JNU कांड को लेकर फिर चर्चा में कन्हैया पर नारे लगाने के सबूत तो मिले ही नहीं! पूरी कहानी जानिए

अभिषेक

15 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 15 2024 4:38 PM)

JNU में हुए देश विरोधी नारों के प्रकरण के बाद कन्हैया कुमार की चर्चा पूरे देश में होने लगी. जेल से जमानत पर छूटने के बाद कन्हैया ने JNU में करीब 45 मिनट का भाषण दिया जो काफी लोकप्रिय हुआ

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Kanhaiya Kumar: कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बीते दिन 10 उम्मीदवारों की एक लिस्ट की घोषणा की. इस लिस्ट में एक ऐसा नाम आया है जिसकी सबकी जुबान पर चर्चा है. वो नाम कन्हैया कुमार का है जिसे पार्टी ने नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से उम्मीदवार बनाया है. कन्हैया कुमार को भोजपुरी गायक और बीजेपी सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ मैदान में उतारा गया है. पिछली बार कन्हैया को बिहार के बेगूसराय से हार का सामना करना पड़ा था. इस बार वो सीट INDIA अलायंस में घटक दल सीपीआई के पास चले जाने के बाद कौन सी सीट से कन्हैया कुमार चुनाव लड़ेंगे इस बात को लेकर सस्पेंस बना हुआ था जो अब क्लियर हो गया है. कन्हैया जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के अध्यक्ष रहे हैं उनके कार्यकाल में JNU में एक ऐसी घटना हुई जिसमें उन्हें जेल जाना पड़ा था. आइए आपको बताते हैं क्या था JNU का वह मामला जिसमें कन्हैया पहुंच गए तिहाड़. 

JNU का पूरा मामला समझिए 

9 फरवरी 2016 को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कुछ छात्रों पर कथित तौर पर JNU परिसर में देश विरोधी नारे लगाने का आरोप है. दरअसल 2001 भारतीय संसद पर हुए हमले के दोषी अफजल गुरु और कश्मीरी अलगाववादी मकबूल भट्ट को सुप्रीम कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा दी थी जिसके खिलाफ JNU परिसर में विरोध प्रदर्शन किया गया. इस प्रदर्शन के आयोजक डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन (DSU) के पूर्व सदस्य थे. इस मामले में तत्कालीन जेएनयू स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष कन्‍हैया कुमार, उमर खालिद समेत कुल 10 लोग आरोपी बनाए गए, जिनके खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की थी. आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 124A यानी राजद्रोह, 149 यानी अवैध सभा का हिस्सा होना, 147 यानी दंगा करना और 120 B यानी आपराधिक साजिश की धाराएं लगाई गई थी. 

आरोपी कौन थे और क्या हुआ?

JNU में देश विरोधी नारे लगाने के मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की जिसमें कन्हैया कुमार, सैयद उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य, आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन गट्टू, मुनीब हुसैन गट्टू, उमर गुल, रईस रसूल, बशारत अली और खालिद बशीर भट्ट है. इस मामले में कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. उमर खालिद अभी भी जेल में  है वहीं कन्हैया कुमार को अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था, क्योंकि राष्ट्र विरोधी नारों में भाग लेने का पुलिस के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. वैसे इस मामले की जांच दिल्ली सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन दोनों ने की और ये पाया कि विश्वविद्यालय परिसर में विवादित नारे बाहरी लोगों ने लगाए गए थे. 

2019 में बेगूसराय से गिरिराज सिंह के खिलाफ लड़े थे लोकसभा का चुनाव 

JNU में हुए देश विरोधी नारों के प्रकरण के बाद कन्हैया कुमार की चर्चा पूरे देश में होने लगी. जेल से जमानत पर छूटने के बाद कन्हैया ने JNU में करीब 45 मिनट का भाषण दिया जो काफी लोकप्रिय रहा. वैसे सही कहे तो इसी भाषण ने कन्हैया की इंट्री सियासत में करा दी. 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने CPI के टिकट पर बिहार के बेगूसराय से बीजेपी नेता और केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा. हालांकि उन्हें चार लाख से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा. 

इसके कुछ साल बाद कन्हैया कुमार ने CPI का साथ छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया. कांग्रेस में आते ही कन्हैया पार्टी के स्टार नेता बन गए. वो राहुल गांधी के साथ मंचों पर जाने लगे और अपने लच्छेदार भाषणों की वजह से सुर्खियां बंटोंरते रहे. अब पार्टी ने उन्हें उत्तर पूर्वी दिल्ली से उम्मीदवार बनाकर बड़ी जिम्मेदारी दी है. वैसे यहां उनका मुकाबला बीजेपी नेता और उत्तर पूर्वी दिल्ली से पिछले दो बार से सांसद मनोज तिवारी से है. वैसे ये लड़ाई दिलचस्प होने की उम्मीद है क्योंकि इस सीट में यूपी और बिहार की अच्छी-खासी जनता रहती है और ये दोनों उम्मीदवार बिहार से ही आते है. 
 

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