि अब कुछ लोगों का मानना है कि, बीजेपी में भी कांग्रेस के समान भाई-भतीजावाद हो गया है. इसपर आप क्या सोचते है?

25 फीसदी लोगों का मानना है कि, बीजेपी पार्टी में कांग्रेस की तुलना में कम भाई-भतीजावाद है. 24 फीसदी लोगों का मानना है कि, दोनों पार्टियों में एकसमान भाई-भतीजावाद है. 15 फीसदी लोगों का मानना है कि, बीजेपी में भाई-भतीजावाद है ही नहीं. वहीं 36 फीसदी लोगों ने इस सवाल पर कोई ओपिनियन नहीं दिया. 

सवाल- केंद्र सरकार के जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले पर आपका क्या ओपिनियन है?

सर्वे में शामिल 34 फीसदी लोगों ने माना कि, जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाना केंद्र सरकार का एक अच्छा कदम था. 16 फीसदी ने माना कदम तो अच्छा था लेकिन सही तरीके से इम्प्लीमेंट नहीं किया गया. 8 फीसदी लोगों ने इसे खराब फैसला माना. 22 फीसदी लोगों का कोई ओपिनियन नहीं था और दिलचस्प बात ये है कि, सर्वे में शामिल 20 फीसदी लोगों को आर्टिकल 370 के बारे में जानकारी नहीं थी. 
 

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