INDIA Alliance: कांग्रेस ने इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) में सीट शेयरिंग को लेकर बैठकों का काम तेज किया हुआ है. इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यूटर्न ले लिया हैं. अब ममता कह रही हैं कि बंगाल में सीट शेयरिंग पर बात करने के लिए वो कांग्रेस नेताओं के साथ बैठक तक नहीं करेंगी. आपको बता दें कि कांग्रेस ने मुकुल वासनिक, अशोक गहलोत, सलमान खुर्शीद वाली पांच सदस्यों की टीम अलायंस मेन सीट शेरिंग पर अलग-अलग पार्टियों से बैठक कर रही है, लेकिन ममता को कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर बात करना ही मंजूर नहीं है.
ADVERTISEMENT
बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. बहुत बुरी हालत में भी कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में दो सीटें मालदा दक्षिण और बहरामपुर जीत ली थी. अब ममता बनर्जी चाहती है कि, कांग्रेस बस इन्हीं 2 सीटों की बात करे, लेकिन कांग्रेस की नजर मालदा उत्तर, रायगंज, जंगीपुर, मुर्शिदाबाद सीटों समेत 6 से 10 सीटों पर है. अगर हाईकमान लेवल पर बात हुई तो हो सकता है एकाध और सीट मिल जाए. तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस को प्रदेश की 39 सीटों पर 5 फीसदी से भी कम वोट मिले, तो और सीटों पर बात करने का कोई मतलब नहीं है.
बंगाल में ममता कर रही मनमानी
ममता बनर्जी कांग्रेस से अलायंस करने से इनकार नहीं कर रही हैं लेकिन नियम और शर्तें खुद बनाकर कांग्रेस पर थोपने की कोशिश कर रही हैं. ये रुख इंडिया गठबंधन और कांग्रेस-तृणमूल अलायंस के लिए ठीक नहीं है. 2019 में कांग्रेस-ममता अलग-अलग लड़े थे. फिर भी कांग्रेस ने दो सीटें जीत ली. अधीर रंजन भी यही कह रहे हैं कि, अगर दो सीटों पर ही लड़ना है तो कांग्रेस को ममता बनर्जी की जरूरत ही क्या है.
‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ से कांग्रेस को मिलेगा फायदा
कांग्रेस का गुणाभाग ये है कि भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस की स्थिति बेहतर होगी. और फायदा तभी मिलेगा जब ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे. वैसे ममता का मूड भी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के प्लान आने के बाद ही बदलना शुरू हुआ है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा बंगाल भी जाएगी. उत्तर पूर्व के राज्यों से होकर बंगाल में 27 जनवरी के आसपास दाखिल होगी. यात्रा 5 दिनों में उत्तर बंगाल के करीब सात जिलों में 523 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. बंगाल में 5 दिन की यात्रा का मतलब कांग्रेस के कैडर का जागना और कांग्रेस कैडर के जागने का मतलब प्रदेश में कम्पीटिशन का बढ़ना है.
राहुल की यात्रा से ममता को सता रहा ये डर
पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के बेहतर होने से इंडिया गठबंधन को तो फायदा है लेकिन ये ममता को नुकसान करेगा. अभी बंगाल में कांग्रेस ताकत में नहीं है. 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को न 3 परसेंट से ज्यादा वोट मिले, न सीटें. 2019 के चुनाव में कांग्रेस करीब 6 परसेंट वोट के साथ सिर्फ 2 सीटें निकाल पाई. 2016 के विधानसभा चुनाव में 12 परसेंट वोटों के साथ 44 सीटें मिली थी. ममता कांग्रेस को कमजोर वाला एहसास करा रही हैं लेकिन कांग्रेस को लगता है कि स्थिति-परिस्थिति बदलने वाली है.
गठबंधन है ममता की मजबूरी?
अगर ममता बनर्जी की कांग्रेस से बात बिगड़ती हैं तो प्रदेश में वो चारों तरफ से घिर जाएंगी. बीजेपी औऱ लेफ्ट पहले से ममता के खिलाफ तैयार हैं. एबीपी न्यूज सी वोटर का अनुमान है कि तृणमूल कांग्रेस को 42 में से 23-25 सीटें मिल सकती हैं जबकि बीजेपी को 16 से 18 सीटें मिलने का अनुमान है. मतलब तृणमूल कांग्रेस-बीजेपी की 2019 वाली पोजिशन बनी रह सकती है.
क्या INDIA अलायंस में सीट शेयरिंग पर बन पाएगी बात?
पटना से लेकर दिल्ली वाय बेंगलुरू, मुंबई तक इंडिया गठबंधन की अबतक चार बैठकें हुई है. हर बैठक में ममता बनर्जी सेंटर में रहीं. कभी सोनिया गांधी के साथ, कभी राहुल गांधी के साथ बैठीं. इंडिया जैसा गठबंधन बने, इसकी वकालत करने वालों में से हैं ममता बनर्जी. इंडिया गठबंधन का कोई पीएम फेस होना चाहिए औऱ वो फेस मल्लिकार्जुन खरगे हो सकते हैं, ये आइडिया भी ममता बनर्जी ने ही दिया. सीट शेयरिंग का काम खत्म होना चाहिए, ये भी ममता बनर्जी की ही तमन्ना थी. अगर ममता कांग्रेस की डील नहीं हुई तो दोनों के साथ-साथ इंडिया की एकता पर भी चोट पड़ेगी जिसका फायदा निश्चित रूप से बीजेपी को होगा.
ADVERTISEMENT