आदित्य ठाकरे के लिए महायुति का इतना बड़ा प्लान, महाराष्ट्र में वरली सीट पर दिलचस्प फाइट!

ललित यादव

26 Oct 2024 (अपडेटेड: Oct 26 2024 12:32 PM)

बाला साहेब ठाकरे ने अपने जीते-जी उद्धव ठाकरे को सेट कर दिया था. परिवार, पार्टी, सरकार-सब कुछ सौंप दिया. राज ठाकरे या उद्धव ठाकरे-तब बाला साहेब के पास समय ही कहां था पोते आदित्य ठाकरे के बारे में सोचने के लिए. उद्धव ठाकरे ने कमान संभाली तो उन्होंने बेटे आदित्य ठाकरे को सेट करना शुरू किया.

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महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, उतना दिलचस्प होता जा रहा है. महाराष्ट्र में वरली सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. क्योंकि यहां से शिवसेना ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है. वहीं चर्चा है कि शिंदे गुट यहां से मिलंद देवड़ा को मैदान में उतारने की तैयारी कर रहा है. अगर ऐसा होता है तो यहां चुनाव काफी रोमांचक देखने को मिल सकता है.

वरली से दूसरी बार चुनाव लड़ रहे आदित्य ठाकरे को हराने के लिए गहरा चक्रव्यूह बना है.  पिछले कई चुनावों में बीजेपी ने सांसदों को विधानसभा लड़ाने का प्रयोग किया. ज्यादातर प्रयोग सफल रहे तो वही पट्टी बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को पढ़ाई है. मुंबई की वरली सीट शिवसेना के पास है. हो सकता है कि बीजेपी ने शिंदे के कान में कहा हो कि आदित्य ठाकरे को हराना है तो मिलिंद देवड़ा को लड़ा दो. 

मिलिंद देवड़ा बनाम आदित्य ठाकरे?

मिलिंद देवड़ा की संभावित उम्मीदवारी में चौंकाने वाली है. ये कि कांग्रेस के छोड़ने के इनाम के तौर पर मिलिंद देवड़ा को फरवरी में राज्यसभा सांसद बनाया था. दो दिन पहले उन्हें संसदीय समिति का चेयरमैन बनाया गया. अब अचानक विधानसभा चुनाव लड़ाने की बात हो रही है. बीजेपी का पैटर्न यही है कि अगर विधानसभा चुनाव जीत लिया तो फिर विधानसभा में ही रहना होगा. संसद सदस्यता छोड़नी पड़ सकती है. हार गए तो राज्यसभा में तो रहेंगे ही.

मुंबई का देवड़ा परिवार करीब 55 साल तक कांग्रेस के साथ जुड़ा रहा. पिता मुरली देवड़ा मुंबई के मेयर, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस सरकारों में मंत्री रहे. कांग्रेस के ऐसे बड़े नेताओं में थे जिनकी पहुंच सीधे गांधी परिवार से थी. मुरली देवड़ा के निधन के बाद मिलिंद देवड़ा के लिए कांग्रेस में जगह बनाना मुश्किल नहीं रहा. कांग्रेस ने मुरली देवड़ा की मुंबई वाली राजनीतिक विरासत संभालने के लिए मिलिंद देवड़ा को अपना लिया. 

राहुल गांधी की कोर टीम के मेंबर हो गए थे मिलिंद देवड़ा

मिलिंद देवड़ा 27 साल में सबसे यंग सांसद बने. मनमोहन सरकार में मंत्री पद मिला. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में कदम से कदम से मिलाए.  सब कुछ ठीक चल रहा था. अचानक लोकसभा चुनाव से पहले मिलिंद देवड़ा ने पाला बदल लिया. बीजेपी में तो नहीं गए. एकनाथ शिंदे की शिवसेना में ज्वॉइनिंग हुई. कांग्रेस छोड़ने के इनाम में मिला राज्यसभा टिकट. साउथ मुंबई सीट से मिलिंद देवड़ा ने 2004 और 2009 में लोकसभा चुनाव जीते. तब मुंबई में कांग्रेस के लिए चुनाव जीता मुश्किल नहीं होता था. 2014 के बाद चुनाव जीतना मुश्किल हुआ तो मिलिंद देवड़ा भी जीत नहीं सके. 

सेफ सीट से चुनाव लड़ रहे आदित्य ठाकरे

वरली, साउथ मुंबई लोकसभा सीट की ही विधानसभा सीट है. 1980 के बाद कांग्रेस कभी वरली से नहीं जीती. 2009 को छोड़कर 1990 से 2019 तक हर चुनाव शिवसेना ने जीता. शायद इसीलिए आदित्य ठाकरे के लिए वरली जैसी सेफ सीट निकाली थी उद्धव ठाकरे ने. तब शिवसेना और बीजेपी मिलकर चुनाव लड़ते थे. 

बाला साहेब के समय में ही उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे अलग हो गए थे. खराब संबंधों के बाद भी 2019 में उद्धव ठाकरे ने आदित्य ठाकरे को वरली से उतारा तो राज ठाकरे ने बड़ा दिल दिखाया. परिवार के बच्चे के लिए उन्होंने MNS का उम्मीदवार नहीं दिया. आदित्य ठाकरे के लिए चुनाव और आसान हुआ.  खतरे की घंटी बजी लोकसभा चुनाव में. साउथ मुंबई सीट से शिवसेना यूबीटी के अरविंद सावंत के जीतने के बाद भी वरली में शिवसेना फंसते-फंसते बची. सिर्फ 6700 वोटों की लीड ले पाए अरविंद सावंत. ये संभव है कि लोकसभा का पैटर्न देखकर ही शिवसेना-बीजेपी ने अब ये सोचा कि थोड़ा धक्का लगाएंगे तो वरली में आदित्य ठाकरे को भी हरा सकते हैं. आदित्य ठाकरे को हराने के लिए कोई तगड़ा फेस ढूंढते-ढूंढ़ते ही नजर टिकी मिलिंद देवड़ा पर.

आदित्य ठाकरे के लिए वरली का चुनाव थोड़ा टफ उद्धव ठाकरे ने भी बनाया. 2019 में जब उद्धव ने आदित्य को लॉन्च किया तो राज ठाकरे ने इसे अपने परिवार का चुनाव माना. 2024 में जब राज ठाकरे अपने बेटे अमित ठाकरे को माहिम से लॉन्च कर रहे हैं तब उद्धव ठाकरे रिश्तेदारी भूल गए. माहिम से शिवसेना यूबीटी का उम्मीदवार उतार दिया. बदले के एक्शन में राज ठाकरे भी पारिवारिक शिष्टाचार भूल गए. राज ठाकरे ने आदित्य ठाकरे के खिलाफ संदीप देशपांडे को MNS का उम्मीदवार बनाया है. 


 

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