Iran-Israel War: ईरान और इजरायल के युद्ध में कौन-किसके साथ खड़ा है, भारत ने लिया है कैसा स्टैंड?

अभिषेक

03 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 3 2024 10:45 AM)

Iran-Israel War: पिछले महीने इजरायल के खिलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गजा और वेस्ट बैंक में इजरायली कब्जे को खत्म करने की बात कही गई थी. हालांकि भारत ने इस प्रस्ताव पर हुई वोटिंग से दूरी बनाई थी.

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Iran-Israel War: मध्य पूर्व हमेशा अस्थिरता का केंद्र रहा है. इस क्षेत्र में कई संघर्ष और गृह युद्ध हुए है. इजराइल और हमास के बीच अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ युद्ध इसी का एक पड़ाव है. इस युद्ध ने इस पूरे क्षेत्र को एक बार फिर से युद्ध के जोन में धकेल दिया है. पिछले एक साल से जारी इस युद्ध ने लेबनान से ईरान तक देशों और मिलिशिया के एक व्यापक नेटवर्क को इंगेज कर लिया है, जिससे वे पूरी तरह से युद्ध के कगार पर पहुंच गए हैं. पिछले दिनों इजराइल-ईरान और उनके सहयोगियों के बीच क्षेत्र में घातक हमले देखने को मिले. इन हमलों ने संघर्ष के दायरे को बढ़ा दिया है, जो इस क्षेत्र के पॉवर प्लेयर्स और अमेरिका जैसी महाशक्तियों को अपनी चपेट में ले सकता है. 

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किसी भी युद्ध के हमेशा दो पक्ष होते है. जायज है कि, इस युद्ध के भी दो पक्ष है लेकिन युद्ध में ये बड़ा मायने रखता है कि, कौन किसके पक्ष में है? आइए आपको बताते हैं मध्य पूर्व एक इस संघर्ष में कौन स देश है किस पाले में?

वैसे जब ईरान ने इजराइल पर मिसाइल हमला किया था उस घटना के दौरान, सीरियाई सेना से कुछ समर्थन प्राप्त करते हुए, ईरान यमन में हूती विद्रोही और लेबनान में हिजबुल्लाह से जुड़ गया था. दूसरी ओर, इजराइल की रक्षा को उसके पश्चिमी सहयोगियों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस) के साथ-साथ उसके अरब पड़ोसियों, जॉर्डन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से सहायता मिली. 

इजराइल

अमेरिका और उसके फेमस 'आयरन डोम' की सहायता से, इजराइल अक्टूबर 2023 से कई मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है. यह गाजा पट्टी में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हौथी विद्रोहियों से लड़ रहा है. यहूदी राष्ट्र ने ईरान और ईरान समर्थित मिलिशिया पर हमला करने पर जवाबी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए हमास का सफाया करने की कसम खाई है. 

इजराइल के सहयोगी: अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जॉर्डन, सऊदी अरब

इजराइल के प्रतिद्वंद्वी: हौथिस, हमास, ईरान, हिजबुल्लाह

ईरान

ईरान जिसने अतीत में ज्यादातर प्रॉक्सी के माध्यम से इजराइल पर हमला किया है, ने एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए हाल के महीनों में कुछ सीधे हमले शुरू किए हैं. 1 अक्टूबर को ईरान ने हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्ला की हत्या और तेहरान में शीर्ष हमास नेता इस्माइल हानियेह की हत्या के प्रतिशोध में इजराइल पर 200 मिसाइलें दागीं. यह हमला सीरिया में ईरानी दूतावास परिसर पर हमले के बाद ईरान द्वारा इजराइल की ओर 170 विस्फोटक से भरे ड्रोन और 120 बैलिस्टिक मिसाइलें लॉन्च करने के महीनों बाद हुआ. ईरान ने भी धीरे-धीरे इसराइल को घेरने के लिए क्षेत्र में अपने अधिक से अधिक सहयोगियों को जुटा लिया है. 

ईरान के सहयोगी: हमास

प्रतिद्वंद्वी: इजराइल, अमेरिका, सऊदी अरब

मध्य पूर्व की महाशक्ति सऊदी अरब का क्या है रुख?

सऊदी अरब, जिसके इजराइल के साथ मजबूत सुरक्षा संबंध हैं, ने कूटनीतिक सख्ती से काम लिया है. जहां एक तरफ इसने इजरायली आक्रामकता की निंदा की है और तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है, वहीं यह उन देशों में भी शामिल है, जिन्होंने इस साल अप्रैल में इजरायल पर हमला करने की ईरान की योजना के बारे में खुफिया जानकारी दी थी. इसके बावजूद सऊदी और ईरान, मध्य पूर्व की मुख्य सुन्नी और शिया शक्तियां, राजनयिक संबंधों को बहाल करने के लिए 2023 में एक समझौते पर हस्ताक्षर कर रही हैं.

भारत किसके साथ है खड़ा?

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल-ईरान संघर्ष पर भारत दोनों के बीच शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है. हालांकि भारत साल 1988 में फलस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था. लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नजर नहीं आता है. पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसराइल के खिलाफ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर गजा और वेस्ट बैंक में इसराइली कब्जे को खत्म करने की बात कही गई थी.

इसराइल के खिलाफ ये प्रस्ताव इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस(ICJ) की एडवाइजरी के बाद लाया गया था. 193 सदस्यों की संयुक्त राष्ट्र महासभा में 124 सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया. 14 देशों ने इस प्रस्ताव के खिलाफ वोटिंग की और भारत समेत 43 देश इस वोटिंग से दूर रहे. ब्रिक्स गुट में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका शामिल हैं. ब्रिक्स गुट में भारत एकमात्र देश है, जो वोटिंग से बाहर रहा था.

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