Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में क्यों नहीं थम रहा घमासान? एकनाथ शिंदे की कुर्सी का क्या होगा?

Mahayuti News: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे लंबे समय से सुर्खियों में हैं. बीते रविवार को महायुति की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों बड़े नेता साथ नजर आए. जिसमें मजाक-मजाक में बहुत सारी बातें हुईं. किसी ने कहा कुर्सी फिक्स है तो किसी ने कहा रोटेशन.

देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार

देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार

विजय विद्रोही

04 Mar 2025 (अपडेटेड: 04 Mar 2025, 12:23 PM)

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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे लंबे वक्त से सुर्खियों में बने हुए हैं. बीते रविवार को महायुति की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों बड़े नेता साथ नजर आए. इस दौरान मजाक-मजाक में बहुत सारी बातें हुईं. किसी ने कहा कुर्सी फिक्स है तो किसी ने कहा रोटेशन है. महाराष्ट्र की राजनीति में क्यों हलचल मची हुई है? बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही... 

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महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के बीच सत्ता का समीकरण लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. महायुति की प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों नेता मंच साझा करते नजर आए, जहां मजाक-मजाक में गहरे राजनीतिक संकेत छिपे हुए थे. मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है. एकनाथ शिंदे ने खुद यह कहा कि उन्होंने और फडणवीस ने कुर्सी बदल ली है, जबकि अजित पवार की कुर्सी "फिक्स" है. 

इस पर तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए अजित पवार ने तंज कसते हुए कहा कि शिंदे अपनी कुर्सी फिक्स नहीं कर पाए. यही बयान महाराष्ट्र की सियासत में बड़े बदलाव का संकेत देता है.

अमित शाह की भूमिका और शिंदे की बेचैनी

रिपोर्ट्स के अनुसार, मुख्यमंत्री पद बचाने के लिए एकनाथ शिंदे सुबह 4 बजे दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे. वहां उन्हें स्पष्ट रूप से कहा गया कि बीजेपी अब किसी बाहरी को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी और यदि शिंदे अपनी पार्टी को बीजेपी में विलय कर लेते हैं, तो वे सिर्फ 'रेस' में आ सकते हैं. इससे साफ है कि शिंदे की कुर्सी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है.

फडणवीस की रणनीति और शिंदे पर शिकंजा

देवेंद्र फडणवीस भी शिंदे को चुनौती देने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. उन्होंने शिंदे सरकार के दौरान लिए गए फैसलों की जांच शुरू करवा दी है, जिससे उनकी स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है. इसमें सरकारी ठेकों में अनियमितता से लेकर नीतिगत फैसलों की जांच शामिल है.

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बीजेपी का गेम प्लान और चुनावी गणित

बीजेपी के लिए महाराष्ट्र का सत्ता समीकरण बेहद अहम है. विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी आंकड़ा बीजेपी-अजित पवार गठबंधन के पास ही है, जबकि शिंदे गुट इस समीकरण में कमजोर पड़ता नजर आ रहा है. यही वजह है कि शिंदे के पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे हैं.

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महाराष्ट्र जैसे हालात बिहार में भी, नीतीश चिंता में

अभी के लिए शिंदे मुख्यमंत्री बने हुए हैं, लेकिन 2024 के विधानसभा चुनाव के बाद क्या वे इस पद पर बने रहेंगे, यह तय नहीं है. बीजेपी चुनावी समीकरण के आधार पर फैसला करेगी, और शिंदे के पास फिलहाल कोई मजबूत दांव नहीं दिख रहा. महाराष्ट्र की राजनीति में सत्ता संघर्ष जारी है, और आने वाले दिनों में इसका असर बिहार तक देखने को मिल सकता है, जहां नीतीश कुमार भी अपनी कुर्सी को लेकर इसी तरह की चिंताओं से घिरे हुए हैं.

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