New Indian Judicial Code: देश में आज से तीन नए कानून लागू हो गए है. ये कानून भारतीय न्याय संहिता(BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता(BNSS) और भारतीय साक्ष्य एक्ट(BSA) है जिन्होंने भारतीय दंड संहिता(IPC) 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 का स्थान लिया है. ये तीनों कानून दंडात्मक अपराधों को परिभाषित करने, जांच और सबूत इकट्ठा करने की प्रक्रियाओं को निर्धारित करने से लेकर अदालत में मुकदमे की प्रक्रिया को नियंत्रित करेंगे. आइए आपको बताते हैं पुराने कानून से नए कानून में क्या है बदलाव.
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भारतीय न्याय संहिता में कई नए अपराधों की शुरूआत हुई है. जैसे- शादी का झूठा वादा करने पर 10 साल तक की जेल, नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग के आधार पर 'मॉब लिंचिंग' पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड, स्नैचिंग पर 3 साल तक की जेल के साथ ही आतंकवाद विरोधी और संगठित अपराधों को भी इसके दायरे में लाया गया है. नए कानून में हिरासत मएन रखने की मौजूदा 15 दिन की सीमा से बढ़ाकर 90 दिन तक कर दिया गया है जिससे सामान्य अपराधों के लिए मुकदमे से पहले लंबे समय तक हिरासत में रहने से व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर चिंताएं भी बढ़ गई हैं.
1. एक जुलाई से पहले दर्ज हुए मामलों में नए कानून का असर नहीं होगा. यानी जो केस 1 जुलाई 2024 से पहले दर्ज हुए हैं, उनकी जांच से लेकर ट्रायल तक पुराने कानून के तहत की जाएगी.
2. BNSS में कुल 531 धाराएं हैं. इसमें पुराने कानून में की 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है और 14 धाराओं को हटा दिया गया है. 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. आपको बता दें कि, पहले CrPC में 484 धाराएं थीं.
3. भारतीय न्याय संहिता में कुल 357 धाराएं हैं जबकि IPC में 511 धाराएं थीं.
4. भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं. नए कानून में 6 धाराओं को हटाया गया है और 2 नई धाराएं और 6 उप धाराएं जोड़ी गई हैं. पहले के एक्ट में कुल 167 धाराएं थीं.
5. नए कानून में ऑडियो-वीडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य पर जोर दिया गया है. फॉरेंसिंक जांच को अहमियत दी गई है.
6. कोई भी नागरिक अपराध के सिलसिले में कहीं भी जीरो FIR दर्ज करा सकेगा. जांच के लिए मामले को संबंधित थाने में भेजा जाएगा. अगर जीरो FIR ऐसे अपराध से जुड़ी है, जिसमें तीन से सात साल तक सजा का प्रावधान है तो फॉरेंसिक टीम से साक्ष्यों की जांच करवानी होगी.
7. अब ई-सूचना से भी FIR दर्ज हो सकेगी. हत्या, लूट या रेप जैसी गंभीर धाराओं में भी ई-FIR हो सकेगी. वॉइस रिकॉर्डिंग से भी पुलिस को सूचना दे सकेंगे. E-FIR के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करना जरूरी होंगे.
8. फरियादी को FIR, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है. फरियादी चाहे तो पुलिस के आरोपी से हुई पूछताछ के पॉइंट्स भी ले सकता है.
9. अब FIR के 90 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी जरूरी होगी. चार्जशीट दाखिल होने के 60 दिनों के भीतर कोर्ट को आरोप तय करने होंगे.
10. मामले की सुनवाई पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देना होगा. जजमेंट दिए जाने के 7 दिनों के भीतर उसकी कॉपी मुहैया करानी होगी.
11. पुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा. ऑफलाइन और ऑनलाइन भी सूचना देनी होगी.
12. महिलाओं-बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों को BNS में कुल 36 धाराओं में प्रावधान किया गया है. रेप का केस धारा 63 के तहत दर्ज होगा. धारा 64 में अपराधी को अधिकतम आजीवन कारावास और न्यूनतम 10 वर्ष कैद की सजा का प्रावधान है.
13. धारा 65 के तहत 16 साल से कम आयु की पीड़ित से दुष्कर्म किए जाने पर 20 साल का कठोर कारावास, उम्रकैद और जुर्माने का प्रावधान है. गैंगरेप में पीड़िता अगर वयस्क है तो अपराधी को आजीवन कारावास का प्रावधान है.
14. 12 साल से कम उम्र की पीड़िता के साथ रेप पर अपराधी को न्यूनतम 20 साल की सजा, आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है. शादी का झांसा देकर संबंध बनाने वाले अपराध को रेप से अलग अपराध माना गया है. यानी उसे रेप की परिभाषा में नहीं रखा गया है.
15. पीड़ित को उसके केस से जुड़े हर अपडेट की जानकारी हर स्तर पर उसके मोबाइल नंबर पर SMS के जरिए दी जाएगी. अपडेट देने की समय-सीमा 90 दिन निर्धारित की गई है.
16. राज्य सरकारें अब राजनीतिक केस जैसे पार्टी वर्कर्स के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन से जुड़े केस एकतरफा बंद नहीं कर सकेंगी. धरना-प्रदर्शन, उपद्रव में यदि फरियादी आम नागरिक है तो उसकी मंजूरी लेनी होगी.
17. गवाहों की सुरक्षा के लिए भी प्रावधान किया गया है. अब तमाम इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी कागजी रिकॉर्ड की तरह कोर्ट में मान्य होंगे.
18. अब मॉब लिंचिंग भी अपराध के दायरे में आ गया है. शरीर पर चोट पहुंचाने वाले अपराधों को धारा 100-146 तक बताया गया है. हत्या के मामले में धारा 103 के तहत केस दर्ज होगा. धारा 111 में संगठित अपराध के लिए सजा का प्रावधान है. धारा 113 में टेरर एक्ट बताया गया है. मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल की कैद या उम्रकैद या फांसी की सजा का प्रावधान है.
19. चुनावी अपराध को धारा 169-177 तक रखा गया है. संपत्ति को नुकसान, चोरी, लूट और डकैती आदि मामले को धारा 303-334 तक रखा गया है. मानहानि का जिक्र धारा 356 में किया गया है. दहेज हत्या धारा 79 में और दहेज प्रताड़ना धारा 84 में बताई गई है.
विपक्ष क्यों कर रहा इसका विरोध
3 नए कानूनों में पहले के कानूनों की तुलना में बड़े स्तर पर बदलाव किए गए है. हालांकि विपक्ष इन कानूनों को लेकर विरोध कर रहा है. विपक्ष का कहना है कि, ये कानून संसद में बिना चर्चा के ही पास करा लिए गए थे जो कि, संसदीय मर्यादा के खिलाफ है. आपको बता दें कि, जब इन कानूनों को पारित किया गया था तब स्पीकर ने विपक्ष के करीब 150 सांसदों को सदन से निलंबित कर दिया था.
3 नए आपराधिक कानूनों पर समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने कहा, 'यह कानून बहुत गलत तरीके से संसद में पास किए गए हैं. इन कानूनों पर कोई चर्चा नहीं है. अगर कोई विदेशों में भी अपने अधिकारों को लेकर विरोध करता है तो उन पर भी ये कानून लागू होंगे. कहीं न कहीं यह कानून पूरे देशवासियों पर शिकंजा कसने की तैयारी है.'
#WATCH दिल्ली: 3 नए आपराधिक कानूनों पर समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव ने कहा, "यह कानून बहुत गलत तरीके से संसद में पास किए गए हैं। इन कानूनों पर कोई चर्चा नहीं है... अगर कोई विदेशों में भी अपने अधिकारों को लेकर विरोध करता है तो उन पर भी ये कानून लागू होंगे। कहीं न कहीं यह कानून… pic.twitter.com/BGHCLMjipC
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