Ajit Pawar on Gautam Adani: पिछले कुछ सालों से राहुल गांधी लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और उद्योगपति गौतम अदाणी के बीच गहरे संबंध हैं. उनका दावा है कि अदाणी को हर बड़े प्रोजेक्ट में एकाधिकार प्राप्त है और यही असल मुद्दा है. राहुल गांधी इसे ‘मोनोपोली’ बताते हैं और बीजेपी के नेताओं को बार-बार चुनौती देते हैं. वहीं, हाल ही में अजित पवार ने इस आरोप को और भी मजबूती दी है, जब उन्होंने गौतम अदाणी के बीजेपी के साथ संबंधों को लेकर चौंकाने वाले खुलासे किए.
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अजित पवार का सनसनीखेज खुलासा
2019 में जब महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए राजनीति गरम थी, तब बीजेपी और एनसीपी के बीच एक गुप्त बैठक का आयोजन हुआ था. अजित पवार के अनुसार, इस बैठक में गौतम अदाणी भी मौजूद थे. इसमें अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस, प्रफुल्ल पटेल और शरद पवार भी शामिल थे. अजित पवार ने दावा किया कि इस बैठक में सब कुछ तय किया गया था, हालांकि सरकार बनने के बाद यह गठबंधन असफल हो गया. यह एक बहुत बड़ा खुलासा था, जो बीजेपी और एनसीपी के रिश्तों को लेकर सवाल उठाता है.
अजित पवार के बयान से सियासी माहौल गरमाया
अजित पवार के इस बयान ने महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान मचा दिया है. उनका कहना है कि बीजेपी और एनसीपी के बीच जो गठबंधन हुआ था, उसमें शरद पवार की रजामंदी भी थी. हालांकि अजित पवार ने यह साफ नहीं किया कि वह गठबंधन क्यों विफल हुआ. इस बयान के बाद कांग्रेस ने इसे राहुल गांधी के मोदी-अदाणी मिलीभगत के आरोपों का समर्थन माना और बीजेपी पर हमला बोल दिया. अजित पवार के करीबी सहयोगी सुनील तटकरे ने भी इस मामले को लेकर टिप्पणी की है, जिससे कांग्रेस को और मौका मिला है बीजेपी के खिलाफ सियासी मोर्चा खोलने का.
अजित पवार की राजनीति और चुनावी रणनीति
लोकसभा चुनाव के बाद अजित पवार ने अपनी राजनीतिक रणनीति को और भी धार दी है. उन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए बीजेपी के बड़े नेताओं के प्रचार पर रोक लगा दी है. उनके मुताबिक, बीजेपी के नेताओं को शरद पवार के खिलाफ कोई भी अपशब्द नहीं बोलने चाहिए. इस विवाद के बीच अजित पवार ने योगी आदित्यनाथ को "आउटसाइडर" कहकर भी बीजेपी को झटका दिया है. अब सवाल यह है कि अजित पवार के इन खुलासों का असर महाराष्ट्र की राजनीति पर किस हद तक पड़ेगा और क्या यह कांग्रेस के आरोपों को और भी बल देगा?
सियासी समीकरण और भविष्य के कड़े सवाल
अजित पवार के बयान ने महाराष्ट्र के सियासी समीकरण को और भी पेचीदा बना दिया है. चुनावी माहौल में जब सबकी निगाहें आगामी नतीजों पर हैं, ऐसे में अजित पवार की खुली बयानबाजी और बीजेपी के खिलाफ उनकी रणनीति चुनावी राजनीति को और भी जटिल बना सकती है. महाराष्ट्र में अजित पवार की भूमिका अब और भी अहम हो गई है और बीजेपी को अपनी आगामी रणनीति पर पुनः विचार करने की जरूरत महसूस हो रही है.
रिपोर्ट- रश्मि शर्मा
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