टिकट को लेकर हेमंत सोरेन के लिए अपनों ने खड़ी की मुश्किलें, बगावत पर उतरे कई JMM नेता

अभिषेक

• 03:38 PM • 24 Oct 2024

Jharkhand Election: सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को अपनों से ही बगावत का सामना करना पड़ रहा है. JMM के गढ़ संथाल परगना पार्टी के कई नेता बगावत पर उतर आए हैं. दुमका के लिट्टीपाड़ा से विधायक ने टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने मन बना लिया है.

Hemant Soren

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Jharkhand Election: झारखंड में अगले महीने विधानसभा का चुनाव है. प्रदेश में दो फेज में 13 और 20 नवंबर को वोटिंग होनी है. चुनाव से पहले सभी पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर रही है. किसी का टिकट कट रहा है तो किसी नए को मौका मिल रहा है. इसी बीच पार्टी छोड़ने का भी दौर चल रहा है. 

सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को अपनों से ही बगावत का सामना करना पड़ रहा है. JMM के गढ़ संथाल परगना पार्टी के कई नेता बगावत पर उतर आए हैं. दुमका के लिट्टीपाड़ा से विधायक ने टिकट कटने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने मन बना लिया है. आपको बता दें कि दिनेश के पिता साइमन मरांडी और मां सुशीला हांसदा का लिट्टीपाड़ा विधानसभा पर पिछले 40 साल तक कब्जा रहा है.

सोरेन पर लगाया परिवारवाद का आरोप

झारखंड मुक्ति मोर्चा का गढ़ कहे जाने वाले संथाल परगना में बगावत के सुर उठने शुरु हो गए. लिट्टीपाड़ा से सीटिंग विधायक दिनेश विलियम मरांडी ने टिकट कटते ही बगावती तेवर दिखा दिए हैं. उन्होंने JMM के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन पर परिवारवाद का आरोप लगाया है. दिनेश मरांडी ने कहा कि हेमंत सोरेन ने अपने छोटे भाई बसंत सोरेन और अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को टिकट दिया तो फिर मेरा टिकट क्यों काट दिया गया.

मरांडी ने सोरेन को याद दिलाया इतिहास

दिनेश विलियम मरांडी ने हेमंत सोरेन को याद दिलाते हुए कहा कि शिबू सोरेन को नेमरा से लाकर संथाल परगना के राजनीतिक पटल पर स्थापित करने वाले उनके पिता साइमन मरांडी ही थे. जब JMM राजनीतिक पार्टी नहीं थी तब उनके पिता साइमन मरांडी विधायक हुआ करते थे. शिबू सोरेन को आदिवासियों का सर्वमान्य नेता बनाने और दिशा में गुरु का दर्जा दिलाने वाले भी साइमन मरांडी थे. दिनेश मरांडी ने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के फाउंडर रहे उनके पिता 1977,1980,1985, 2009 और 2017 करीब 20 सालों तक लिट्टीपाड़ा से विधायक रहे. 

साइमन मरांडी राजमहल लोक सभा से 1989 और 1996 में पार्लियामेंट के लिए चुने गए थे. उनकी मां सुशीला हांसदा 1990,1995,2000 और 2005 में विधायक चुनी गई और इस क्षेत्र की जनता की करीब 20 सालों तक सेवा की. दिनेश ने कहा, '2019 में मैं लिट्टीपाड़ा का विधायक मैं चुना गया . इस क्षेत्र के विकास और झामुमो पार्टी की मजबूती के लिए काम करता रहा. आज मेरे माता पिता नहीं रहे तो हेमंत सोरेन ने मेरा टिकट काट दिया.'

सोरेन ने मरांडी की जगह हेमलाल मुर्मू को दिया टिकट

दरअसल लिट्टीपाड़ा से सीटिंग विधायक दिनेश विलियम मरांडी का टिकट काट कर हेमलाल मुर्मू को दे दिया गया. बरहेट विधानसभा से पूर्व में कई बार विधायक रहे हेमलाल मुर्मू 2009 में भाजपा सरकार में मंत्री थे. सरकार गिरने के बाद हेमलाल झामुमो छोड़ कर भाजपा में आ गए. 2014 के विधानसभा चुनाव में हेमलाल मुर्मू बरहेट से दो विधानसभा से खड़े हेमंत सोरेन से चुनाव हार गए. वही हेमंत सोरेन दुमका विधानसभा में भाजपा की लुईस मरांडी से चुनाव हार गए. 

2019 के विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन दुमका और बरहेट विधानसभा दो जगह से चुनाव लड़े और दोनों जगह से उनकी जीत हुई. बाद में हेमंत सोरेन ने दुमका सीट छोड़ दी. 2020 में दुमका विधानसभा में हुए उपचुनाव में हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन ने जीत का परचम लहराया. इधर भाजपा में साइड लाइन कर दिए गए हेमलाल मुर्मू ने 2019 में JMM में वापसी कर ली लेकिन हेमलाल की परंपरागत सीट पर अब हेमंत सोरेन का कब्जा था और चुनाव लड़ने के लिए एक विधानसभा सीट की तलाश थी. 

जामा में भी उठे विरोध के स्वर

जामा विधानसभा JMM की परिवारिक सीट रही है. उस पर कभी शिबू सोरेन, दिवंगत दुर्गा सोरेन और तीन बार लगातार शिबू सोरेन की पुत्रवधू सीता सोरेन विधायक रही है. अब वहां भाजपा छोड़ JMM में आई लुईस मरांडी को खड़ा करने की बात आ रही है. जामा के कट्टर JMM कार्यकर्ता लुईस मरांडी के विरोध में सड़क पर उतर आए. 

वहीं दुर्गा सोरेन की पुत्री जयप्रभा सोरेन ने जामा विधानसभा सीट अपने माता पिता की विरासत बताते हुए अपने दादा शिबू सोरेन से झामुमो से टिकट की मांग कर दी है. इन्हीं कारणों से JMM ने जामा विधानसभा सीट की घोषणा अब तक नहीं कर पाई है. संथाल परगना में उठ रहे विरोध के स्वर को जल्द डैमेज कंट्रोल नहीं कर पाई तो JMM को विधानसभा चुनाव नुकसान उठाना पड़ सकता है.

रिपोर्ट- सत्यजीत कुमार 

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